किस वर्ष कछार को अंततः अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था?

Cachar was Annexed by the British: Cachar जिला जो अभी वर्तमान में असम राज्य का एक जिला है. यह अंग्रेजो के कब्जे में आने से पहले बहुत ही बड़ा हुआ करता था. यदी आपको नहीं पता की कछार जिला को कब अंग्रेजो ने अपने कब्जे में लिया और कैसे लिया तो आप सही जगह में है.

क्युकी आज के इस पोस्ट के द्वारा हम आपको बताएँगे की कैसे और कब अंग्रेजो ने कछार जिला में अपना कब्ज़ा कसा था. तो आइए देर न करते हुए जानते है In which year Cachar was finally annexed by the British?.

In which year Cachar was finally captured by the British
In which year Cachar was finally captured by the British

काछार को कब अंग्रेजो ने कब्ज़ा किया इसको जानने से पहले आइए जान लेते है उस वक्त कछार कैसा था और कौनसे राजा थे जो राज कर रहे थे कछार में.

कछार के बारे में कुछ खास बाते

आपके जानकारी के लिए बता दे की कछार जिला मूल रूप से त्रिपुरा राज्य का हिस्सा हुआ करता था. जिसे 1562 में कोच किंग चिलराई ने अपने कब्जे में ले लिया था. जिसे हम कोच राजबोंगशी के नाम से जानते है. 

चिलाराय ने इस क्षेत्र का प्रभार अपने भाई कमलनारायण को दिया था. कमलनारायण के वंशजों ने 18वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र पर शासन किया.

कछार के अंतिम राजा राजा गोविंदराचंद्रद्ववजननारायण हस्नु तब डिमासा साम्राज्य का भार संभाला और अधिकांश अविभाजित कछार जिले पर शासन किया. उनके काल में खासपुर कछार की राजधानी थी.

कछार एक और देशी साम्राज्य था जो अंग्रेजों के साम्राज्यवादी डिजाइन का शिकार हुआ. यदि आप चाहते है की कछार के बारे में और जाने तो आप हमारे निचे दिए गए पोस्ट के लिंक पर क्लिक करके कछार के इतिहास एबं उसके बारे में जानकारी ले सकते है.

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किस वर्ष कछार को अंततः अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था? – Cachar was Annexed by the British?

जब कछार में डिमासा साम्राज्य का शासन चल रहा था तब कछार में दो शासक थे. जिनके नियंत्रण में यह पूरा कछार साम्राज्य चल रहा था. जिले की दक्षिणी भाग में गोविंदराचंद्रद्वाजनारायण हसनु शासक राजकुमार था और दूसरा शासक तुलाराम जिसने पहाड़ी क्षेत्र यानि कछार या दीमा हसाओ के उत्तरी भाग के शासक प्रमुख थे.

कचारी राजाओं में से अंतिम, राजा गोबिंद चंद्र की 24 अप्रैल, 1830 को हरितिकर में अपने कुछ निजी परिचारकों की मदद से देशद्रोही व्यक्तियों के एक समूह ने हत्या कर दी थी।

जब उनकी मृतु हो गई तो कोई भी उत्तराधिकारी नहीं होने के कारण उनका क्षेत्र 1826 में निष्पादित एक समझौते की शर्तों के तहत अंग्रेजों के कब्जे में आ गया. उसके बाद अंग्रेजो ने श्री टी फिशर, सेना अधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने के लिए भेजा गया और उन्होंने 30 जून, 1830 को मुख्यालय चेरापूंजी में अपना कार्यभार को संभाला.

उसके बाद सन 1833 में, मुख्यालय को दुदपाटिल और फिर सिलचर में स्थानांतरित कर दिया गया। 14 अगस्त, 1832 को काउंसिल में गवर्नर जनरल की घोषणा के द्वारा कछार के प्लियन हिस्से को औपचारिक रूप से ब्रिटिश शासन में शामिल कर लिया गया था।

तब श्री टी. फिशर को जिले के अधीक्षक के प्रथम पद पर रखा गया। दुर्भाग्य से सेवा में रहते हुए उनकी मृत्यु हो गई. उसके बाद अन्य अधीक्षक जैसे Messers I.G.Burns, E.R.Lyons, E.S. Person, P.G.Vener और बाकियों ने इस कार्यभार को संभाला.

अब तक सिर्फ कछार के एक हिस्से यानि दक्षिणी भाग में अंग्रेजो का कब्ज़ा था, लेकिन वक्त बीतने के दौरान सन 1854 को कछार के उत्तरी भाग के शासक सेनापति तुलाराम की मृत्यु हो गई और उत्तरी कछार को ब्रिटिश डोमिनियन में मिला लिया गया और कछार के साथ टैग किया गया।

1874 में, कछार को फरवरी 6, 1874 की घोषणा के अनुसार असम के मुख्य आयुक्त पद में शामिल किया गया था और अधीक्षक के पद को उपायुक्त के रूप में फिर से नामित किया गया था और श्री आर. स्टुअर्ट जिले के पहले डीसी (First DC) बने।

हैलाकांडी उप-मंडल का गठन 1 जून, 1869 को हुआ था। 1947 में भारत के विभाजन के परिणामस्वरूप, अर्स्ट के चार थाने, सिलथेट जिले के करीमगंज सब डिवीजन को कछार में स्थानांतरित कर दिया गया था।

निष्कर्ष

अंत में हम यह कह सकते है की पुरी तरह कछार का कब्ज़ा अंग्रेजो ने 1854 में किया था. लेकिन इससे पहले 1830 से ही अंग्रेजो ने कछार में अपना कब्ज़ा करना शुरू कर दिया था.

FAQs

कछार जिले का पहला डीसी कौन था?

श्री आर. स्टुअर्ट कछार जिले का पहला डीसी बना था.

कछार जिले को पुरी तरह अंग्रेजो ने कब अपने कब्जे में ले लिया?

कछार जिले को पुरी तरह अंग्रेजो ने सन 1854 में अपने कब्जे में ले लिया था.

मुझे उमीद है की आपको हमारी पोस्ट किस वर्ष कछार को अंततः अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था? – Cachar was Annexed by the British? की यह जानकारी पसंद आई होगी. यदि पसंद आई है तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ share जरुर करे, ताकि उन्हें इस जानकारी से फ़ायदा हो सके. 

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Suraj Barai

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