Durga Puja: प्राचीन काल से ही राजा महाराजा देवी दुर्गा की पूजा करते आए है. इसके साथ ही दुर्गा पूजा को लेकर बहुत से कहानियां प्रचलित है, जिसमे से एक कहानी यह है की, राक्षसो के राजा महिषासुर भगवान ब्रह्मा का वरदान पाकर पुरी दुनिया में अत्याचार कर रहा था.
तब माता दुर्गा ने आश्विन महीने में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन उसका वध कर दिया था. तभी से नौ दिनों को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है. आश्विन महीने में शरद ऋतु का प्रारंभ हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि भी कहा जाता है.
इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है की हम सब माँ दुर्गा की पूजा करेंगे तो माँ हमारी भी दुखो को हर लेगी और उसी प्रकार पापियों का नास करेगी.
भारत के कई राज्य में इस नवरात्री का व्यापक रूप से दिव्य स्त्री शक्ति का जश्न मनाया जाता है. जानकारी के लिए बता दे दुर्गा पूजा का पहला दिन महालया होता है. इसका कारण ये है की उसी दिन देवी दुर्गा की धरती में आगमन होती है.
दुर्गा माता कौन है?
पुराणों मे देवी दुर्गा को आदि शक्ति भी माना जाता है. जानकारी के लिए बता दे देवी दुर्गा असल मे भगवान शिव की पत्नी पार्वती आदिशक्ति का एक रूप है.
दुर्गा किसकी बेटी है और उनके पुत्र कौन थे?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी दुर्गा अपने पूर्व जन्म मे प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप मे उत्पन्न हुई थी. उस समय देवी दुर्गा का नाम सती थी. उनका विवाह भगवान शिव से हुआ था. इसके साथ ही माँ पार्वती यानि माँ दुर्गा के दो पुत्र श्रीगणेश और कार्तिकेय है.
दुर्गा पूजा की शरुआत कैसे हुई
आइए अब जानते है दुर्गा पूजा की शरुआत कैसे हुई थी? तो दुर्गा पूजा की शरुआत 1757 के दशक के राजाओ और जमीनदारो ने मिल कर की थी. इसके बाद कई सालो तक किसी कारण से देवी दुर्गा का पूजा करना बंद कर दिया गया था.
लेकिन फिर से 1790 मे देवी दुर्गा की पूजा करना शुरू हुआ. इसके साथ ही जमीनदारो ने बंगाल जिले मे स्थित एक बहुत ही खुबसूरत गाँव था जिसका नाम था Gupt Para, इस गाँव मे पहली बार सार्वजनिक दुर्गा पूजा किया था.
इससे गाव वाले बहुत खुश थे, कारण उनके गाव मे पहली बार किसी महा उत्सब किया गया था. जिसके कारण उस गाव मे खुशियों का एक रोनक छा गया था. चारो और खुसिया ही खुसिया थी.
इसके बाद दुर्गा पूजा सामान्य जनजीवन मे भी लोकप्रिय होती गई और इसी प्रकार दुर्गा पूजा भव्य तरिके से मनाने की परम्परा की शरुआत हुई और आज भी भारत के कई राज्य में दुर्गा पूजा बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है.
इस बार 2022 मे नवरात्रि कब है
इस बार यानि 2022 मे इस महा उत्सब दुर्गा पूजा भारत के कई राज्य मे बड़े ही धूमधाम से मनाये जाएगी. हिन्दू पंचांन के अनुसार नवरात्री अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अरम्ब हो रही है और इस महा उत्सब को नवमी तक मनाया जाएगा.
इसके साथ ही बता दे इस बार नवरात्री की अरम्ब 26 सितंबर यानि सोमवार से शुरू होगा और यह महा उत्सब करीब 9 दिनों तक चलेगा यानि 5 अक्टूबर, बुधवार तक, उसके बाद माँ दुर्गा के प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाएगा. आपके जानकारी के लिए बता दे की इस 9 दिन के पूजा में माँ दुर्गा की 9 रूपों का पूजा किया जाता है.
- 26 सितंबर (सोमवार) : पहला दिन – मां शैलपुत्री पूजा
- 27 सितंबर (मंगलवार) : दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
- 28 सितंबर (बुधवार) : तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा पूजा
- 29 सितंबर (गुरुवार) : चौथा दिन – मां कुष्मांडा पूजा, विनायक चतुर्थी, उपांग ललिता व्रत
- 30 सितंबर (शुक्रवार) : पांचवां दिन – पंचमी, मां स्कंदमाता पूजा
- 1 अक्टूबर ( शनिवार ): छठा दिन – षष्ठी, माता कात्यायनी पूजा
- 2 अक्टूबर (रविवार): सातवां दिन – सप्तमी, मां कालरात्रि पूजा
- 3 अक्टूबर (सोमवार): आठवां दिन – दुर्गा अष्टमी, महागौरी पूजा, महानवमी
- 4 अक्टूबर (मंगलवार) : नौवां दिन – महानवमी, शारदीय नवरात्रि का पारण
- 5 अक्टूबर (बुधवार) 10वां दिन – दशमी, दुर्गा विसर्जन और विजयादशमी (दशहरा)
दुर्गा पूजा में आखिर ऐसा क्या खास है?
दुर्गा पूजा हिन्दू बंगालीओ के लिए बहुत महत्व रखता है. इसका कारण इस माह उत्सब का बंगालीओ का मानना है की यह बुराई पर अच्छाई की जित का जश्न है.
क्युकी देवी दुर्गा नवरात्री के पहले दिन यानि महालया के दिन धरती पर आई थी और नोए दिन राक्षस राजा महिषासुर का वध किया था. इसी कारण नवरात्री में भक्त पुरे श्रद्धा के साथ अपने परिवारों को ले कर घुमने निकलते है और माँता का दर्शन कर आशीर्बाद लेते है.
क्युकी हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार एसा माना जाता है की देवी दुर्गा नवरात्री के समय अपने भक्तो को आशीर्वाद देने तथा उनका दुःख हरने के लिए धरती पर आती है.
दुर्गा पूजा की कुछ रोचक तथ्य
- देवी दुर्गा असल मे भगवान शिव की पत्नी पार्वती आदिशक्ति का एक रूप है.
- देवी दुर्गा ने नवरात्री के दिन राक्षस राजा महिषासुर का वध किया था.
- यह महा युद्ध करीब 9 दिनों तक चला था. अंत मे माँ दुर्गा ने राजा महिषासुर का वध किया था.
- बंगालीओ का मानना है की यह महा उत्सब बुराई पर अच्छाई की जित का जश्न है.
- देवी दुर्गा के साथ नवरात्री में उनके दो पुत्र श्रीगणेश और कार्तिकेय इसके साथ ही लक्ष्मी और सरस्वती भी आती है.
FAQs
Q. दुर्गा पूजा की शुरुआत कब हुई?
Ans: दुर्गा पूजा की शरुआत 1757 के दशक में राजाओ और जमीनदारो ने मिलकर की थी.
Q. देवी दुर्गा और राक्षस राजा महिषासुर का महा युद्ध कितने दिनों तक चला था?
Ans: देवी दुर्गा और रक्षस राजा महिषासुर के बिच करीब यह महा युद्ध 9 दिनों तक चला था.
Q. पहली बार दुर्गा पूजा कहा हुई है?
Ans: पहली बार दुर्गा पूजा बंगाल जिले मे स्थित एक Gupt Para नाम के गाँव मे हुई थी.
मुझे उम्मीद है कि आपको दुर्गा पूजा महा उत्सव की जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें।
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