Best Hindi Moral Stories: जब भी कहानियाँ की बात आती है तो सभी को अपने बचपन में सुनी हुई कहानी याद आने लगता है. वही Hindi Kahaniyaa खास करके बच्चो को सबसे ज्यादा पसंद होता है. क्युकी Hindi Moral Stories में कुछ ऐसे चीजे होती है जिसे भूलना आसान नहीं होता है. वही मोरल हिंदी कहानी पढने से हमे बहुत कुछ सिख मिलती है जिससे हमारी मानसिकता का विकास होने में अहम् भूमिका निभाती है.
बचपन में हर बच्चे को ये Kahaniyaa सुनने को मिलता है. जैसे राजा-रानी की कहानी, शेर और चूहे की कहानी, भूतो की कहानी आदि. वही कहानियाँ कई प्रकार के होते है जिसका बढ़ी सूचि निचे दिया गया है. हालाकि की कुछ कहानियाँ Short Stories In Hindi होती है लेकिन उन कहानियाँ में ऐसे ऐसे मोरल शिक्षा प्राप्त होती है जो हमारी जीवन में आगे जाकर काम आती है.
बच्चो को हिंदी मोरल कहानियाँ सुनाने से उनके मानसिकता का विकास तो होता ही है. लेकिन इसके साथ ही बच्चो के मनोरंजन भी होती है. सबसे बड़ी बात यह है की कहानियाँ से जो शिक्षा प्राप्त होती है उससे बच्चो के जीवन में आगे बढ़ने में बहुत मदद मिलती है.
आपको जानकारी के लिए बता दे की इस लेख में लगभग 100 से भी ज्यादा ऐसे Moral Stories in Hindi मिल जाएगा जिसे आप पढ़कर कहानियाँ से मोरल या नैतिक शिक्षा प्राप्त कर सकते है. Hindi Moral Stories की सबसे ख़ास बात यह है की इन हिंदी शोर्ट मोरल स्टोरीज़ को सुनने के बाद जो भी सिखने को मिलता है उसे हम जीवन भर याद रख सकते है.
वही जब ये Hindi कहानियाँ हम सुनते है या पढ़ते है तब यह एक विडियो की तरह हमारी दिमाग में चलने लगती है. जिसके वजह से Short Moral Stories in Hindi हमे बर्षो तक याद रहती है. यदि आपको Short Story in Hindi With Moral Value के साथ पढ़ना है तो निचे 100+ Hindi Moral Stories – बेस्ट मोरल कहानियाँ पढ़े.
100+ Short Stories in Hindi with Moral for Kids बेस्ट मोरल कहानियाँ पढ़े
चाहे आप छोटे हो या बड़े लेकिन Hindi Moral Stories सभी के लिए होती है. कहानी पढने के बाद जो भी सिख मिलती है ये सभी के लिए उपयोगी है. क्युकी कहानी आपको एक सही दिशा दे सकता है. वही हिंदी की नैतिक कहानियाँ की जब भी जिक्र होता है तो सभी के मन में कुछ कहानियाँ पहले से चलने लगता है. जैसे भूतो की कहानी, राजा की कहानी, शेर की कहानी, चूहे की कहानी, कबूतर की कहानी, मुर्गा की कहानी आदि.
पहले की समय में बच्चे ज्यादार अपने दादा-दादी और नाना-नानी से कहानियाँ सुनाने के लिए जिद करते थे. सच में मुझे आज भी याद है की जब भी मेरा नानी घार आते थे तब उनसे कहानियाँ सुनने के लिए जिद्द करता. उस वक़्त बुजुर्गों के पास ऐसे बहुत सरे कहानी होते थे जो झट से बच्चो को सूना भी देते थे.
लेकिन अभी का जो समय है, इसमें बच्चे कहानियाँ सुनने के लिए अपने नाना-नानी या अन्य बड़े लोगो से बिलकुल भी जिद्द नहीं करते है. बल्कि आजकल के ये बच्चे अपनी ज्यादातर समय मोबाइल और कंप्यूटर में व्यतीत करते है. वही बच्चे कहानी सुनाने के लिए जिद्द करने की जगह नए मोबाइल खरीदने के लिए जिद्द करते है.
समय के साथ सब कुछ बदल रहा है इसलिए अब ये Hindi Stories ऑनलाइन उपलब्ध है जिसे बच्चे अपनी मन पसंद कहानी पढ़ सकता है. वही Hindi Stories Videos के माध्यम से बच्चे कहानी को विसुअली आनंद ले सकता है.
आइये इस लेख में दिए गए 100+ Short Stories in Hindi with Moral for Kids पढ़ते है. यदि कहानियाँ आपको उपयोगी लगे तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे.
1. सुन्दर घोड़ा – Top 10 moral stories in hindi
एक जगह एक सुन्दर घोड़ा चरा करता था लेकिन उसको हमेशा डर लगा रहता था क्यूंकि उसी इलाके में एक बाघ में कभी कभार दिख जाता था लेकिन फिर भी चारा खाने वह घोडा उस इलाके में रोज निकलता था।
एक दिन उसको वही पर एक शिकारी मिला। घोड़े ने उस शिकारी से अपनी परेशानी साझा की। शिकारी ने बोला “मुझे डर नहीं लगता क्यूंकि मेरे पास बन्दूक है और इससे मैं किसी भी जानवर को मार गिरा सकता हु।
“यह सुन कर घोड़े ने शिकारी से पूछा की क्या शिकारी उसकी मदद कर सकता है। शिकारी ने उसको बोला “मेरे साथ रहो तुम्हारी जान को कभी खतरा नहीं होगा।
” घोड़ा मान गया और वह शिकारी उसके ऊपर बैठ करके उसको शहर के एक अस्तबल में छोड़ दिया। घोड़ा सोचने लगा “मुझे जान से खतरा तो हट गया लेकिन मेरी आजादी छीन गयी। ‘
Hindi Moral Stories: दूसरे छोर पर हमेशा हरियाली
2. बोलती गुफा – Small story in hindi
एक भूखा शेर शिकार की खोज में जंगल में घूम रहा था । घूमते-घूमते वो थक गया। उसकी भूख भी बढ़ गई । अकस्मात् उसे एक गुफा नज़र आई। शेर ने सोचा कि इस गुफा में ज़रूर कोई जानवर रहता होगा। अच्छा हो मैं उस झाड़ी में छिप जाऊं । ज्यों ही वह निकलेगा मैं उसे धर दबोचूंगा । नकलेगा मैं उसे धर दबोचूंगा ।
शेर ने काफी देर तक गुफा के बाहर इंतज़ार किया, मगर कोई भी जानवर वहाँ से बाहर नहीं आया। तब शेर ने सोचा कि लगता है वह जानवर इस वक्त गुफा में ना होकर कहीं बाहर गया है । इस लिये उसे गुफा के अन्दर जाकर उसका इंतज़ार करना चाहिए। जैसे ही वह गुफा के अन्दर आएगा वह उसे खा जाएगा ।
ऐसा सोचकर शेर गुफा के अन्दर जाकर छिप गया ।
उस गुफा में एक गीदड़ रहता था। थोड़ी देर बाद वह वापस आया तो उसे गुफा के बाहर किसी के पैरों के निशान दिखाई दिये। उसे यह निशान किसी बड़े एवं खतरनाक जानवर के प्रतीत हुये । उसे किसी खतरे का एहसास हुआ। गीदड़ बहुत चालाक और सयाना था।
उसने सोचा कि गुफा में जाने से पहले देखे मामला क्या है। उसने जोर से गुफा को आवाज़ लगाई – “गुफा ! ओ गुफा !” लेकिन जवाब कौन देता? गीदड़ ने फिर आवाज़ लगाई, “अरे मेरी गुफा, तू जवाब क्यों नही देती ?
आज तुझे क्या हो गया ? हमेशा मेरे लौटने पर तू मेरा स्वागत करती है। आज क्या हो गया। अगर तूने जवाब न दिया तो मैं किसी दूसरी गुफा में चला जाऊंगा।” गीदड़ की बात सुनकर शेर ने सोचा कि यह गुफा तो बोलकर गीदड़ का स्वागत करती है।
आज मेरे यहां होने की वजह से शायद डर गई है। अगर गीदड़ का स्वागत नहीं किया तो वह चला जाएगा। ऐसा विचार कर शेर अपनी भारी आवाज़ में जोर से बोला“आओ, आओ मेरे दोस्त, तुम्हारा स्वागत है।” शेर की आवाज़ सुनकर गीदड़ वहां से भाग गया।
इस कहानी से हमें संकट के समय दिमाक से काम करना चाहिए शिक्षा मिलती है।
3. चतुर किसान की कहानी – Short moral stories in hindi
एक बार एक किसान एक बकरी, घास का एक गट्ठर और एक शेर को लिए नदी के किनारे खड़ा था। उसे नाव से नदी पार करनी थी लेकिन नाव बहुत छोटी थी कि वह सारे सामान समेत एक बार में पार नहीं जा सकता था।
वह अगर शेर को पहले ले जाकर नदी पार छोड़ आता है तो इधर बकरी घास खा जाएगी और अगर घास को पहले नदी पार ले जाता है तो शेर बकरी को खा जाएगा।
अंत में उसे एक समाधान सूझ गया। उसने पहले बकरी को साथ में लिया और नाव में बैठकर नदी के पार छोड़ आया। इसके बाद दूसरे चक्कर में उसने शेर को नदी पार छोड़ दिया लेकिन लौटते समय बकरी को फिर से साथ ले आया.
इस बार वह बकरी को इसी तरफ छोड़कर घास के गठ्ठर को दूसरी ओर शेर के पास छोड़ आया। इसके बाद वह फिर से नाव लेकर आया और बकरी को भी ले गया। इस प्रकार, उसने नदी पार कर ली और उसे कोई हानि भी नहीं हुई।
4. शेर और चूहा की कहानी – Sher Aur Chuha Story in Hindi with Moral
एक बार एक शेर अपनी गुफा में सो रहा था । तभी एक चूहा कहीं से आकर शेर के ऊपर कूदने लगा । जिससे शेर की नींद टूट गयी । शेर को चूहे पर इतनी ज़ोर से गुस्सा आया कि उसने उसे अपने पंजों में जकड़ लिया और उसे मारने का सोचने लगा। चूहा बहुत डर गया।
उसने कॉपते हए शेर से कहा – “हे शेर राजा! मुझे माफ कर दिजिये, मुझ से बहुत भारी भूल हो गई। अगर आप मझे जाने देगें तो आप का बहुत उपकार होगा और आपके इस उपकार को मैं वक्त आने पर जरूर चुका दंगा।’
ह सनकर शेर को चहे पर दया आ गई और उसने उसे जाने दिया । पर वह मन ही मन हँसा कि भला यह छोटा सा चूहा मेरा उपकार क्या चुकाएगा। समय बीतता गया ओर एक दिन हमेशा की तरह शेर शिकार की तलाश में जंगल में घूम रहा था कि एक शिकारी ने उसे चलाकी से अपने जाल में पकड़ लिया।
शेर अपनी सहायता के लिए जोर-जोर से दहाड़ मारने लगा । शेर की अवाज सुनकर चूहा वहाँ आया । शेर को जाल में फंसा देखकर उसने तुरन्त अपने नुकीले दाँतों से शिकारी का जाल काट दिया और शेर को आज़ाद कर दिया ।
शेर ने चूहे का बहुत धन्यवाद किया। उस दिन शेर को समझ आया कि किसी भी प्राणी की काबलीयत उसके भारी रूप से नहीं लगानी चाहिए और कभी छोटे-बड़े का भेदभाव नहीं करना चाहिए। हमेशा सबकी मदद करनी चाहिए क्योकिं जो दसरों की मदद करता है, उसकी भी सब मदद करते हैं।
5. लालची कबूतर की कहानी – Story for class 3 in hindi
एक बार की बात किसी जंगल में एक बढा सा पेड़ था। उस पेड़ पर प्रतिदिन बहत से पक्षी आकर विश्राम करते थे । एक दिन एक बहेलिये ने पक्षी पकड़ने की इच्छा से वहाँ चावल के दाने फैला दिये और उसके ऊपर जाल बिछा दिया और स्वयं एक पेड़ के पीछे छिपकर बैठ गया ।
कुछ समय बाद उस पेड़ पर एक कबूतरों का झण्ड आकर विश्राम करने लगा। तभी उनकी नजर चावलों के दानो पर पड़ी। दाने देखकर उनकी भूख जाग उठी और वह दाने चगने के लिए जाने लगे। तब उनके मखिया ने उन्हे समझाया की उसे इन दानों के पीछे कुछ गड़बड़ लग रही है, इसलिए उन्हें यह दानें नहीं चुगने चाहिए।
पर कबूतरों ने अपने मुखियाकी बात नहीं सुनी और दाने चगने के लिए चले गए। सारे कबूतर जाल में फंस गए। उन्हें अपने मुखिया की बात न मानने तथा लालच करने की सजा मिल गई । उनके मुखिया ने उन्हे एक दिशा में उड़ने के लिए कहा।
सब कबूतर जाल के साथ एक ही दिशा में उड़े और बेहलिया देखता ही रह गया । सब कबूतर अपने मुखिया के दोस्त चूहे के घर जा पहुंचे । चूहे ने अपने पैने दाँतो से जाल काट कर कबूतरों को मुक्त कर दिया ।
कबूतरों ने अपने प्राण बचाने वाले नन्हे चहे को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और सब कबूतर नीले आसमान में फिर उड़ गये। इस तरह हमें पता चलता है कि हमें कभी लालच नहीं करना चाहिए, अन्यथा हम भी कबूतरों की तरह संकट में फंस सकते है। साथ ही हमें यह भी शिक्षा मिलती है कि एकता में ही शक्ति है।
6. भेड़िया और कुत्ते की कहानी – Short moral stories in hindi for class 8
एक बार एक भेड़िया एक कुत्ते से मिला। कुत्ते ने कहा, ” मित्र तुम तो बहुत दुबले-पतले नजर आ रहे हो। क्या मामला हैं ?” भेड़िया ने जवाब दिया, ” तुम बहुत खाते-पीते दिखाई पड़ते हो। तुम्हें इतना अच्छा खाना कहा मिलता हैं?”
कुत्ते कहा ,” अगर तुम मेरे साथ चलो और मालिक की रखवाली करो, तो तुम्हे बी बहुत-सा भोजन मिलगा।” भेड़िया ने कहाँ, ” मै आपका धन्यवाद देता हूँ।” यह कहकर वह कुत्ते के साथ चल दिया।
रास्ते में कुत्ते की गर्दन पर एक निशान देखकर उसके कहा, ” यह कैसा निशान है ?” कुत्ते ने कहा, दिन के समय में जंजीर से बंधा रहता हूँ, किन्तु रात के समय मै जहाँ चाहता हूँ, भागता-फिरता हूँ।”
भेड़िया ने कहा, “मै नहीं चल रहा हूँ। नमस्ते! मै भूखा रह सकता हूँ, पर गुलाम नहीं।”
7. व्यापारी और चोर की कहानी – Long story in hindi with moral
किसी समय एक व्यापारी के घर चोरी हो गई। उसने अपने नौकरों को बुलाकर पूछा कि, चोरी कैसे हुआ परंतु चोरी का कोई पता नहीं लग सका। अंत में उसने चोर का पता लगाने के लिए एक ढंग निकाला।
उसने हर नौकर को एक जैसी छडिया दी और कहा कि चोर की छड़ी कल तक 1 इंच बढ़ जाएगी। कल इसी समय तक इन छवियों को मेरे पास लाना। नौकर छडियों को लेकर अपने अपने घर चले गए।
जिस नौकर ने चोरी की थी उसने अपनी छड़ी को काटकर 1 इंच छोटा कर दिया, ताकि जो बढ़ोतरी हो वह पहले ही काट दिया जाए।
अगले दिन जब नौकरों की छडिया देखी गयी तो चोर की छडि सबकी छडि 1 इंच छोटी थी। उसे पकड़ लिया गया, उसने अपना अपराध मान लिया और व्यापारी को अपना सारा धन ज्यों का त्यों मिल गया।
8. राजा और सौदागर की कहानी – Hindi kahaniyan new
एक दिन राजा अहमद शाह के दरबार में एक अरब सौदागर आया और राजा से बोला, “अगर आप मुझे एक लाख दे दें तो मैं आपके लिए अरब का सबसे बढ़िया घोड़ा ला दूंगा। यह सुनकर राजा बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने सौदागर को एक लाख रुपया दे दिया।
सौदागर रुपया लेकर राजा को सलाम करके चला गया। उस दिन शाम को राजा कुछ ज्यादा ही हंसी-मजाक की मुद्रा में थे। उसने अपने मंत्री से कहा कि वह अपने राज्य में महामूर्ख की एक सूची बना दे। मंत्री ने राज्य के महा मूर्खों की एक लंबी सूची तैयार की और उसमें सबसे ऊपर राजा का नाम रख दिया।
दूसरे दिन प्रातः काल जब राजा ने सूची में अपना नाम सबसे ऊपर देखा तो वह क्रोध में से आग-बबूला हो गया और उसने मंत्री को दंडित करने के लिए निश्चय किया। इस पर मंत्री ने कहा, “आपने उसको बिना जाने हुए एक लाख रुपया दे दिया।
क्या आप यह सोचते हैं कि वह धूर्त आपके पास लौटकर आएगा राजा बोला यदि सौदागर वापस लौट आया तब तुम क्या करोगे मंत्री ने उत्तर दिया तब मैं सूची से आपका नाम हटाकर उस जगह सौदागर का नाम रख दूंगा
9. बुद्धिमान राजा की कहानी – Bedtime stories in hindi with moral
कन्नौज का राजा बहुत बुद्धिमान था। उसके एक पुत्र था। राजकुमार बहुत छोटा था तथा राजा बहुत बूढ़ा था। इसलिए राजा अपने पुत्र के लिए ईमानदार मंत्री चाहता था। एक दिन उसने अपने सब दरबारियों को बुलाया।
उसने कहा, “क्या मैं एक अच्छा राजा हूं?” कुछ दरबारियों ने कहा, “श्रीमान, आप संसार के सबसे अच्छे राजा हैं।” यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने प्रत्येक दरबारी को एक एक हीरा दिया।
एक दरबारी चुपचाप बैठा था। राजा ने उससे भी वही प्रश्न किया। उसने कहा, “आप वास्तव में अच्छी राजा है परंतु संसार में आपसे भी अच्छे राजा हैं।” यह सुनकर राजा अत्यंत प्रसन्न हुआ और उसने उस दरबारी को अपने पुत्र का अभिभावक बना दिया।
10. अच्छाई की विजय की कहानी – Short panchatantra stories in hindi
संकुल एक निर्धन मजदूर था. एक कारखाने में काम करता था. उसकी एक पत्नी तथा दो बच्चे थे. उसकी आय बहुत कम थी वह सदैव कर्ज में रहता था. उसको रुपया उधार लेना पड़ता तथा ब्याज देनी पड़ती थी.
अतः बहुत परेशान था वह अपनी समस्या हल करना चाहता था. उसे केवल एक ही रास्ता सूझा उसने कारखाने में एक अंग्रेज इंजीनियर था जिसके पास सोने की घड़ी थी. जब वह लंच के लिए जाता था तो वह घड़ी को अपनी मेज पर छोड़ जाता था.
अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए संकुल ने घड़ी को चुराने का निश्चय कर लिया. मध्य अवकाश के समय वह इंजीनियर अपने कमरे से बाहर चला गया तो संघ ने उसकी घड़ी चुरा ली तथा अपनी जेब में रख ली घड़ी.
चुराने के पश्चात उसने महसूस किया कि एक आदमी ने उसे देख लिया है वह सिर से पैर तक आपने लगा अंत में उसने अपनी जेब से घड़ी मीका मिताली तथा उसे इंजीनियर की मेज पर रख दिया बुराई पर अच्छाई की विजय हुई.
11. प्यासा कौआ – Thirsty crow story in hindi
Thirsty Crow Story: एक समय की बात है। कड़कड़ाती धूप में एक प्यासा कौआ इधर उधर पानी की खोज में तड़प रहा था (thirsty crow story in hindi)। अत्यधिक प्यास के कारण उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उसका अन्तिम समय आ गया है।
तभी उसकी नजर पास के एक पेड़ के नीचे रखे घड़े पर पड़ी। उसे देखकर कौए के जान में जान आई। वह उड़कर जब उसके पास पहुँचा तो उसने देखा कि पानी घड़े में बहुत कम था जिसकी वजह से वह अपनी चोंच से पानी तक पहुँच नही पा रहा था।
कौए ने कई बार प्रयास किया पर हर बार वह असफल रहा। कौआ घड़े के पास थककर बैठ गया। तभी उसकी नजर पास पड़े कंकड़ों पर पड़ी। अब उसको एक तरकीब सूझी।
उसने विचार किया कि यदि वह एक एक करके कंकड़ों को घड़े में डालेगा तो पानी धीरे-धीरे ऊपर आ जायेगा और वह उसे पी कर अपनी प्यास बुझा लेगा।
निरंतर प्रयास और कड़ी मेहनत करके वह इतने कंकड़ घड़े में डाल देता है कि पानी ऊपर आता है और वह उसे पीकर अपनी जान बचा लेता है।
12. सोने का अण्डा – Moral stories for childrens in hindi
Hindi Moral Stories: रामपुर गाँव में एक गरीब किसान रहता था। वह रोज की ही तरह अपने खेतों से काम करके घर वापस आ रहा था। उसे रास्ते में एक घायल मुर्गी दिखाई देती है जिसके काफी खून निकल रहा था।
गरीब किसान ने उसके देखते ही उठाया और घर ले जाकर उसकी मरहम पट्टी की। कुछ ही दिनों में मुर्गी पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी। मुर्गी ने गरीब किसान से कहा कि तुमने मेरी इतनी सेवा की है इसके बदले में मै तुम्हें रोज एक सोने का अण्डा दूंगी।
मुर्गी अपने कहे अनुसार रोज सुबह एक सोने का अण्डा देती जिसे गरीब किसान बाजार ले जाकर अच्छे दामों में बेच दिया करता था. देखते ही देखते गरीब किसान के पास काफी पैसे हो गये, अब वह बहुत अमीर हो गया था।
एक दिन उसने सोचा कि मुझे रोज मुर्गी को खाना देना होता है, उसकी सेवा करनी पड़ती है तब एक सिर्फ एक अण्डा मुझे मिल पाता है क्यों न मैं इसके पेट से सारे अण्डे एक साथ निकालकर बेच दूं।
ऐसा सोचकर उसने मुर्गी का पेट चाकू से काट दिया परन्तु उसे एक भी अण्डा नही मिला और जो एक अण्डा रोज मिलता था वह उससे भी हाथ धो बैठा।
13. अंगूर खट्टे हैं – Hindi short stories pdf
एक दिन भरी दोपहर में एक लालची लोमड़ी इधर उधर शिकार की तलाश में घूम रही थी। वहांं जंगलों के बीच उसे एक अंगूर के गुच्छों की बेल दिखाई दी। इतने अंगूर एक साथ देखकर लालची लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया।
लोमड़ी जब उन स्वादिष्ट अंगूरों को खाने के लिए लपकी तो वह उन तक पहुँच ही नही पाई। उसने कई बार छलांग लगाई पर वह उन स्वादिष्ट अंगूरों तक ना पहुँच सकी।
उसने एक तरकीब लगाई। वह काफी दूर से दौड़कर आयी और एक लम्बी छलांग मार दी पर इस बार भी वह उन अंगूरो तक नहीं पहुँच पाती है।
अंततः जब कई बार प्रयास करने के बाद भी उसे अंगूर नही मिले तो उसने यह कह कर खुद को समझा लिया कि अंगूर खट्टे हैं और इन्हे खाकर कोई फायदा नही है। अब थक हार कर लोमड़ी अपने घर की ओर चली जाती है।
14. दो बिल्लियाँ और बंदर – Short moral stories in hindi for class 1
Billi Wali Kahaniyan: दो बिल्लियाँ आपस में बहुत अच्छी दोस्त थी। वे एक साथ खेलती, बाते करती तथा भोजन की तलाश में जाया करती थी।
एक दिन भोजन की तलाश में काफी देर तक भटकने के बाद सिर्फ उन्हे एक रोटी ही दिखाई दी जिस पर एक बिल्ली ने झपट्टा मारा और खाने के लिए मुँह में डालने ही जा रही थी।
तभी दूसरी बिल्ली उसे टोककर बोलती है “अरे! तुम अकेले कैसे इस रोटी को खा सकती हो? हम दोनों ने साथ में ही इस रोटी को देखा है इसलिए हमें इसे बाँटकर खाना चाहिए।
पहली बिल्ली ने यह सुनकर रोटी एक टुकड़ा तोड़कर दूसरी बिल्ली को दिया लेकिन वह टुकड़ा छोटा था जिसे देखकर उसे बुरा लगा और उसने कहा “यह टुकड़ा तो काफी छोटा है तुम मेरे साथ बेइमानी कर रही हो, तुम्हें रोटी के बराबर टुकड़े करने चाहिए।
इस बात पर दोनो में बहस हो गई और झगड़ा होने लगा। उसी समय वहां से मोनू बंदर गुजर रहा था। मोनू बंदर ने दोनों के लड़ने का कारण पूछा तो उन्होने सब कुछ बता दिया।
मोनू बंदर बोला “इस बात पर लड़ने की जरूरत नहीं है तुम कहो तो मेरे पास एक तराजू है जिससे मै इस रोटी को दो बराबर हिस्सों में बाँट दूँ।”
बिल्लियां मान गयी, बंदर ने तराजू निकाला और एक एक टुकड़ा दोनो ओर रख दिया। भूखी बिल्लियाँ बड़ी आस से देख रही थी।
बंदर ने जान बूझकर एक तरफ बड़ा टुकड़ा रखा और दूसरी तरफ छोटा। फिर बंदर बोला “अरे यह क्या? एक टुकड़ा दूसरे से बड़ा है, चलो मै इसको बराबर कर देता हूँ” यह कहकर वह रोटी के बड़े टुकड़े को तोड़कर खा लेता है।
फिर दूसरा टुकड़ा पहले से बड़ा हो जाता है तो बंदर उसे भी बराबर करने के लिए बड़े टुकड़े से कुछ हिस्सा तोड़कर खा लेता है। इस तरह यह सिलसला चल जाता है और बंदर बराबर करने के लिए बड़ी रोटी को थोड़ा तोड़कर खा लेता है।
जब रोटी के बिल्कुल छोटे-छोटे टुकड़े बचते है तो बिल्लियाँ घबराकर कहती है “अरे बंदर भाई, तुम क्यो परेशान हो रहे हो लाओ इस रोटी को हम लोग आपस में ही बांट लेंगे।
बंदर बोला “ठीक है, लेकिन अब तक जो मेहनत मैने की है उसका मेहनताना तो लगेगा ही ना” इतना कहकर वह बचे हुए रोटी के टुकड़ो को भी खा जाता है।
बिल्लियाँ देखती रह जाती है अब उन्हे एहसास होता है कि हम दो के बीच की फूट का लाभ तीसरा व्यक्ति उठा ले गया। उन्होने निर्णय किया कि अब से वह झगड़ा नही करेंगी और साथ में ही रहेंगी।
यह एक Hindi bandar wali है.
15. कछुआ और खरगोश – Hindi story for class 1
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में खरगोश और कछुआ दो दोस्त रहते थे। वे दोनो गहरे दोस्त थे परन्तु खरगोश को अपनी गति पर बहुत गर्व था और वह अक्सर कछुए को इस बात के लिए छेड़ता था कि कछुए की गति बहुत कम है।
एक दिन क्रोधित होकर कछुए ने खरगोश से कहा- “आइये, हम दोनो एक रेस करते है और देख ही लेते है कि किसकी गति ज्यादा है”। खरगोश कछुए की इस बात पर जोर से हँसा और बोला “तुम मुझसे जीत ही नही सकते, तुम्हरी चाल बहुत धीमी है। चलो रेस शुरू करते है।”
रेस शुरू हुई तो खरगोश लम्बे कदम रखकर दौड़ने लगा जबकि कछुआ धीमे- धीमे चलने लगा। थोड़ी दूर तक दौड़ने के बाद खरगोश ने सोचा अब मैं काफी आगे आ गया हूँ क्यों न यहां पेड़ के नीचे थोड़ा आराम कर लूँ। आराम करते करते कब उसे नींद आ गयी उसे पता ही नही चला।
इधर, कछुआ धीरे-धीरे लगातार चलता रहता है और रास्ते में वह देखता है कि खरगोश सो रहा है। वह उसे जागाता नहीं और धीरे-धीरे निरंतर चलते हुए फिनिश लाइन पर पहुँच जाता है।
जब खरगोश की नींद खुलती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। खरगोश तेजी से दौड़ता हुआ फिनिश लाइन की ओर जाता है। वहाँ पर कछुए को पहले से पहुँचा हुआ देखकर वह काफी शर्मिंदा होता है। वह काफी खेद महसूस करता है क्योंकि एक कछुआ खरगोश से जीत जाता है।
खरगोश की गति तेज थी लेकिन कछुए का निरंतर प्रयास और इच्छा शक्ति अधिक थी।
16. एकता में बल – Hindi short stories for class 1
एक गांव में एक किसान रहता था। उसके चार पुत्र थे, सभी ईमानदार और मेहनती थी। बस एक समस्या यह थी कि उनकी आपस में बनती नही थी। सभी एक दूसरे से छोटी मोटी बातो पर लड़ते रहते थे। अपने पुत्रों के बीच होने वाली लड़ाई से किसान बहुत परेशान था। उसने कई बार इनको आपस में मिलाने की कोशिश की पर असफल रहा।
धीरे-धीरे किसान बूढ़ा हो चला, लेकिन उसके लड़को के बीच लड़ाई का सिलसिला वैसे ही चलता रहा। किसान ने अपने लड़को को मिलाने के लिए एक तरकीब बनाई। उसने अपने पुत्रों को एक साथ बुलाया।
पिता का अन्तिम समय देखते हुए चारो पुत्र एक साथ उसके पास पहुँचे। सभी पुत्रों ने पिता से उन्हे बुलाने का कारण पूछाँ तो किसान बोला, “आज मैं तुम सब को एक काम देने जा रहा हूँ और मैं देखना चाहता हूँ कि कौन इस काम को भली भांति कर लेगा।
किसान ने बड़े लड़के से कई सारी लकड़ियाँ लाने को बोला तथा छोटे लड़के से एक मजबूत रस्सी लाने को कहा। लड़के ईमानदार और मेहनती थे, पिता जी की आज्ञा मानते हुए वे लकड़ी और रस्सी लेने निकल जाते है।
जब बड़ा लड़का लकड़ियाँ लेकर आ जाता है तो किसान दूसरे बेटे से इनका गट्ठर बनाने को कहता है। तब तक छोटा लड़का रस्सी लेकर आ जाता है तो किसान तीसरे बेटे से उस गट्ठर को रस्सी से बाँध देने को कहता है। लड़का उनकी आज्ञा का पालन करता है।
बड़ा लड़का कहता है- पिता जी, अब हमें क्या करना है। इस पर किसान मुस्कराते हुए बोला- तुम सभी में से कौन इस गट्ठर को अपने बल से तोड़ सकता है। तो एक-एक करके सभी लड़को ने कहा यह तो बहुत ही आसान काम है इसे तो मै चुटकी बजाते ही कर दूंगा।
फिर क्या था अपनी बात साबित करने के लिए वो आपस में झगड़ने लगे कि इसे मै ही तोड़ूगा। किसान बोला मैने तुम्हे यहाँ झगड़ने के लिए नहीं बुलाया है। तुम लोगो को बारी-बारी से मौका दिया जायेगा। सबसे पहले बड़े लड़के को मौका मिला।
उसने भरसक कोशिश की परन्तु वह लकड़ी के उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाया। इसी तरह से अन्य लड़के भी उस गट्ठर को तोड़ नहीं पाते है।
छोटा लड़का बोला- पिता जी, यह काम तो असंभव है। किसान मुस्कराते हुए लकड़ी का गट्ठर खोलता है और लकड़ियाँ अलग-अलग कर देता है।
किसान कहता है- अब इन लकड़ियों को कौन तोड़ेगा। तो सभी उन अलग-अलग लकड़ियों को तोड़ लेते हैं।
किसान बोला- बच्चो आप चारो इन लकड़ियों की तरह हो, जब तक साथ रहोगे तो तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता है परन्तु यदि तुम अकेले अकेले लड़ते झगड़ते रहोगे तो इन अकेली लकड़ियों की तरह ही टूट जाओगे।
17. चिड़ियाँ की कहानी – Moral stories in hindi for class 10
Chidiya Ki Kahani: सुंदरवन के जंगलो में सभी जानवर मिलजुल कर हँसी खुशी रहते थे। उस जंगल के एक पेड़ पर रानी चिड़िया भी रहती थी।
एक बार जंगल में बहुत भीषण आग लग जाती है। आग इतनी भीषण थी कि जंगल के राजा मंगलू शेर वहां से भागने की योजना बनाने लगा और सभी को यही राय देता है कि जंगल छोड़कर भाग जाओ।
यह सुनकर सभी जानवर पास के जंगलो की ओर भागने लगते है। एक बाज उड़कर जा रहा था कि उसने देखा कि रानी चिड़िया पास के तालाब से अपनी चोच भर पानी लाती और आग बुझाने के लिए उस पर डाल देती।
यह देखकर बाज रानी चिड़िया से बोला “अरे रानी बहन! तुम्हारे इस चोंच में कितना पानी आयेगा भला। इससे जंगल की आग नही बुझेगी।”
इस पर रानी चिड़िया ने बड़ी सरलता से जवाब दिया “मुझे नही पता मेरी एक चोंच पानी से ये आग बुझ पाएगी या नही पर जब भी इस आग की बात चलेगी मेरी गिनती आग बुझाने वालो में होगी और आपकी भागने वालो में।”
18. एकता में शक्ति, कबूतर की कहानी – Hindi story for class 4
महेश एक व्यापारी है वह कबूतरों को जाल में फसाकर पकड़ता तथा उन्हे बाजार ले जाकर बेचने का काम करता था। उसे कबूतरों पर दया नही आती थी। एक बार वह रामू काका के खेत में कबूतरों को पकड़ने के लिए जाल लगाता है और जमीन पर ढ़ेर सारे चावल के दाने बिखेर देता है।
आसमान में उड़ते कबूतरो का एक झुण्ड जब चावल के ढ़ेर सारे दाने देखता है तो उन्हे लालच आता है। उस झुण्ड का सरदार कहता है कि जरूर इसमें कोई चाल होगी नहीं तो इतने चावल के दाने कैसे एक जगह पड़े रह सकते है।
अन्य साथी सरदार की बात को नजरअंदाज करके नीचे उतरते है, साथ होने की वजह से सरदार भी नीचे दाने खाने के लिए उतर आता है। पेड़ के पीछे छुपा व्यापारी सही समय पर जाल फेंक देता है और सारे कबूतर उसमें फस जाते है।
इसपर एक कबूतर कहता है कि सरदार नें सही कहा था. यह एक साजिश थी। दूसरा कबूतर कहता है कि अब हम सबको ये व्यापारी पिंजड़े में बन्द करके बेच देगा।
अब सरदार को एक तरकीब सूझती है वह कहता है कि यदि व्यापारी के आने से पहले हम सब एक साथ उड़े तो हम जाल लेकर उड़ जायेंगे और फिर आजाद हो जायेंगे।
कबूतरों ने ऐसा ही किया, वे सब एक साथ उड़े और देखते ही देखते व्यापारी की आँखों के सामने ही पूरा जाल ले कर उड़ गये।
19. चिड़ियाँ का घोंसला – Moral stories in hindi pdf
Chidiya Chidiya Kahani: पिंकी चिड़ियाँ एक खेत में कई दिनों से अपने घोंसले में रहती थी। उसका घोसला पुराना हो चुका था और सर्दियां भी आने वाली थी यह सोचकर पिंकी ने नया घोसला बनाने को सोचा।
उसने एक दिन बहुत मेहनत की, एक-एक तिनका चुनकर बड़ी मेहनत से उसने पास के ही खेत में नया घोसला बनाया। नये घोसले में जाने से पहले उसने सोचा- चलो आज की रात यही पुराने घोसले में बिता लेती हूँ, कल से नये घोसले में रहूंगी।
परन्तु यह क्या! जब अगली सुबह वह अपने नये घोसले को देखती है तो उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है। एक बाज उसके नए घोसले के चीथड़े उड़ा कर चला जाता है।
वह काफी मायूस हुई, उसकी आँखे भर आयी थी। उसने बड़ी मेहनत से यह घोसला बनाया था और किसी ने उसे रातो रात उजाड़ दिया।
उसने गहरी सांस ली, हल्का सा मुस्कराई और अगले ही पल कुछ अजीब हुआ। वह सब कुछ भुलाकर फिर से एक-एक तिनका बिनकर लाने लगी। और सुबह से शाम तक कड़ी मेहनत करने के बाद वह दुबारा अपना आशियाना बना लेती है और खुशी मन से उसमें रहने लगती है।
20. मोटा मुर्गा – Hindi moral stories with pictures pdf
Murga Wala Kahani: एक किसान के पास दो बैल थे। एक का नाम रत्ना और दूसरे का नाम पन्ना था। वे दोनो बैल मिलकर किसान के लिए बहुत मेहनत करते थे। वे खेत में हल चलाते थे, बैलगाड़ी खींचकर बाजार ले जाते थे।
किसान भी उनकी अच्छी देखभाल करता था, उन्हे खाना खिलाता था परन्तु उनसे अपने खेतों में खूब काम भी करवाता था। दोनो बैल सारा दिन काम करके थकहार कर घर लौटते थे और खा पी कर सो जाते थे।
एक दिन जब वो दोनो बैल खेतों से काम करके वापस आते है तो उन्हे अपने घर में ही एक मुर्गा दिखाई देता है। किसान उसे चना, दाना तथा अच्छी चीजे खाने को देता था। वह खाता पीता और दिन भर घूमता रहता था। खा-खाकर वह काफी मोटा हो चुका था।
यह सब देखकर पन्ना बैल रत्ना से बोला हम दिन भर खेतों में काम करते है, कड़ी मेहनत करने पर भी मालिक हमें इतना अच्छा खाना नहीं खिलाता। जबकि मुर्गा कुछ करता भी नहीं और अच्छे से अच्छा खाना खाता है।
इस बात पर दूसरा बैल बोला ऐसा मत सोचो भाई। किसान हमें भी अच्छी घास भूसा और ठण्डा पानी खाने पीने को देते है। वह हमारे विश्राम के लिए सूखी घास भी बिछाता और साफ सफाई रखता है।
वह हमारा भी खूब ध्यान रखते है। हमें जितना मिल रहा है उसी में खुश और संतुष्ट रहना चाहिए। तुम देख लेना कि किसान इस मुर्गे को किसी कारणवश ही खिला पिला कर मोटा कर रहा है।
एक दिन दोनों बैलों ने देखा कि किसान अपने साथी के साथ बहुत बढिया खाना खा रहा है। परन्तु मोटा मुर्गा उन्हे कहीं दिखाई नहीं दे रहा था। तब उन दोनो ने जाना कि किसान ने मोटे मुर्गे को अपने साथी के भोजन के लिए काट दिया है।
रूस नाम का एक बहुत बड़ा देश है। वहाँ एक किसान रहता था। एक दिन वह अपने खेतों में काम कर रहा था। तभी उसने देखा कि उसके राज्य के महाराज उसके खेत में आए। महाराज खड़े होकर देखने लगे कि वह कैसे ज़मीन में हल चला रहा है। फिर उन्होंने पूछा, ‘इतनी मेहनत के बाद महीने भर में कितना कमा लेते हो?’
21. पाँच हिस्से – Hindi story for class 2
‘अस्सी रूबल, महाराज।’ किसान ने आदर के साथ उत्तर दिया।
‘और इन अस्सी रूबल को खर्च कैसे करते हो?’ महाराज ने पूछा।
‘महाराज मैं पूरे पैसों के पाँच हिस्से करता हूँ। पहला हिस्सा राज्य के कर चुकाने में जाता है, दूसरे हिस्से से मैं अपना कर्ज़ चुकाता हूँ, तीसरा हिस्सा मैं उधार दे देता हूँ, चैथे हिस्से से घर का खर्च चलाता हूँ और पाँचवाँ हिस्सा मैं दान में दे देता हूँ।’
श्राजा को यह बात सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ। वे समझ नहीं पाए कि कोई व्यक्ति हर महीने उधार भी दे सकता है। उन्होंने किसान से कहा, ‘एक हिस्से से तुम राज्य के कर चुकाते हो, एक से घर का खर्च चलाते हो, यह बात समझ में आई, लेकिन बाकी के तीन हिस्सों वाली बात समझ में नहीं आई। ज़रा ठीक से समझाओ।’
‘महाराज, मेरे पिताजी और माँ ने मुझे बड़ा किया, सब सिखाया। उन्होंने जो कुछ आज तक मेरे लिए किया वह मेरे ऊपर उधार है। अब मेरी बारी है उनकी सेवा करने की। इसीलिए एक हिस्सा मैं उनकी देखरेख पर खर्च करता हूँ। इस तरह मैं उनका कर्ज़ चुकाने की कोशिश करता हूँ।’
अब उधार देनेवाली बात। मेरा एक बेटा है। आज उसके खाने-पीने की, पढ़ाई की और बाकी सारी जरूरतें पूरी करता हूँ, इस तरह मैं उसे उधार दे रहा हूँ। कल को ज बवह बड़ा होगा तो वह हमारी देखभाल करेगा। ठीक उसी तरह जैसे मैं अपने माता-पिता की करता हूँ और तब मैं समझूँगा कि मेरा उधार चुक गया।
रही बात दान करने की, तो यह एक हिस्सा मैं अपनी बेटी के लिए ख़र्च करता हूँ। ज बवह बड़ी हो जाएगी, तब मैं उसका विवाह कर दूँगा। वह हमें छोड़कर दूसरे घर चली जाएगी। इस तरह जो कुछ भी मैं उसके लिए करूँगा, दान समझकर ही करूँगा।
पूरी बात समझने के बाद महाराज बड़े ही प्रसन्न हुए। उन्होंने मान लिया कि किसान बहुत ही चतुर और हाज़िरजवाब है।
उन्होंने किसान को अपना न्याय-मंत्री नियुक्त कर लिया।
22. गुलाब के फूल का बेटा – Famous hindi short stories
एक दुष्ट जादूगरनी थी। उसके घर के सामने एक बड़ा-सा बाग था। बाग में बहुत सारे फूल लगे हुए थे। एक महिला उस घर के आगे से होकर जा रही थी। उसने सुंदर गुलाब देखे। उसने सोचा कि मंदिर में चढ़ाने के लिए एक फूल तोड़ लिया जाय।
लेकिन जैसे ही उसने फूल तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया, जादूगरनी आ गई। वह चिल्लाकर बोली, ‘रूक जा मूर्ख महिला। तूने मेरे फूल को छूआ है। यहाँ किसी को भी मेरे फूल छूने की आज्ञा नहीं है। तेरी इस गलती की सजा तुझे जरूर मिलेगी। मैं तुझे भी गुलाब का फूल बनाती हूं।’
यह कहकर जादूगरनी ने इशारा किया। वह महिला घबराकर रोने लगी। वह बोली, ‘मुझे माफ़ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई। मेरे ऊपर दया करो। मुझे फूल मत बनाओ।’
डसका रोना सुनकर जादूगरनी ने कहा, ‘मैंने एक बार जो कह दिया, वह तो होकर ही रहेगा। मैं इतना कर सकती हूँ कि तेरी सज़ा थोड़ी कम हो जाए। आज पूरे दिन तू इस क्यारी में रहेगी और रात होने पर ही अपने घर जा सकेगी। लेकिन सुबह होते ही तुझे यहाँ वापिस आना होगा।
यदि ऐसा नहीं हुआ तो तू अपने घर पर ही एक फूल बन जाएगी। इसलिए सुबह होते ही यहाँ आ जाना। हाँ, अगर तुझे किसी ने यहाँ के फूलों में से पहचान लिया तो मेरा जादू टूट जाएगा और तू हमेशा के लिए जा सकेगी।’
जदूगरनी के इतना कहते ही वह महिला गुलाब का फूल बनकर एक पौधे से जुड़ गई। रात होते ही वह वापस अपने रूप में आ गई। दिन-भर धूप में रहने से बेचारी परेशान थी। वह देर रात अपने घर पहुँची। घर पर सब परेशान थे।
उसने पूरी कहानी अपने बेटे को सुनाई। उसके बेटे ने कहा – ‘माँ आप सुबह वहाँ वापस चली जाना। मैं आपके कुछ देर बाद आऊँगा और आपको पहचान लूँगा। आप बिल्कुल चिंता मत करो।’
सुबह को सूरज निकलने से भी पहले महिला जादूगरनी के बाग़ में जाकर फूल बन गई। तभी उसका बेटा वहाँ आया। उसने देखा वहाँ गुलाब के बहुत सारे पौधे थे। उन पौधों पर सैकड़ों फूल लगे हुए थे। उसने एक-एक फूल को ध्यान से देखना शुरू किया। काफी सारे फूल देखने के बाद उसने एक फूल चुना और बोला, ‘यही मेरी माँ है।’
इतना कहते ही उसकी माँ पर किया गया जादू टूट गया। वह अपने रूप में वापिस आ गई। खुशी में उसने अपने बेटे को गले से लगा लिया। उसने बेटे से पूछा, ‘एक बात बता बेटा। तूने मुझे पहचाना कैसे?’ बेटे ने कहा, ‘सीधी बात है माँ। जितने भी फूल रात-भर यहाँ रहे, उन सभी पर ओस की बूँदें थीं। लेकिन आप तो रात को घर पर थीं, इसलिए आप बिल्कुल सूखी हुई थीं। मैंने आपको आसानी से पहचान लिया।’
अपने बेटे की बुद्धिमानी देखकर माँ को बहुत खुशी हुई। जादूगरनी ने जब माँ और बेटे का प्यार देखा तो उसको इतना अच्छा लगा कि उसने सबको परेशान करना छोड़ दिया। अब वह दुष्ट जादूगरनी नहीं थीं, बल्कि एक अच्छी और नेक जादूगरनी बन गई थी।
23. झूठ – Small moral stories in hindi
बाजार में खूब भीड़ थी। किसान, दुकानदार, व्यापारी, सब थे। ढेर सारी बैलगाड़ियाँ, घोड़ागाड़ियाँ, ऊँट गाड़ियाँ, सब थीं वहाँ, राजा भी वहाँ आने वाले थे।
अस्तबल में एक घोड़े के छोटे से बच्चे ने जन्म लिया था। घोड़े का बच्चा उठकर चलने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही उसने चलना सीखा, अस्तबल के बाहर भागा। लेकिन बाहर की भीड़ को देखकर वह घबरा गया। इतना शोर-शराबा था बाहर कि वह डरकर एक गाय और बैल के बीच जाकर छिप गया। घोड़े का मालिक उसे ढूँढ़ता हुआ वहाँ आया। उसने देखा कि उसका प्यारा सा घोड़े का बच्च गाय-बैल के बीच खड़ा है। उसने बच्चे को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया। लेकिन तभी गाय का मालिक वहाँ आ गया। वह बोला, ‘यह क्या कर रहे हो। इसे कहाँ ले जा रहे हो। यह मेरा है?’
घोड़ेवाला बोला, ‘क्या कह रहे हो? यह तो घोड़े का बच्चा है। मेरे घोड़े का बच्चा है यह।’
‘नहीं यह बच्चा तो मेरी गाय का है। देखो तो कितने प्यार से खड़ा है उसके पास।‘ गाय का मालिक बोला।
छोनों में झगड़ा होने लगा। तभी राजा वहाँ आ गए। गाय का मालिक और घोड़े का मालिक राजा के पास आए और अपनी-अपनी बात बताई। राजा ने दोनों की बात सुनकर कहा, ‘क्योंकि यह बच्चा गाय और बैल के बीच अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहा था, इसलिए वही इसके माता-पिता हैं।’
राजा की आज्ञा घोड़े के मालिक को माननी ही पड़ी। उसने घोड़े का बच्चा गाय वाले को दे दिया।
कुछ दिनों बाद राजा अपनी बग्घी में सवार होकर कहीं जा रहे थे। उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बीच सड़क पर मछली पकड़ने का जाल बिछाकर बैठा हुआ था। राजा ने सोचा कि कोई पागल व्यक्ति होगा।
उन्होंने सड़क के किनारे पर बग्घी रूकवाई और उस व्यक्ति को अपने पास बुलाया। राजा ने पूछा, ‘यह क्या कर रहे हो? जाल को सड़क के बीचोंबीच क्यों बिछाया हुआ है?’
वह व्यक्ति बोला, ‘महाराज, मैं मछलियाँ पकड़ रहा हूँ।’
‘मछलियाँ? सड़क पर मछलियाँ? क्या तुम पागल हो गए हो?‘ राजा ने पूछा। वह व्यक्ति आदर के साथ बोला, ‘महाराज यदि गाय और बैल एक घोड़े के बच्चे को जन्म दे सकते हैं तो फिर मैं सड़क पर मछलियाँ क्यों नहीं पकड़ सकता?’
म्हाराज ने ध्यान से देखा। अब वे उस व्यक्ति को पहचाने। यह और कोई नहीं घोड़े का वही मालिक था, जो उन्हें बाज़ार में मिला था।
उन्होंने तुरंत अपने सैनिकों को आज्ञा दी, ‘जाओ, उस गाय-बैल के मालिक को बुलाकर लाओ …. तुरंत।’
गाय के मालिक को घोड़े का बच्चा वापिस करना पड़ा। झूठ बोलने के लिए उसे सज़ा भी दी गई। उस दिन से एक महीने तक वह अपनी गाय का ताज़ा दूध घोड़े के मालिक के घर भेजता था – वह भी बिल्कुल मुफ्त!
24. भगवान का काम – Moral stories in hindi for class 7
एक बार राम एक शहर से दूसरे शहर जा रहा था, लेकिन वह सुबह की ट्रेन से चूक गया। इसलिए वह नाश्ता करने की सोचा, राम स्टेशन से बाहर आकर होटल की तरफ चलने लगा।
रास्ते में उसने दो बच्चे को फुटपाथ पर बैठे देखा, और उनके चेहरे को देखकर वह अनुमान लगा सकता था कि वह बहुत भूखे थे। उसने उनके लिए बुरा महसूस किया और उन्हें ₹10 दिया।
इसके बाद जब वह होटल की ओर जा रहा था, उसने अपने आप सोचा “मैं कितना मूर्ख हूं, मैंने उन्हें सिर्फ ₹10 दिया। जब मैं ₹10 से एक कप चाय भी नहीं पा सकता।”
उसने खुद को शर्मिंदा महसूस किया, और उन बच्चों के पास वापस गया। उनसे पूछा क्या वह उसके साथ होटल में खाना पसंद करेगी? तो उन्होंने उस का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
जब बच्चे उनके साथ होटल के अंदर जा रहा था, तो उन्हें रोका, क्योंकि उनके कपड़े बहुत गंदे और फटे हुए थे। यह देखकर राम उन बच्चों को अंदर जाने की अनुमति देने के लिए कहा।
वह अंदर घुस गया और आराम से बैठ गया, जैसे ही खाना आया, राम बच्चों की चेहरे पर मुस्कान देखी और खुश महसूस किया। जब बच्चे खाने लगी तो उनकी चेहरे की खुशी कुछ अलग थी।
भोजन करने के बाद वह वापस लौट गया, जाने से पहले राम उन्हें कुछ पैसा दिया और कुछ कपड़े खरीदने के लिए कहा। लेकिन कई दिनों के बाद भी वह उन लड़कों के बारे में सोचना रहा।
एक दिन मंदिर जाते समय उसने कहा, “भगवान आप कहां है? जब आपके बच्चे भूख से पीड़ित है तो आप कैसे शांत बैठ सकते हैं।” बस अगले ही पल उसके दिमाग में एक विचार आया।
“मैं उन लड़कों के लिए क्या किया, क्या मैं अपनी सोच के साथ ऐसा कर सकता था?” उस पल उन्होंने महसूस किया और समझा की हम जो करते हैं वह भगवान की योजना का हिस्सा है।
जब किसी व्यक्ति की मदद की जरूरत हो, तो भगवान हमें उस व्यक्ति की मदद के लिए भेजते हैं।
25. जीवन के संघर्ष – Moral stories in hindi for class 3
एक बार एक गांव में मनोरंजन उसकी बेटी के साथ रहते थे, वह गांव में खेती का काम करता था, कुछ साल पहले एक दुर्घटना में उसकी पत्नी मर गई, तब से मनोरंजन अपनी बेटी का देखभाल करता था।
लेकिन अब कुछ दिनों से उसकी बेटी उदास रहती थी, एक दिन मनोरंजन उसकी बेटी को पूछा, “क्या हुआ बेटी कुछ दिनों से तुम्हें देख रहा हूं, तुम हमेशा उदास क्यों रहती हो?
मुझे बताओ तुम्हें क्या हुआ है,” उसकी बेटी ने कहा, “पिताजी मैं कुछ दिनों से दुखी हूं पता नहीं कैसे सब ठीक होगा, जीवन में बहुत समस्याएं है अगर एक समस्या की समाधान करती हूं तो दूसरी आ जाती है।
मैं तंग आ चुकी हूं समस्याओं से लड़ते लड़ते,” बेटी की बात सुनकर मनोरंजन ने हाशी और उसे रसोई में बुलाया, मनोरंजन ने रसोई से 3 बर्तन लिया और उसमें पानी डालकर आग में बिठाया।
दो मिनट बाद जब पानी गर्म होने लगी मनोरंजन ने एक बर्तन में आलू, दूसरी बर्तन में अंडा और तीसरी बर्तन में कॉफी डाला। 30 मिनट तक उन तीनों बर्तन को आग में रखा।
उसकी बेटी ने कुछ कहे बिना अपेक्षा कर रही थी, पिताजी ने आखिर कर क्या कर रहा है। 30 मिनट होने के बाद, मनोरंजन ने आलू और अंडे को बर्तन से निकालकर एक कटोरा में रखा।
और कॉफी को एक कप में डाला, मनोरंजन उसकी बेटी को कहा “इन तीनों को देखो,” उसकी बेटी आलू को अपने हाथों से दबाया और कहां, “पिताजी आलू तो बहुत नरम हो गई है।”
मनोरंजन ने कहा, “अच्छा ठीक है तुम जाओ अंडे को तोड़ो” बेटी ने अंडे का खोल खींचने के बाद अंडा हाथ में लेकर कहां, यह कठिन हो गया है। और अंत में बेटी को कहा, यह लो तुम यह कॉफी पी लो।
बेटी ने पूछा, “पिताजी इसका क्या मतलब है,” मनोरंजन उत्तर दिया, “हम आलू अंडे और काफी को तीनों बर्तन में पानी डालकर 30 मिनट तक उन्हें आग में रखा, लेकिन तीनों का प्रतिपुष्टि अलग अलग है।
आलू जो पहले कठिन थी, गर्म पानी में डालने के बाद आलू नरम और कमजोर हो गया है। अंडे का अंदर की चीज जो पहले नजूक था वह अब कठिन बन गया है।
और कॉफी को पानी में डालने के बाद कॉफी पानी का रंग और टेस्ट दोनों ही बदल डाला, कुछ नया बन गया। तो तुम इसमें से कौन सी हो बेटी?”
मनोरंजन ने कहा, “जब प्रतिकूल ता आप के दरबार में दस्तक देती है तो आप कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, क्या आप एक आलू एक अंडे या कॉफी जैसा है।”
26. कठिनाई का सामना – Moral stories in hindi for class 5
एक बार की बात है, एक व्यक्ति रहता था जिसे ईश्वर पर भरोसा था। एक दिन वह गहरी नींद में सो रहा था, अचानक एक विशाल ध्वनि ने उसे जगा दिया।
उसने देखा कि उसका कमरा रोशनी से भरा है, तभी भगवान उसके सामने प्रकट हुए। उसे अपने घर की बाहर एक बड़ी चट्टान दिखाई दी, भगवान उससे कहा कि वह उस चट्टान को धकेल दे।
अगली सुबह जब नींद से उठा, तो उसे याद आया उसने कल रात क्या देखा था। वह बाहर निकल गया, और अपने पूरी शक्ति के साथ इसे धक्का दिया, लेकिन इसे स्थानांतरित करने में सक्षम नहीं था।
कई सालों से आदमी ने उस चट्टान को हटाने की कोशिश क्या, लेकिन चट्टान कहीं नहीं गया था। आदमी निराश हो गया था, लेकिन उसने भगवान को अपने परेशानी के बारे में बताने का फैसला किया।
उन्होंने प्रार्थना की, “मैंने आपकी सेवा में लंबी और कड़ी मेहनत की है, जो आपने मुझे करने के लिए कहा है। लेकिन मैंने उस चट्टान को नहीं हिला पाया, मैं क्यों असफल हो रहा हूं?”
तभी भगवान प्रकट हुए और कहां, “मेरे बच्चे मैंने तुम्हें इस चट्टान को धकेलने के लिए कहा था, और तुमने इसे स्वीकार कर लिया, लेकिन मैंने इसे स्थानांतरित करने के लिए कभी नहीं कहां।
आपका काम सिर्फ धक्का देना था, और इन सभी के बाद आपको लगता है कि असफल हो गए हैं, क्या वास्तव में ऐसा है? आप खुद को देखो, आपकी बाहें और मसल कितनी मजबूत हो गया है।
आपने चट्टान को नहीं हिलाया, लेकिन आपका प्रयास आज्ञाकारी होना और धक्का देना और अपने विश्वास पर दबाव डालना और उसका अभ्यास करना, यह तुमने किया है।”
27. अच्छे काम के इनाम – Panchatantra short stories in hindi with moral
एक बार कृष्ण और अर्जुन टहलने के लिए निकले, रास्ते में उन्होंने एक गरीब पुजारी को भीख मांगते देखा। अर्जुन को उस पर दया आया, और उसने उसे सोने के सिक्कों से भरा बैग दिया।
पुजारी ने अर्जुन को धन्यवाद दिया, और अपने घर की तरफ चलना शुरू किया। रास्ते में पुजारी को एक चोर ने लूट लिया फिर पुजारी खाली हाथ घर पहुंचा।
पुजारी निर्वाचित हो गया और फिर से भीख मांगने चला गया, अगले दिन जब अर्जुन पुजारी को फिर से भीख मांगते देखा तो उन्होंने उससे कारण पूछा, पुजारी ने उन्हें पूरी घटना के बारे में बताया।
और अर्जुन इस बार उसे हीरे की अंगूठी दी, पुजारी खुशी से अपने घर गया। घर पहुंचने पर वह अंगूठी एक खाली बर्तन में रख दिया और सोने चला गया।
बाद में उसकी पत्नी नदी से पानी लाने के लिए उसके साथ बर्तन ले गए। जैसे ही उसने पानी भरने के लिए नदी में बर्तन रखे, हीरे की अंगूठी पानी के प्रभाव के साथ चली गई।
पुजारी की किस्मत बहुत खराब थी, उसने फिर से भीख मांगना शुरू किया। फिर से उस भिखारी को भीख मांगते हुए देखकर अर्जुन आश्चर्यचकित रह गया, अर्जुन उससे पूछताछ करने लगा।
तभी श्रीकृष्ण मुस्कुराया, और उस पुजारी को एक तांबे का सिक्का दिया। अर्जुन ने कहां, “भगवान मैंने उसे सोना और हीरे दिए, इसने उसकी मदद नहीं की
सिर्फ एक तांबे का सिक्का उस गरीब पुजारी को क्या मदद करेगा?” श्री कृष्ण मुस्कुराया और अर्जुन से कहा, प्रतीक्षा करें और देखें। फिर पुजारी घर जाते वक्त एक मछुआरे को देखा।
पुजारी मछुआरे को सिक्का देकर एक मछली खरीदी, वह उस मछली को ले गया और एक बर्तन में रख दिया, जब मछली छोटे से बर्तन में संघर्ष कर रही थी।
तो उसने बर्तन में एक हीरे देखा, वह खुशी के साथ चिल्लाया “मुझे मिल गया, मुझे मिल गया” उसी समय जिस चोर ने पुजारी का बैग लूट लिया था, वह वहां से गुजर रहा था।
उसने सोचा पुजारी ने उसे पहचान लिया और उसे सजा मिल सकती है, वह घबरा गया और पुजारी से माफी मांगी। और सोने के सिक्कों से भरा बैग पुजारी को लौटा दिया।
पुजारी विश्वास नहीं कर सकता अभी क्या हुआ, अर्जुन यह सब देखा और कहां, “अब मैं आपका खेल समझा हूं!”
28. कुछ अलग करो – New moral stories in hindi
एक बार की बात है, रोहित प्रतिदिन समुद्र तट पर घूमने जाते थे, एक दिन उसने वहां एक आदमी को देख जो कुछ लेने के लिए नीचे झुक रहा था और फिर उसे पानी में फेंक दिया।
जब रोहित उस आदमी के पास गया तो उसने देखा कि, वह पानी से स्टारफ़िश उठा रहा था और उन्हें वापस पानी में फेंक रहा था। रोहित उलझन में पड़ गए और उस आदमी को कहा।
शुभ प्रभात, “मैं सोच रहा था कि तुम क्या कर रहे हो?” उस आदमी ने मुस्कुराया और जवाब दिया, “मैं वापस स्टारफ़िश फेंक रहा हूं जो किनारे पर था।
अगर मैं उन्हें वापस समुद्र में नहीं फेकूँगा, तो स्टारफ़िश ऑक्सीजन की कमी के कारण यहां मर जाएगा।” रोहित ने उत्तर दिया, “मैं समझाता हूं”
फिर थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा, “लेकिन इस समुद्र तट पर हजारों स्टारफ़िश होती है, आप उन सभी को प्राप्त नहीं कर सकते हैं। इन स्टारफ़िश को वापस समुद्र में फेंकने से कोई फर्क पड़ सकता है?”
आदमी ने मुस्कुराया, वह नीचे झुककर और एक स्टारफ़िश उठाया, फिर उसे भी वापस समुद्र मैं फेंक दिया। फिर उस मछली की ओर इशारा करते हुए उसने कहा, “इससे उस पर जरूर फर्क पड़ेगा।”
29. लालची शेर – Top 10 moral stories in hindi written
एक बार जंगल में रहता था एक शक्तिशाली शेर, वह जंगल के राजा थे। शेर राजा रोज जानवरों का शिकार करते थे अपनी भजन के लिए, सभी जानवर शेर से बचने के लिए जंगल में छुपा रहते थे।
कारण शेर को शिकार करना बहुत मुश्किल हो गई थी, इसीलिए शेर एक लोमड़ी को काम पर रखा। लोमड़ी जंगल में जाकर जानवर की पता करती थी, और फिर शेर जाकर उसे भजन करते थे।
एक दिन शेर लोमड़ी को कहा, तुम जंगल में जाकर पता करो सभी जानवर मेरे बारे में क्या सोचते हैं। लोमड़ी तुरंत जंगल में जाकर सभी जानवर से पता किया, फिर शेर को आकर कहा।
“महाराज आप सभी जानवर को आसानी से पकड़ सकते है, इसलिए जंगल के सभी जानवर आप से डरते है, जंगल में आपसे ज्यादा तेज और कोई भी नहीं है।
महाराज आप इस जंगल के शक्तिशाली राजा हो, लेकिन मैं अगर चुपके से आपको जनवर का पता नहीं देता तो आप भूखा ही रहते। अगर मैं एक दिन का भी छुट्टी लूं तो आप उस दिन भूखा रह जाएंगे।”
अगले दिन लोमड़ी ने छुट्टी लिया, शेर सारा दिन लोमड़ी के इंतजार करते करते परेशान होकर खुद शिकार करने निकला, रास्ते में उसने एक खरगोश को देखा। शेर चुपके से खरगोश की ओर जा रही थी,
लेकिन खरगोश अपनी लंबी कानों से शेर के पैरों की आवाज सुन लेती है, और वह वहां से भागती है। लेकिन खरगोश ज्यादा दूर नहीं भाग पाया शेर ने उसे पकड़ लिए थे।
फिर उसे खाने वाले थे, उसी समय शेर ने एक हिरण को देखा, हिरण उधर घास खा रही थी। शेर ने सोचा, “यह खरगोश तो बहुत छोटा है, इससे मेरी पेट नहीं भरेगी मुझे तो उस हिरण को पकड़ना चाहिए।”
यह सोचकर शेर खरगोश को छोड़ दिया, और हिरण को पकड़ने के लिए उसके पीछे भागा, हिरण भागते भागते जंगल में झाड़ियों के पीछे छुप गया। शेर हिरण को इधर उधर बहुत ढूंढा लेकिन उसे हिरन नहीं मिली।
फिर शेर निराश होकर जहां खरगोश को पकड़ा था वहां लौट आया, उसने देखा वहां खरगोश नहीं थी खरगोश भी भाग गई। भूखा शेर ने सोचा अगर हमें हिरण के लालच नहीं होती,
तो कम से कम खरगोश मिलती भजन के लिए, शेर बहुत ही दुखी होकर वहां बैठी थी, एक पेड़ की पीछे से लोमड़ी ने यह सब कुछ देख कर मजा ले रही थी।
“हा हा हा शेर घमंडी ही नहीं लालची भी है, इसीलिए उसकी हाथों में कोई नहीं आया। जो थे वह भी भाग गई, हा हा हा।”
30. कर्ण की उदारता – Moral stories in hindi for class 8
एक बार जब श्रीकृष्ण और अर्जुन टहलने के लिए निकले थे, तो अर्जुन ने कहा, “मुझे समझ नहीं आया की कर्ण को सबसे उदार व्यक्ति क्यों माना जाता है,” कृष्ण मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
“मैं अभी आप को नहीं बताएंगे आप खुद देख सकते हैं,” तभी श्री कृष्ण ने दो नजदीकी पहाड़ियों को सोने में बदल दिया। फिर अर्जुन को निर्देश दिया, गांव के लोगों में यह सोना वितरित करें।
जैसा निर्देश दिया गया था, अर्जुन तुरंत गांव वालों को बुलाया, जब गांव वाले आए तो उन्हें एक लाइन में खड़ा होने के लिए कहा। और फिर एक-एक करके उन्हें सोना देना शुरू किया।
गांव वालों ने उसकी प्रशंसा करने लगे, सभी की प्रशंसा सुनकर अर्जुन को गर्व महसूस हुआ। लगातार दो दिन और रातों तक अर्जुन सोना गांव वाले के बीच वितरण करता रहा।
अर्जुन बहुत थका हुआ था, और पहाड़ी से सोने का एक टुकड़ा भी कम नहीं हुआ। अर्जुन इतना थक गया वह श्री कृष्णा के पास गया और कहा, “मैं थक गया हूं अब और नहीं कर सकता।”
फिर श्री कृष्ण ने कर्ण को बुलाया, और उसे सोना वितरण करने के लिए कहा। कर्ण सभी गांव वाले को बुलाया और घोषणा की, “यह सोना आपके लिए है, आप अपनी आवश्यकता के अनुसार ले सकते हैं।”
यह करने के बाद कर्ण चला गया, अर्जुन हैरान था. कृष्ण ने अर्जुन से कहा, जब आपको सोना वितरण करने के लिए कहा गया, तो आप प्रत्येक ग्रामीण की सोना की आवश्यकता के बारे में निर्णय ले रहे थे।
जहां कर्ण ने सारा सोना छोड़ दिया और चला गया, उसने लोगों की प्रशंसा सुनने के लिए भी इंतजार नहीं किया। उसे इस बात में कोई दिलचस्पी नहीं थी, कि लोग उसके बारे में क्या कहेगी।
यह एक ऐसे व्यक्ति का संकेत है जो प्रबुद्ध हो गया है। अर्जुन के सवाल का जवाब उन्होंने सुंदर तरीके से दिया।
31. मन की शांति – Hindi story for class 5
एक बार शाम सड़क पर किसी चीज की तलाश कर रहा था, उनका एक पड़ोसी जब शाम को कुछ ढूंढते हुए देखा वह उससे पूछा, क्या हुआ? शाम जवाब दिया “मैंने अपनी चाबी खो दी”
वह उनके साथ चाबी खोजने लगी, जल्द ही दो और पड़ोसी उनके साथ हो गए, लेकिन किसी को चाबी नहीं मिली। आखिरकार एक पड़ोसी ने पूछा, “तुमने इसे कहां खोया?”
शाम ने उत्तर दिया, “मैं यहां अपनी चाबी नहीं कोई, मैंने इसे अपने घर में खो दिया।” सभी लोग निराश थे, उन्होंने शाम से पूछा, “यदि आपने इसे वहां खो दिया, तो इसे यहां क्यों ढूंढ रहे हैं?”
शाम ने जवाब दिया, इसीलिए क्योंकि मेरा घर मैं रोशनी थोड़ा कम है, लेकिन यहां सड़क पर बहुत तेज है। उसकी बात सुनकर पड़ोसी चाबी ढूंढना बंद किया, और हंसने लगा।
तभी शाम ने मुस्कुराते हुए कहा, “दोस्तों यह स्पष्ट है कि आप सभी बुद्धिमान है, फिर आप अपने मन की शांति क्यों खो देते हैं, सिर्फ एक असफल रिश्ते या नौकरी के कारण?”
शाम ने पड़ोसियों की छाती की ओर इशारा करते हुए कहा, “तुम लोग उदास क्यों हो? आप अपना आनंद वहां या यहां खो देते हैं।
आप अपने अंदर देखने से बचते हैं, क्योंकि प्रकाश हल्का हो जाता है। इसीलिए अधिक सुविधाजनक है!” पड़ोसियों ने समझा कि शाम उन्हें क्या सिखाना चाहता था।
32. सभी माध्यमों का उपयोग – Story Kahaniyan
एक बार एक पिता और पुत्र बगीचे में काम कर रहे थे, बच्चा अपने पिता से प्रशंसा प्राप्त करना चाहता था। इसलिए वह अपने पिता की निर्देशों के अनुसार छोटे छोटे काम करके पिता की मदद कर रहा था।
पिता और उनका बेटा बगीचे के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे थे, पिता ने अपने बेटे की पास एक पत्थर देखा। पिता ने कहा, “बेटा पत्थर को उस जगह से हटा दो, हम वहां एक सुंदर पेड़ लगाएंगे।”
पिता के निर्देशों के अनुसार, बच्चे ने उस पत्थर को हटाने की कोशिश की लेकिन वह सक्षम नहीं हुआ। बच्चे ने अपने पिता से कहा, “पिताजी मैं इस पत्थर को हटाने में सक्षम नहीं हूं।”
पिता उत्तर दिया, “फिर से कोशिश करो उस जगह से पत्थर को हटाने के लिए अपने सभी साधनों का उपयोग करो।” बच्चे ने फिर से अपनी पूरी ताकत इस्तेमाल किया,
लेकिन वह फिर से पत्थर को उस जगह से नहीं हटा पाया, बच्चा थक गया और रोना शुरू कर दिया, क्योंकि वह अपनी सभी प्रयासों का उपयोग करने के बाद भी सक्षम नहीं था।
अपने पुत्र को रोता हुआ देखकर पिता उसके पास बैठा और कहां, “तुम क्यों रो रहे हो?” बच्चे ने जवाब दिया “पिताजी मैंने उस पत्थर को निकालने की पूरी कोशिश की फिर भी मैं नहीं कर पाया।”
“लेकिन तुम मेरे बारे में भूल गए, मेरे प्रिय। अगर आपको मदद की जरूरत है तो आपने मुझे शामिल क्यों नहीं किया?” पिता ने कहा। यह सुनकर बालक मुस्कुराया,
और फिर से अपने पिता के साथ काम करने लगा। अब अपने पिता की मदद से वह उस स्थान से पत्थर को आसानी से हटा दिया, फिर उनके पिता उस जगह पर एक नया पेड़ लगाया।
33. चींटी और टिड्डा – Hindi story for class 3
एक बार की बात है, एक चींटी थी वह एक खेत में रहती थी, उसी खेत की एक बिल में एक टिड्डा रहती थी। वह दोनों मित्र थे, टिड्डा बहुत आलसी था। गर्मियों के महीनों में टिड्डा गाया, और पूरा महीनों इधर उधर घूम कर बिताया।
वह सर्दियों के मौसम के लिए भोजन का इंतजाम नहीं किया। टिड्डा बहुत लापरवाही थी, लेकिन चींटी अलसी नहीं थी। वह गर्मी में दिन रात काम किया, उसने सर्दियों के मौसम के लिए बहुत सारा खाना इकट्ठा किया।
सर्दियों में खेत बर्फ से ढक गया, टिड्डा के पास सर्दियों में खाने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन चींटी के पास बहुत सारा खाना थी, उसने इकट्ठा करके रखी थी, ताकि सर्दियों में उसे बाहर ना निकल ना पड़े।
एक दिन टिड्डा कुछ खाना उधार लेने के लिए चींटी के पास गया, चींटी ने उससे पूछा गर्मी के दिनों में तुम क्या कर रहे थे? टिड्डा ने जवाब दिया उसने गर्मियों के दौरान गाया और बजाया।
टिड्डा की बात सुन के चींटी ने उत्तर दिया, आप गर्मियों के दिन गाना बजा कर बिताया, तो आपको सर्दियों में नित्य करना चाहिए, टिड्डा वहां ठंड में खड़ा होकर रोते रहे, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
34. बुद्धिमान की प्रतिक्रिया – Any moral story in hindi
एक बार, एक बुद्धिमान व्यक्ति ने एक बहुत बड़ा और सुंदर घर खरीदा। इस घर के सामने एक विशाल बगीचा था और यह बहुत सारे फल वाले पेड़ों से भरा हुआ था. बुद्धिमान व्यक्ति स्वभाव से बहुत अच्छा था। वहां रहने वाले सभी को प्यार और सम्मान से स्वागत करता था। उसके पड़ोसी में हर कोई उसे पसंद करता था, सिवाय एक को छोड़कर।
यह पड़ोसी एक बूढ़ा आदमी था। जो उसके बगल में रहता था और उससे ईर्ष्या करता था। क्योंकि, वहां के रहने वाले सभी लोग उसे पसंद करते थे और यह बूढ़े को पसंद नहीं था। बढ़ा चाहता था कि, वह उस मोहल्ले को छोड़कर चला जाए। इस लिए बुरा पड़ोसी ने, अपने नए पड़ोसी को परेशान करने का सोचा।
ताकि, उसका हर दिन किसी ना किसी तरह से खराब हो जाए। कुछ दिन तक बूढ़े पड़ोसी ने कहीं तरीका आजमाएं। लेकिन, उसे अपने नए पड़ोसी से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इससे वह बहुत गुस्सा हो गया। और फिर एक दिन बूढ़े ने अपना सारा कचरा उठाकर, रात को अपने पड़ोसी की दरवाजे के सामने फेंक दिया।
अगली सुबह बुद्धिमान व्यक्ति उठा और अपने दरवाजे से बाहर आया। तो उसने देखा कि, वहां ढेर सारा कचरा फेंका गया था। उसने अपना घर साफ किया और बहुत सारा कचरा एक बाल्टी में इकट्ठा कर लिया। वह जानता था कि, यह उस बूढ़े आदमी का काम है।
फिर, वह बाल्टी लेकर बूढ़ा आदमी के घर गया और दरवाजा खटखटाया। बूढ़ा आदमी ने खिड़की से झांक कर देखा कि, यह वह नया पड़ोसी है। वह मुस्कुराया और अपने आप में सोचा कि, आखिरकार बह उसे क्रोधित करने में सक्षम हुआ। और अब वह उससे झगड़ा करने के लिए आया।
जब बूढ़ा व्यक्ति ने दरवाजा खोला, तो बुद्धिमान व्यक्ति ने उसे बह बाल्टी दी। जब बूढ़े ने उस बाल्टी के अंदर देखा, तो उसमें ताजा सेब से भरा हुआ था। फिर बुद्धिमान व्यक्ति ने यह कहते हुए घर लौटा। “जो किसी चीज से बहुत धनी है, उसे दूसरों के साथ साझा करना चाहिए।”
इस बुद्धिमान व्यक्ति की बात सुनकर, उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। और उसे अपने कर्म के लिए शर्मिंदा महसूस हुई।
35. बेकार नहीं – Moral stories in hindi for class 9
एक बार, एक मछली नदी के किनारे तैर रही थी। अचानक उसे एक आवाज सुनाई दी। “कि पानी कैसा है?” मछली अपना सिर ऊपर की और उठाया। तो देखा कि पेड़ पर एक बंदर बैठा है। मछली ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “पानी अच्छा और ठंडी है।”
बंदर को थोड़ा जलन महसूस हुई। वह मछली को छोटा करना चाहता था। इसीलिए बंदर ने मछली को कहा, “तुम्हें पानी से बाहर आना चाहिए, और हमारे साथ इस पेड़ पर चढ़ना चाहिए। यहां से नजारा वाकई अद्भुत है।” मछली उदास होकर बंदर को कहां, “मुझे पेड़ में चढ़ना नहीं आता। और मैं पानी के बिना जीवित नहीं रह सकता।”
मछली को उदास देखकर, बंदर ने मछली का मजाक उड़ाते हुए कहा। “अगर तुम एक पेड़ पर भी नहीं चढ़ सकते, तो तुम बिल्कुल बेकार हो।” बंदर की बात सुनकर, मछली ने दिन-रात इसके बारे में सोचने लगी। और बेहद उदास हो गई। वह अपने मन ही मन सोचने लगा।
“हो सकता है बंदर सही कह रहा था। अगर मैं एक पेड़ पर भी नहीं पढ़ सकता, तो मैं बहुत ही बेकार हूँ। वह बंदर ठीक ही कह रहा था।” नदी में एक और मछली ने देखा, कि वह मछली बहुत उदास थी। और उस मछली ने उनसे अपनी उदासी का कारण पूछा।
मछली ने, उस बंदर के बारे में उसे सब कुछ बताया। यह सुनकर उस मछली को बहुत हंसी आई। और उसने बताया, “अगर बंदर को लगता है, तुम बेकार हो। क्योंकि, तुम पेड़ पर चढ़ना नहीं जानते हो। तो बंदर भी बेकार है। क्योंकि वह पानी के नीचे हमारे साथ नहीं रह सकता है।”
इस मछली की बात सुनकर उसे एहसास हुआ, कि यह कितना प्रभावशाली है। और बंदर की बातों के अनुसार खुद को बेकार समझना कितना गलत था। कुछ दिन बीत गए। फिर एक दिन, अचानक बंदर पेड़ से फिसल कर पानी में गिर गया। वह तैरना नहीं जानता था, इसलिए नदी में डूब कर मर गया।
बंदर की मौत के बारे में जानने के बाद,मछली ने प्रकृति के प्रति कृतज्ञ महसूस किया। और इतनी अद्भुत क्षमता पाकर वह बहुत खुश था।
36. नजर रखना – Simple story in hindi
एक बार एक सर्कस ग्रुप में, एक छोटी लड़की और एक युवा महिला एक साथ काम करती थी। वे साथ में प्रदर्शन करते थे। युवा महिला छोटी लड़की को विभिन्न तकनीकें सिखाती। और छोटी लड़की आज्ञाकारिता के साथ सब कुछ सीखती।
शो में उनके प्रदर्शन में, युवती हाथ में एक पोल बैलेंस रहती थी। और छोटी लड़की को, इसके ऊपर चढ़ना पढ़ती थी। और जब छोटी लड़की शीर्ष पर पहुंची थी, तो युबा महिला ने अपना संतुलन बनाए रखती। और युवती इसे लेकर घूमती थी।
अपने प्रदर्शन के दौरान, दोनों जानते थे संतुलन बनाए रखना। और किसी भी दुर्घटना होने से रोकने के लिए, अपना पूरा ध्यान रखती। फिर, एक दिन युवा महिला ने छोटी लड़की को कहा। “सुनो प्रिया, हमारी प्रदर्शन के दौरान तुम मुझे देखना और मैं तुम्हें देखूंगी।
ताकि, हम एक दूसरे की संतुलन बनाए रखने में मदद कर सके। और किसी भी दुर्घटना होने से रोक सकें। और प्रदर्शन में अपना कार्य पूरा कर सके।” छोटी लड़की ने जवाब दिया, “दीदी, मुझे लगता है, कि हम में से प्रत्येक के लिए यह सबसे बेहतर होगा।
हम हमेशा खुद को देखें। खुद की देखभाल करने का मतलब है, हम दोनों की देखभाल करना। मुझे यकीन है, हम दुर्घटना से हमेशा बचेंगे। और अपना कार्य पूरा करेंगे।”
37. कुछ और मूल्यवान – A small story in hindi
एक बार की बात है, ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में एक बहुत ही शक्तिशाली और अमीर व्यापारी रहते थे। उसने एक बार मीडिया के सामने घोषणा की। “बह अपनी मिलियन डॉलर की गाड़ी जमीन में गाड़ देगा। ताकि वह मरने के बाद भी उस गाड़ी को चला सके।
” इस बात को लेकर मीडिया वालों ने बहुत चर्चा की। शहर के लोग सुनते ही उसके बारे में बहुत खराब खराब बातें करना शुरू कर दिया था। कुछ लोग इतनी कीमती गाड़ी को बर्बाद करने के लिए उनकी आलोचना भी की। क्योंकि अमीर व्यापारी इसे किसी को दान कर सकते है।
कहीं समालोचना के बाद भी, वह निर्धारित तिथि पर समारोह में गए थे। उस समारोह को दिखाने के लिए, कहीं मीडिया वहां उपस्थित थे। उस कीमती गाड़ी को दफनाने के लिए मैदान तैयार किया गया था। उस गाड़ी को जमीन पर लाने के कुछ ही मिनट पहले अचानक उसने घोषणा की।
“कि वह अपने गाड़ी को नहीं दफनाए गा।” उसकी बातें सुनकर वहां मौजूद लोग असमंजस में पर गए थे। और उनकी घोषणा पर बहुत सवाल उठाया। तभी उन्होंने सभी लोगों के मन में अच्छे विचार पैदा करने के लिए। उसके द्वारा किए गए, ड्रामा की असली मकसद के बारे में लोगों को बताया।
उन्होंने कहा लोग मेरे निंदा करते हैं। क्योंकि, मैं एक मिलियन डॉलर की गाड़ी को दफनाना चाहता था। वास्तव में ज्यादातर लोग, मेरे गाड़ी से भी अधिक कीमती चीजों को दफनाते हैं। वे आंखें, किडनी और मनुष्य मरने के बाद उसके शरीर को दफन कर देते हैं। यह बेतुका है।
दुनिया में बहुत सारे लोगों को जीवित रहने के लिए आंखें और किडनी की जरूरत पड़ती है। जो लोग इसके लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। और आप अपने स्वस्थ अंगों को दफनाते हैं। जो इतने लोगों की जान बचा सकते हैं।
38. ऋषि और चोर – Moral kahaniyan
एक बार की बात है, गाजीपुर में एक ऋषि था। गंगा नदी के किनारे वह अपनी छोटी सी कुटिया में रहते थे। बहुत से लोग उनसे मिलने के लिए, उनके पास जाते थे। लोग प्रसाद खरीद कर उनका अभिवादन करते थे। एक दिन एक चोर वहां से गुजर रहा था।
उसने ऋषि की कुटिया को देखा और कुछ देर तक उसे देखता रहा। उसने देखा वहां चांदी के बहुत से बर्तन थे। और सभी उसकी कुटिया कि एक कोने में, एक छोटी सी जगह में रखे हुए थे। एक रात चोर खिड़की से छुपकर उसकी कुटिया में घुस गया। और चांदी के बर्तन चुरा कर अपने बैग में रखने लगा। ऋषि अपनी कुटिया के ठीक बाहर ध्यान कर रहे थे।
जैसे चोर बर्तन चुरा रहा था। उसने कुछ आवाज किया, जिसे ऋषि ने सुना। फिर ऋषि ने अंदर आकर चोर को देखा। ऋषि को देखकर चोर बहुत डर गया। और बर्तनों का बैग वहां छोड़कर चोर वहां से भागने लगा। फिर ऋषि तुरंत वह बैग लिया और चोर के पीछे पीछे भागने लगा। जल्दी ऋषि ने चोर को पकड़ लिया।
चोर बहुत डर गया। फिर ऋषि ने उनसे कहा, “क्यों भाग रहे हो? तुम डरते क्यों हो? अपना बैग पीछे छोड़ दिया, यह लो यह तुम्हारा बैग है। तुम मेरे साथ आओ मैं तुम्हें कुछ और दूंगा।”
ऋषि ने चोर को अपने साथ आने के लिए कहा। और चोर को अपना कुटिया में जो कुछ भी था, उसे देख कर घर भेज दिया। बरसों बाद स्वामी विवेकानंद जी एक तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे। और उन्होंने देखा कि एक व्यक्ति बहुत ज्यादा ठंड मे रास्ता पर असहाय पड़ा हुआ है।
यह देखकर, स्वामी विवेकानंद जी ने अपना कंबल निकालकर उस असहाय व्यक्ति को दे दिया। आदमी ने स्वामी जी की और देखा और स्वामी जी को उस चोर और ऋषि की कहानी सुनाने लगा।
उस आदमी ने कहानी सुनाते हुए कहा, “क्या आप गाजीपुर के उस ऋषि बाबा के बारे में जानते है? मैं वह चोर हूं। जिस दिन से ऋषि ने मुझे छुआ, उसी दिन से मेरे जीवन में परिवर्तन आ गया। मैंने चोरी करना छोड़ दिया है। और मैंने अपने अतीत में किए गए पापों का प्रायश्चित कर रहा हूँ।”
स्वामी विवेकानंद जी सच्चे हिंदू ऋषि की सच्ची शक्ति और उनके आसपास के लोगों पर उनके सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताने के लिए, इस कहानी को साझा किया है।
39. पैसा ही सब कुछ नहीं है – Short story in hindi for class 10
राम एक 10 साल का लड़का था, वह अपने माता पिता के इकलौते पुत्र थे, राम के पिता एक बहुत व्यस्त व्यापारी थे जो अपने बेटे के साथ समय नहीं विता सकते थे। वह राम सोने के बाद घर आता था, और सुबह उठने से पहले ही ऑफिस चला जाता था। वह अपने दोस्तों के साथ बाहर जाता और अपने पिता के साथ खेलना चाहता था।
एक दिन शाम को राम अपने पिता को देखकर हैरान था, वह अपने पिता से पूछा, ‘आप एक साल में कितना कमाते हैं?’ राम के पिता हैरान थे उसने कहा, ‘राम तुम यह सवाल क्यों पूछ रहे हो’ लेकिन राम लगातार सवाल पूछता गया, ‘क्या आप बता सकते हैं आप एक घंटे में कितना कमाते हैं?’ राम के पिता ने जवाब दिया $25 प्रति घंटे होगा।
फिर राम अपने कमरे में गया और गुल्लक के साथ नीचे आया, जिसमें उनकी बचत थी। ‘पिताजी, मेरे गुल्लक में $50 है, क्या आप मेरे लिए दो घंटे का समय दे सकते हैं?’
‘मैं समुद्र तट पर कल शाम आपके साथ भजन करना चाहता हूं, क्या आप मेरे साथ जा सकते हैं?’ उसकी बात सुनकर राम के पिता अबाक भक्त थे।
पिता माता अपने बच्चों को जो सबसे बड़ा उपहार दे सकते हैं वह है समय, पैसा से सब कुछ नहीं खरीद सकता है।
40. लकड़हारा और लोमड़ी – Moral stories in hindi with moral
एक बार की बात है, एक भूखा लोमड़ी था जो खाने के लिए कुछ ढूंढ रहा था, वह बहुत भूखा था। वह खाना ढूंढने में बहुत कोशिश की लेकिन उसे भोजन नहीं मिला।
अंत में लोमड़ी जंगल पर गया और वहां भोजन की तलाश की, अचानक उसे एक छेद वाले बड़ा पेड़ नजर पड़ी, उस छेद में एक पैकेज था। भूखा लोमड़ी ने सोचा कि इसमें भजन हो सकता है।
लोमड़ी बहुत खुश होकर छेद में कूद गया, जब उन्होंने पैकेज खोला, तो उन्होंने उसमें रोटी मांस और फलों के टुकड़े देखें। लोमड़ी बहुत खुश होकर खाना खाने लगी।
जंगल में पेड़ों को कटने से पहले एक लकड़हारा ने भजन को उस छेद में रख दिया था, लकड़हारा इसे अपने दोपहर के भजन के लिए रखा था।
खाना खाने के बाद लोमड़ी को प्यास लगी, और उसने पास के झरने का पानी पीने का फैसला किया। हालांकि, उसने कितनी भी कोशिश की लेकिन वह छेद से बाहर नहीं निकल पाया।
लोमड़ी इतना खाना खा लिया था कि वह छेद में फिट होने के लिए बहुत बड़ी हो गई थी। लोमड़ी बहुत दुखी और परेशान थे, उन्होंने खुद कहा, ‘काश मैंने छेद में कूदने से पहले थोड़ा सोचा होता’।
41. असली धन – 10 Lines short stories with moral in hindi
एक बार की बात है, एक शहर में एक बहुत अमीर आदमी रहता था। वह हमेशा अपने दोस्त और रिश्तेदारों में अपने धन को लेकर घमंड करता था।
उसकी बेटा एक दूर शहर में पढ़ रहा था, और वह छुट्टी पर घर आया था। वह अपने बेटे को दिखाना चाहता था कि वह कितना अमीर है, लेकिन उनके बेटे को अमीर बनने का शौक नहीं था।
उन्होंने गरीब लोगों के जीवन को दिखाने के लिए पूरी शहर में एक दिन की यात्रा की योजना बनाई, पिता और पुत्र ने एक रथ लिया और पूरे दिन नगर का भ्रमण किया, वह दो दिन बाद घर लौटे।
फिर अमीर आदमी ने अपने बेटे से पूछा, ‘यात्रा कैसी थी?’ बेटे ने जवाब दिया ‘यह आपके साथ एक शानदार यात्रा थी.’ ‘अंत में आपको एहसास हुआ कि गरीब कैसे वास्तव में रहते हैं’ पिता ने कहा।
बेटे ने उत्तर दिया, ‘नहीं पिताजी हमारे पास केवल दो कुत्ता है, उनके पास 10 कुत्ता है, हमारे पास विभिन्न देशों से आयातित शानदार रोशनी है, लेकिन वहां हजारों सितारे हैं उनकी रातों रोशनी।
हम उनसे खाना खरीदते हैं, लेकिन वह इतनी समृद्ध है कि वह अपने स्वयं के भोजन की खेती कर सकते हैं।’ अमीर पिता अपने बेटे की बात सुनकर गूंगा और अवाक रह गया।
अनंत में अंत में बेटे ने कहा ‘पिताजी, मुझे दिखाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कि कौन अमीर और कौन गरीब है, मुझे यह समझाने के लिए धन्यवाद कि हम वास्तव में कितने गरीब है।’
सच्ची दौलत अच्छी दोस्त और दयालु रिश्तो में बनती है।
42. सिक्के का मूल्य – Kahaniyan story
भारत के पिता रूप में सम्मानित महात्मा गांधी एक बहुत ही खास व्यक्ति थे, एक बार गांधी एक संगठन के लिए विभिन्न शहरों से गरीबों की मदद के लिए धन इकट्ठा करने की अभियान पर थे।
वह कई स्थानों पर गया अंत में उड़ीसा पहुंचा। उन्होंने उड़ीसा में एक सभा का आयोजन किया, गांधी जनता को एक भाषण दिया, जिसमें उसने संगठन के लिए धन देने का अनुरोध किया।
भाषण की आंत में, पीछे की ओर एक बूढ़ी महिला खड़ी हो गई। उन्होंने स्वयंसेवकों से अनुरोध किया कि उन्हें गांधी तक पहुंचने की अनुमति दें, हालांकि स्वयंसेवकों ने उसे रोक दिया।
लेकिन उसने हार नहीं मानी, उनके साथ लड़ी और गांधी के पास पहुंची। वह गांधी के पैर छुए, फिर उसने एक सिक्का निकाला और गांधी के चरणों में रख दिया, गांधी ने बहुत सावधानी से सिक्का लिया।
फिर संगठन के कोषाध्यक्ष ने गांधी से सिक्का मंगा, लेकिन उन्होंने देने से इनकार कर दिया। कोषाध्यक्षने कहा ‘मैं हजारों रुपए की चेक रखता हूं, फिर भी आप मुझ पर भरोसा नहीं करोगे!’
गांधी ने कहा, ‘यह सिक्का उन हजारों की तुलना में बहुत अधिक है, उसके पास ठीक कपड़े भी नहीं थे, फिर भी उसने सब कुछ दिया जो उसके पास था, इसलिए गांधी ने सिक्के को बहुत कीमती माना।
जब हमारे पास बहुत कम होता है, तब किसी की मदद करना बहुत मूल्यवान होता है।
43. सोने का अंडा – Hindi short stories with pictures
एक बार की बात है, एक आदमी और उसकी पत्नी के पास एक हंस था, जिसने हर दिन एक सुनहरा अंडे देती थी, हालांकि वह भाग्यशाली थे। उन्होंने जल्द ही यह सोचना शुरू कर दिया, कि वह पर्याप्त तेजी से समृद्ध नहीं हो रहे हैं।
उन्होंने कल्पना की यदि हंस प्रतिदिन सुनहरा अंडा देने में सक्षम है। तो उसकी पेट में बहुत सारा सुनहरा अंडा होना चाहिए। उसने सोचा कि अगर वह एक ही बार में सभी सुनहरा अंडा ले सकती है, तो वह बहुत अमीर बन जाएगा।
इसलिए, उस आदमी और उसकी पत्नी ने हंस को मारने का फैसला किया। सोने का अंडा देने वाली हंस की पेट काटने की बाद यह देखकर हैरान रह गए, इसकी पेट भी अन्य हंस की तरह खाली थी। इसलिए कुछ बड़ा फैसला लेने से पहले एक दो बार जरूर सोचना चाहिए।
44. बंदर और डॉल्फिन – Hindi story for class 6
Bandar Wali Kahani: बहुत पहले की बात है, कुछ नाबिक अपने नौकायन जहाज में समुद्र की ओर निकल पड़े। उनमें से एक लंबी जाता के लिए अपने पालतू बंदर (bandaron ki kahaniyan) को साथ लाया। जब उन्होंने समुद्र में बहुत दूर थे, अचानक एक तूफान ने उसकी जहाज को पलट दिया।
हर कोई समुद्र में गिर गया, और बंदर को यकीन था कि वह डूब जाएगा। फिर अचानक एक डॉल्फिन दिखाई दे और वह उस बंदर को पीठ में उठाया, वह जल्द ही द्वीप पर पहुंच गए, और बंदर डॉल्फिन के पीठ से नीचे उतरे।
डॉल्फिन ने बंदर से पूछा, ‘क्या आप इस जगह को जानते हैं?’ फिर बंदर ने जवाब दिया, ‘हां मैं जानता हूं, वास्तव में इस द्वीप का राजा मेरा सबसे अच्छा दोस्त है।’
डॉल्फिन जानता था, इस द्वीप पर कोई भी नहीं रहता है। फिर डॉल्फिन ने कहा ‘ठीक है, ठीक है, आप इस द्वीपका राजा हो सकते हैं!’ बंदर ने पूछा, ‘मैं राजा कैसे हो सकता हूं?’
जैसे ही डॉल्फिन समुद्र में तैरने लगा उसने उत्तर दिया, ‘यह आसान है, जैसे कि आप इस द्वीप पर एकमात्र प्राणी है, तो आप स्वभाविक रूप में राजा ही है।’
झूठ बोलने और घमंड करने वाले कभी भी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
45. भेड़ के कपड़ों में भेड़िया – Moral stories for childrens in hindi pdf free download
एक बार भेड़ का झुंड को चरवाहे और उसके कुत्तों की सतर्कता की बाजार से एक भेड़िया भेड़ को पकड़ने में बड़ी कठिनाई हुई, एक दिन भेड़िया भजन की खोज में जंगल से जा रहा था, उसे एक भेड़ का खाल मिली, फिर वह अपनी शरीर भेड़ की खाल से ढक दिया।
और उस चरवाहे की घर में जाकर भेड़ का झुंड में घुस गया, फिर वह उन भेड़ का झुंड में उनके जैसा रहने लगा, किसी भी भेड़ ने उसे पहचान नहीं पाया था। एक दिन चरवाहे की कुछ दोस्त उनके घर पर आए, उन्होंने भेड़ का मांस खाने का फैसला किया, फिर चरवाहे अपनी भेड़ की झुंड के पास गया।
और उसने एक मोटा और ताकतवर भेड़ को पकड़ कर लेकर आया, वह भेड़ की खाल में भेड़िया था। चरवाहे उसे मार कर अपने दोस्तों के साथ खुशी से भजन की। शिक्षा यह है की कभी-कभी हमारे चुने हुए आसान रास्ता महंगा पड़ जाता है।
46. तितली का संघर्ष – Purane jamane ki kahaniyan
एक दिन, एक आदमी ने एक कोकून देखा, वह तितलियों से प्यार करता था, उस आदमी ने रोज तितलियों के आसपास बहुत समय बिताता था।
वह जानता था, कैसे एक तितली एक बदसूरत कैटरपिलर से एक सुंदर में बदलने के लिए कैसे संघर्ष करती है। उन्होंने एक छोटे से उद्घाटन के साथ कोकून देखा।
इसका मतलब तितली दुनिया को देखने के लिए अपनी रास्ता बनाने की कोशिश कर रही थी, उसने यह देखने का फैसला किया कि कोकून से तितली कैसे निकलेगी।
वह कई घंटों तक खोल को तोड़ने के लिए तितली को संघर्ष करते हुए देख रहा था, बाहर आने के लिए तितली घंटों से बहुत संघर्ष कर रही थी।
दुर्भाग्य से, कई घंटों तक लगातार कोशिशों के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई। ऐसा लगता था कि तितली ने पूरी कोशिश की थी और कोई कोशिश नहीं कर सकती थी।
उस व्यक्ति ने तितली को मदद करने के लिए फैसला किया, उसके पास एक कैंची थी वह कैंची से कोकून को हटा दिया, तितली किसी संघर्ष किए बिना बाहर आ गई।
दुर्भाग्य से, तितली अब सुंदर नहीं दिखती थी, वह आदमी खुश था उसने बिना किसी संघर्ष के तितली को कोकून से बाहर निकाला, वह तितली को देखता रहा।
उसने सोचा कि किसी भी समय, तितली अपनी पंखों को विस्तार कर सकती है, दुर्भाग्य से, ना तो पंखों का विस्तार हुआ और नहीं सजे हुए कि शरीर में कमी आई।
वह कभी उड़ने में सक्षम नहीं था, वह नहीं जानता था कि केवल संघर्षों से गुजरने से मजबूत पंखों के साथ तितली सुंदर बन सकती है।
तितली के अपने कोकून से बाहर आने के निरंतर प्रयास से शरीर में जमा द्रव पंखों में परिवर्तित हो जाता है। और पंख सुंदर और बड़े हो जाएंगे।
नैतिक शिक्षा : परिश्रम और संघर्ष के बिना हम उतनी मजबूत नहीं बन सकती जितनी हमारी क्षमता है।
47. पैसा और परिवार – Top 10 moral stories in hindi with moral
एक बार एक गांव में राम अपनी परिवार के साथ रहते थे, राम बहुत मेहनत करते थे, वह परिवार में एक मात्र कमाने वाला थे। उसकी तीन बच्चे, दो बेटा और एक बेटी।
वह प्रतिदिन 16 घंटे से अधिक काम करता है, बच्चे उसे नहीं देख सकते, वह सुबह उठने से पहले काम पर निकल जाता, और आधी रात को बच्चे सो जाने के बाद घर पहुंचता।
ऐसे ही चलते चलते कुछ साल बीत गए, अब राम के पास बहुत सारा पैसा है, उन्होंने एक नया घर लिया, हालांकि हमेशा की तरह, राम ने अधिक से अधिक काम करना जारी रखा।
एक दिन उसकी पत्नी ने उससे पूछा, ‘तुम पैसे के लिए क्यों भाग रहे हो? हमारे पास अभी जो है, हम उससे खुश रह सकते हैं’
राम ने जवाब दिया, ‘हम आप सभी को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध कराना चाहता हूं, कि आप हमेशा खुश रहे।’ दो साल बीत गए और राम बड़ी मुश्किल से परिवार के साथ समय बिताया।
अब राम का परिवार शहर के सबसे धनी परिवारों में से एक है, उनके पास सभी सुविधाएं है। फिर भी राम के बच्चों ने अपने पिता से मिलने के लिए बहुत कोशिश करती थी।
राम का परिवार छुट्टी बिताने के लिए उसके समुद्र तट के घर गया, उसकी बेटी ने पूछा, ‘पिताजी क्या आप एक दिन घर पर हमारे साथ यही रहोगे।’
राम ने उत्तर दिया, ‘ हां प्रिय कल मैं दोपहर का भजन तुम्हारे साथ करूंगा, और अगले कुछ दिनों तक तुम्हारे साथ रहूंगा, मैं काम से थक गया हूं।’ पूरा परिवार बहुत खुश हो गया।
दुर्भाग्य से, अगले दिन राम के परिवार में कोई भी जीवित नहीं था, क्योंकि वह सुनामी में वह गए थे। जब उसने समुद्र तट पर पहुंचे, तो उसने हर जगह समुद्र और पानी देखा।
अपनी परिवार के लिए चिल्लाया, वह उन्हें फिर कभी नहीं पा सकता है, उन्हें देख भी नहीं सकता है। उसे अपनी पत्नी की बात याद आई, ‘तुम पैसे के लिए क्यों भाग रहे हो’ वह रोने लगा।
नैतिक शिक्षा : पैसा सब कुछ नहीं खरीद सकता है।
48. स्वर्ग और नरक – Best moral stories in hindi
एक बार की बात है, गांव में एक पवित्र व्यक्ति रहता था। वह हमेशा स्वर्ग और नरक के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहता था। एक दिन पवित्र व्यक्ति भगवान से मिला। जब बह भगवान से मिला तो उसने पूछा, “प्रभु, क्या आप मुझे बता सकते हैं कि स्वर्ग और नरक कैसा है।
भगवान मुस्कुराए और उसे दूसरी दुनिया में ले गए। वहां वे दो दरवाजे के सामने खड़े थे। भगवान ने उसे जाने के लिए कहा और प्रत्येक दरवाजे के अंदर खुद जाकर देखने के लिए कहा। पवित्र व्यक्ति ने जाकर पहला दरवाजा खोला।
वहां उसने एक बड़ी गोल मेज देखी जिसके चारों और लोग बैठे थे। मेज के बीच में, स्वादिष्ट सूप का एक बड़ा बर्तन रखा गया था। वहां बैठे सभी लोगों के हाथों में बहुत लंबे चम्मच थे। मेज के बीच में स्वादिष्ट सूप के बर्तन तक पहुंचने के लिए चम्मच काफी लंबे थे।
लेकिन लंबे चम्मच के कारण, भजन से भरा चम्मच लोग मुंह में नहीं ले पा रहा। लंबे चम्मच की वजह से खाना ना खा पाने के कारण, वे सभी दुबले-पतले और बीमार लग रहे थे। वहां के लोग बहुत दुखी थे। वहां पीड़ित लोगों के दुख को देखकर पवित्र व्यक्ति कांप उठे।
वह उस कमरे से बाहर आया और दूसरे कमरे का दरवाजा खोला। दूसरा कमरा बिल्कुल पहले कमरे जैसे ही था। बड़ी गोल मेज और उसके बीच में एक स्वादिष्ट सूप का बर्तन। वहां बैठे सभी लोगों के हाथों में लंबे चम्मच था। लेकिन यहां के लोग स्वास्थ्य थे।
वे एक दूसरे से बातें कर रहे थे और खाना खा रहे थे। पवित्र व्यक्ति यह देखकर प्रसन्न हुआ और उस कमरे से बाहर आ गया। फिर पवित्र व्यक्ति भगवान के पास गया और कहां, “मुझे समझ नहीं आया, कि दोनों कमरे एक ही जैसा है। फिर भी एक कमरा दुख से भरा है और दूसरा सुख से भरा है।
भगवान ने उसे समझाया, “आपने देखा कि लंबे चम्मच दूसरे को खिलाने के लिए ठीक-ठाक है। लेकिन खुद को खिलाने के लिए ठीक नहीं है। आप जिस कमरे में पहले गए थे, वह नरक था। वहां के लोग लालची है और केवल अपने बारे में सोचते है, दूसरे की मदद नहीं करना चाहते हैं।
जिसके कारण वे अपना पेट नहीं भर पा रहे हैं और दुख झेल रहे हैं। और दूसरा कमरा स्वर्ग था, यह उन लोगों से भरा है। जो एक दूसरे की परवाह करते हैं और प्यार करते हैं। एक दूसरे को उन लंबे चम्मच से खिलाते हैं, जिससे वे स्वास्थ और सुखी रहते हैं।”
शिक्षा: यदि हम एक-दूसरे का समर्थन और देखभाल करें। तो हम अपने जीवन को स्वर्ग बना सकते हैं और खुशी से जी सकते हैं।
49. झील में नमक – Hindi moral stories with pictures
एक बार की बात है, एक युवक रहता था। वह अपने जीवन से बहुत दुखी था। वह हर समय खुद को उदास और भयानक महसूस करता था। फिर, एक दिन उसे शहर में एक गुरुजी के बारे में पता चला। उसने गुरुजी से मिलने और अपनी समस्याओं का हाल पूछने के लिए, वहां शहर में जाने का फैसला किया।
युवक गुरुजी के पास गया और कहां, “मेरे जीवन में बहुत सारी परेशानियां है। मैं हमेशा दुखी रहता हूं। कृपया मुझे उपाय बताइए, मैं कैसे हमेशा खुश रह सकता हूं।”
गुरुजी ने उस युवक की सारी बातें सुनी और वहां से उठकर खड़े हुए। बिना कुछ कहे, गुरुजी वहां से चले जाते हुए देख कर युवक बहुत गुस्सा हो गई।
लेकिन युवक गुरुजी के आने का इंतजार किया। थोड़ी देर बाद, गुरुजी एक गिलास पानी और एक नमक से भरा कटोरा लेकर युवक के पास वापस आया।
फिर गुरुजी ने कहां, “अब तुम कटोरा से एक मुट्ठी नमक लेकर इस ग्लास की पानी में डाल दो। और फिर नमक पानी में मिलते ही उसे पी लो।” युवक उलझन में था, लेकिन उसने गुरुजी के निर्देशानुसार ग्लास से थोड़ा पानी पिया। गुरुजी ने उनसे पूछा, “इस पानी का स्वाद कैसा है।”
युवक ने उत्तर दिया, “इसका स्वाद बहुत ही भयानक है, इसमें तो पूरा नमक और नमक है।” अब गुरुजी ने युवक को उस कटोरा से एक मुट्ठी नमक लेकर उसके साथ आने के लिए कहा। वे दोनों चलते चलते एक झील पास चले गए।
गुरुजी ने कहा, “अब तुम्हारे हाथ में जो नमक है, वह इस झील में डाल दो।” युवक अपने मुट्ठी भर नमक को उस झील में डाल दिया। इसके बाद गुरुजी ने युवक को इस झील से थोड़ा पानी पीने के लिए कहा। युवक ने पानी पिया, उसे अच्छा लगा तो उसने और थोड़ा पानी पिया।
अब गुरुजी ने युवक से पूछा, “इसका इसका स्वाद कैसा है?”
युवक ने उत्तर दिया, “इस पानी का स्वाद बहुत अच्छा है।”
गुरुजी ने फिर से पूछा, “क्या तुम इस पानी में नमक का स्वाद चख पाए? युवक ने उत्तर दिया, “नहीं, पानी बहुत मीठा था।”
फिर दोनों उस झील के पास बैठे। गुरुजी ने युवक को कहा, “जिंदगी में दुख की मात्रा एक ही रहती है। लेकिन हम जैसे दर्द का स्वाद लेते हैं, यह उस कंटेनर के ऊपर निर्भर करता है। जिसमें हम डालते हैं।”
नैतिक शिक्षा : इसीलिए जब आप दुखी होते हैं. केवल एक चीज जो आप कर सकते हैं, वह है अपनी समझ को बढ़ाना
50. झूठा दोस्त – Short stories in hindi with moral values
एक बार कि बात हैं, हिरण और कौआ बहुत अच्छे दोस्त थे। वे दोनों हर दुख-सुख में एक दूसरे का साथ दिया करते थे। एक दिन कौए ने हिरण को सियार के साथ देख लिया।
कौए ने हिरण को समझाया कि सियार बहुत चालाक जानवर है, वो हर किसी को अपने जाल में फंसा लेता है इसलिए उसका साथ छोड़ दे। हिरण ने कौए की सलाह पर ध्यान नहीं दिया और सियार के साथ खेत में चला गया। हिरण वहाँ लगे जाल में फंस गया।
सियार उससे कहने लगा “मैं तो किसान को बुलाने जा रहा हूं, वह आएगा और तुम्हें मार डालेगा”। हिरन चिल्लाने लगा, तभी वहां कौआ आया और उसने हिरन से कहा तुम ऐसे लेट जाओ जैसे की तुम मर गए हो। हिरन ने आपने दोस्त की बात मानी और वैसे ही करा।
थोड़ी देर बाद वहाँ किसान आया और उसने देखा कि हिरन तो मर गया, ये देखकर वो बहुत खुश हुआ। किसान ने जल्दी से जाल खोला और जाल खुलते ही हिरन वहाँ से भाग निकला। ये देखकर किसान बहुत गुस्सा हुआ और सियार को खूब मारा और उसे वहाँ से भगा दिया।
51. माँ का प्यार – Hindi kahani hindi kahani hindi kahani
एक शानदार महल में एक खूबसूरत परी रहती थी, जिसे अपनी खूबसूरती पर बड़ा घमंड था। एक दिन उस परी ने घोषणा करी कि, “जिस प्राणी का बच्चा सबसे ज्यादा सुंदर होगा, उसे मैं इनाम दूँगी”।
ये सुनकर सभी खुश हो गए और अपने-अपने बच्चों के साथ पुरस्कार को जीतने की चाह में एक स्थान पर जमा हो गए। परी सारे बच्चों को ध्यान से देखने लगी।
वहाँ पर एक बंदरिया का बच्चा आया हुआ था। जब उसने बंदरिया के चपटी नाक वाले बच्चे को देखा, तो वो उसे देखकर बोलने लगी छिः! कितना कुरूप है यह बच्चा।
इसके माता-पिता को तो मै कभी पुरस्कार नहीं दे सकती। परी की यह बात सुनकर उस बच्चे की माँ को बहुत बुरा लगा।
वो अपने बच्चे को हृदय से लगाकर कहने लगी “मेरा लाल तू तो बहुत ही सुंदर है, मैं तुझे बहुत प्यार करती हूँ मेरे लिए तो तू ही सबसे बड़ा पुरस्कार है”। मैं कोई दूसरा पुरस्कार प्राप्त करना नहीं चाहती। भगवान तुझे लंबी उम्र दे।
52. बिल्ली के गले में घंटी – Moral stories in hindi for class 4
एक मकान में ढेर सारे चूहे रहते थे। कहीं से एक दिन एक बिल्ली आ गई। बिल्ली से बचने का उपाय ढूँढने के लिए चूहों ने एक सभा बुलाई।
एक चूहे ने कहा, “एक घंटी लानी चाहिए और उसे बिल्ली के गले में बाँध दें, वह जहाँ भी जाएगी हमें पता चल जाएगा।”
तभी एक बूढ़े चूहे ने कहा, “सलाह तो ठीक है पर बिल्ली के गले में घंटी बाँधेगा कौन?” सारे चूहे एक दूसरे की ओर देखने लगे पर किसी ने कुछ भी नहीं कहा
53. बकरी और लोमड़ी – Story for class 2 in hindi
एक समय की बात है, एक लोमड़ी जंगल में घूमते-घूमते एक कुएँ के पास पहुँची। कुएँ के चारों ओर दीवार नहीं थी। लोमड़ी ने ध्यान नहीं दिया और भीतर गिर गई। हालांकि कुआँ बहुत गहरा नहीं था पर लोमड़ी बाहर नहीं निकल पा रही थी।
निराश होकर वह वहीं बैठ गई। तभी ऊपर से एक बकरी जाती दिखाई दी। बकरी ने लोमड़ी को कुएँ में देखकर पूछा, “अरे बहन, तुम भीतर क्या कर रही हो?”
लोमड़ी ने कहा, “बकरी बहन! तुम्हें पता नहीं है… शीघ्र ही भयंकर सूखा पड़ने वाला है। यहाँ कोई और आए उससे पहले ही मैं भीतर आ गई।
कम से कम यहाँ पानी तो है। तुम भी क्यों नहीं भीतर आ जाती हो?” बकरी ने सोचा कि लोमड़ी बहुत अच्छी सलाह दे रही है और वह भी कुएँ में कूद गई।
बकरी के कुएँ के भीतर पहुँचते ही लोमड़ी उछलकर बकरी की पीठ पर चढ़ी और फिर बाहर निकल आई। उसने बकरी से कहा, “अलविदा बहन, मैं तो चली” और लोमड़ी सिर पर पैर रखकर भाग गई।
54. सारस और लोमड़ी – Class 2 short moral stories in hindi
एक समय की बात है, एक सारस और एक लोमड़ी में गाढ़ी मित्रता थी। लोमड़ी बहुत चालाक थी पर सारस सीधा-साधा प्राणी था। एक दिन लोमड़ी ने सारस को भोजन के लिए आमंत्रित किया।
सारस मित्र के घर आया। लोमड़ी ने सूप बनाया था। उसने एक छिछली तश्तरी में सूप परोसा। लोमड़ी ने अपनी जीभ से चाटकर सूप का भरपूर आनंद लिया पर सारस मात्र अपनी चोंच का अगला भाग ही गीला कर पाया। उसे भूखा ही वापस जाना पड़ा।
लोमड़ी ने कहा, “क्षमा करना, क्या तुम्हें सूप अच्छा नहीं लगा?” सारस ने कहा, “क्षमा मत मांगो, ऐसी कोई बात नहीं है। तुम कल मेरे घर भोजन पर आना।”
सारस ने लोमड़ी को सबक सिखाने की सोची। अगले दिन लोमड़ी सारस के घर खाना खाने गई। सारस ने भी ही सूप बनाया था। उसने एक लंबी सुराहीदार गर्दन वाले बर्तन में सूप परोसा।
लोमड़ी का मुँह भीतर जा ही नहीं पाया और वह किसी भी प्रकार सूप नहीं चख पाई और भूखी रह गई। सारस ने आराम से सूप पिया। लोमड़ी को अपने किए का फल मिल गया था।
55. मेंढक और बैल – Small short stories with moral values in hindi
एक जंगल में एक मेंढक अपने बच्चों के साथ रहता था। वह मेंढक खा पीकर खूब तगड़ा हो गया था और सदा डींग हाँकता था कि वही सबसे बड़ा है।
एक दिन बच्चों ने एक बड़े से जानवर को देखा। वह एक किसान का बैल था। जंगल में देखकर उन्होनें सोचा, “यह प्राणी तो पहाड़ की तरह बड़ा है। इसके सिर पर सींग हैं और पीछे एक लंबी सी पूँछ है… लगता है संसार का सबसे बड़ा प्राणी है।”
यह बात बच्चों ने अपने पिता से बताई। मेंढक ने सोचा कि वह मुझसे बड़ा कैसे हो सकता है? उसने एक लंबी साँस खींची, स्वयं को फुलाया और पूछा, “क्या वह इतना बड़ा था?”
बच्चों ने कहा, “इससे भी बड़ा।” मेंढक ने पुनः एक गहरी साँस भीतर भरी, स्वयं को और फुलाया और पूछा, “इतना बड़ा?” बच्चों ने कहा, “इससे भी बड़ा।”
मेंढक ने और जोर से गहरी साँस भरी, स्वयं को फुलाया पर इस बार वह स्वयं ही फट गया।
56. शेर और सूअर – Bedtime stories in hindi panchtantra
किसी जंगल में एक शेर रहता था। गर्मी के कारण जंगल में पानी सूखता जा रहा था। एक पोखर में थोड़ा पानी देखकर शेर वहाँ पहुँचा। तभी एक सूअर भी वहाँ पानी ढूँढता हुआ आ गया।
दोनों में कौन पानी पीयेगा इस बात को लेकर झगड़ा शुरु हो गया। लड़ाई बराबरी पर थी। प्यास से दोनों बेहाल थे। अचानक उन्होंने आसमान में बहुत सारे गिद्ध उड़ते देखे।
गिद्धों ने सोचा, “अच्छा है, लड़ लें दोनों… कोई तो मरेगा ही फिर मजा आएगा… जमकर आज हमारी दावत होगी।” गिद्धों को ऊपर मंडराते देखकर शेर और सूअर ने अपनी लड़ाई रोक दी। उन्हें माजरा समझ में आ गया था।
शेर ने सूअर से कहा, “यदि हम लोग इसी तरह लड़ेंगे तो अवश्य ही लड़ते-लड़ते मर जाएँगे और गिद्धों को दावत खाने का अवसर मिल जाएगा। उनका भोजन बनने की जगह मित्रता करने में ही हमारी भलाई है…” और फिर दोनों ने साथ में पानी पी लिया।
57. कानी हिरणी – Small panchatantra stories in hindi
एक हिरणी की एक आँख में किसी शिकारी का तीर लग गया। उसे अब एक ही आँख से दिखाई देता था। पर वह दुखी नही हुई किसी भी खतरे से बचने के लिए वह ऊँची पहाड़ी पर चरा करती थी।
एक बार नाव पर सवार होकर समुद्र की ओर से शिकारी आए। हिरणी आवाज से चौकन्नी हो गई। उसने सिर घुमाकर चारों ओर देखा। नाव से निशाना साधते शिकारी को देखकर वह सब समझ गई और पलक झपकते चौकड़ी भरकर नौ दो ग्यारह हो गई।
58. आलसी हिरन – Small panchatantra stories in hindi pdf
एक दिन एक हिरनी अपने बेटे को एक बुद्धिमान के पास लेकर गई और उससे बोली, “मेरे बुद्धिमान भाई, कृपया मेरे बेटे को भी अपनी जान बचाने की कुछ तरकीबें सिखा दो, ताकि वह कभी संकट में फँसे तो अपनी जान बचा सके।”
बड़ा हिरन मान गया । छोटा हिरन बहुत शैतान था और उसका मन दूसरे बच्चों के साथ खेलने में ही लगा रहता था। जल्द ही, वह कक्षा से गायब रहने लगा और उसने बचाव की कोई तरकीब नहीं सीखी।
एक दिन, खेलते-खेलते वह एक जाल में फँस गया। जब उसकी माँ को यह पता चला तो वह बहुत रोई बड़ा हिरन उसके पास गया और उससे बोला, “प्यारी बहना,
मुझे दुख है कि तुम्हारा बच्चा जाल में फँस गया। मैंने उसे सिखाने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन वह कुछ सीखना ही नहीं चाहता था । अगर कोई विद्यार्थी सीखना ही नहीं चाहे तो शिक्षक उसे कैसे सिखा सकता है।
59. जादुई मुर्गी – Hindi moral kahaniyan
एक दिन, एक निर्धन व्यक्ति एक किसान के पास गया और एक मुर्गी के बदले, उससे एक बोरी चावल ले आया। किसान की पत्नी को जब पता चला कि उसके पति ने एक साधारण मुर्गी के बदले बोरी भर चावल दे दिए तो वह बहुत नाराज हुई।
हालाँकि, अगले दिन सुबह किसान की पत्नी मुर्गी के पास गई तो उसे एक सोने का अंडा मिला । जादुई मुर्गी हर दिन सोने का एक अंडा देने लगी । कई सप्ताह तक ऐसा चलता रहा। जल्द ही वह किसान गाँव में सबसे धनी हो गया ।
हालाँकि किसान की लालची पत्नी इससे संतुष्ट नहीं थी । एक दिन जब किसान घर पर नहीं था, तो वह एक बड़ा चाकू ले आई और मुर्गी का पेट काट डाला।
वह सोच रही थी कि मुर्गी के पेट से एक साथ सारे सोने के अंडे मिल जाएँगे। जब उसे एक भी अंडा नहीं मिला तो उसे बहुत निराशा हुई। अब उसे हर दिन जो अंडा मिलता था, वह उससे भी हाथ धो बैठी।
60. हाथी और गौरैया – Moral story in hindi for education
एक दिन, एक जंगली हाथी ने एक पेड़ की डाली तोड़ी, जिससे उस पर बना गौरैया का घोंसला टूट गया और उसमें रखे अंडे फूट गए।
गौरैया का रोना सुनकर एक कठफोड़वा वहाँ आया और उससे रोने का कारण पूछने लगा। गौरैया ने उसे सारी बात बताई। कठफोड़वा बोला, “चलो, मक्खी की सलाह लेते हैं।”
वे मक्खी के पास गए और उसे गौरैया की दर्द भरी कहानी सुनाई। मक्खी ने मेंढक की सहायता लेने की सलाह दी। गौरैया, कठफोड़वा और मक्खी, तीनों मेंढक के पास गए और उसे पूरी बात बताई।
मेंढक बोला, “हम सब एकजुट हो जाएँ तो हमारे सामने हाथी क्या कर लेगा? जैसा मैं कहता हूँ, वैसा ही करो। मक्खी, तुम दोपहर में हाथी के पास जाना और उसके कानों में कोई मीठी सी धुन सुनाना ।
जब वह धुन में मग्न होकर अपनी आँखें बंद कर ले तो कठफोड़वा उसकी आँखें फोड़ देगा। वह अंधा हो जाएगा और जब उसे प्यास लगेगी तो वह पानी की खोज करेगा ।
तब मैं दलदल के पास जाकर वहाँ से टर्र-टर्र करने लगूगा । वह समझेगा कि वहाँ पानी है और वह वहीं पहुँच जाएगा और दलदल में फँसकर मर जाएगा।”
चारों ने मेंढक की योजना के अनुसार अपने-अपने काम अच्छी तरह से किए और बिना सोचे-समझे काम करने वाला हाथी मारा गया ।
61. शेर की चाल – Hindi story for class 2 with moral
एक घना जंगल था जहाँ चार बैल रहते थे। चारों सांडों में बहुत घनिष्ठ मित्रता थी। शेर की एक इच्छा थी, वह चाहता था कि अगर इनमें से कोई भी बैल मुझे अकेला मिले तो मैं उसे मार कर खा जाऊं।
लेकिन शेर की यह इच्छा कभी पूरी नहीं हुई। चारों बैल हमेशा एक झुंड रखते थे और एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे।
सिंह उनके बड़े सींगों से बहुत डर गया, और उनसे दूर भाग गया। एक दिन शेर ने सोचा कि ये चारों कभी एक दूसरे से अलग नहीं होते, मुझे कुछ सोचना है ताकि मैं इन्हें एक दूसरे से अलग कर सकूं।
इसलिए वह उनकी दोस्ती को तोड़ने के लिए कोई योजना बनाने लगा। एक दिन वह एक बैल के पास गया और उससे कहा, “तुम्हारे दोस्त कहते हैं कि तुम बहुत बड़े मूर्ख हो।
यह सुनकर बैल को बहुत बुरा लगा और उसने दूसरे सांडों से बात करना बंद कर दिया। इसी प्रकार सिंह ने सभी सांडों में एक दूसरे के प्रति घृणा का भाव भर दिया।
इसके बाद एक दिन शेर ने एक बैल पर हमला किया, जिसे देखकर तीनों बैल उसकी मदद के लिए आगे आए। पहले बैल ने हमें धन्यवाद दिया और कहा कि हम मूर्ख नहीं हैं, जो शेर के रास्ते में आते हैं।
62. किसान और सांप की कहानी – Short motivational story in hindi
एक बार एक किसान सर्दियों के दिनों में अपने खेतों में से गुज़र रहा था। तभी उसकी नज़र एक ठंड में सिकुड़ते हुए सांप पर पड़ी। किसान को पता था की सांप बहुत ही खतरनाक जीव है लेकिन फिर भी उसने उसे उठाया और अपनी टोकरी में रख लिया।
फिर उसके ऊपर उनसे घास और पत्ते दाल दिए ताकि उसे कुछ गर्मी मिल जाए और वो ठण्ड की वजह से मरने से बच जाये। जल्द ही सांप ठीक हो गया और उसने टोकरी से निकल कर उस किसान को काट लिया जिसने उसकी इतनी मदद की थी।
उसके जहर से तुरंत ही उसकी मौत हो गयी और मरते मरते उसने अपनी आखिरी साँस में यही कहा “मुझसे ये सीख लो, की कभी किसी दुष्ट (बुरे, नीच) पर दया न करो”।
63. लोमड़ी और बकरी की कहानी – Moral stories for childrens in hindi
एक बार एक लोमड़ी रात को जंगल में घूम रही थी की अचानक वो एक कुँए में जा गिरी। अब उसे समझ नहीं आ रहा था की वो करे तो क्या करे। इस लिए उसने सुबह तक का इंतज़ार करने का सोचा।
सुबह होते ही एक बकरी कुँए के पास से गुज़री और उसने लोमड़ी को देखा और कहा तुम कुँए में क्या कर रही हो ?
तो बकरी ने कहा की,” में यहाँ पानी पीने आयी हूँ और ये पानी आजतक का सबसे स्वादिष्ट पानी है,आओ तुम भी पी के देखो?” बकरी ने बिना सोचे ही कुँए में छलांग लगा दी।
थोड़ी देर पानी पीने के बाद बकरी ने बाहर जाने का सोचा तो देखा की वो वहां फंस चुकी है। अब लोमड़ी ने कहा की में तुम्हारे ऊपर चढ़ कर बाहर निकल जाता हूँ और किसी को मदद के लिए ले आऊंगा।
बेचारी भोली बकरी ने लोमड़ी की चाल नहीं समझी और बिना सोचे समझे हाँ कर दी।
अब लोमड़ी बाहर निकलते ही बकरी को बोलने लगी की,”अगर तुम इतनी भी समझदार होती तो कभी बिना समझे कुँए में नहीं आती और ऐसे नहीं फस्ती और लोमड़ी ये बोलके वहां से चली गयी।”
64. गर्म पानी में मेंढक की कहानी – Interesting story in hindi
एक बार एक मेंढक गर्म पानी के बर्तन में गिर जाता है। वह वर्तन आग पर रखे होने की वजह से और गरम होने लगता है। मेंढक तब बहार निकलने की जगह अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित कर के उसमें बैठा रहता है की वो बाद में निकल जायेगा।
पर वर्तन का पानी उबलने लगता है और मेंढ़क से अब तापमान सहन नहीं होता और वो बाहर निकलने की कोशिश में अंदर ही मर जाता है।
हम सबको परिस्थियों के अनुसार ढालना पड़ता है परन्तु कई बार जिन परिस्थियों में ज्यादा उलझने लगें तो उनसे सही समय पर बाहर निकलने में ही भलाई होती है।
65. शेर और चूहे की कहानी – Lion and mouse story in hindi
एक बार एक शेर सो रहा होता है और एक चूहा उसके ऊपर चढ़ के उसकी नींद को भटका देता है। शेर उसे गुस्से में पकड़ लेता है और उसे खाने लगता है पर चूहा उसे कहता है की, “आप अगर मुझे छोड़ दोगे तो में आपकी किसी दिन मदद जरूर करूँगा।”
यह सुनके शेर हँसता है और उसे छोड़ देता है।
कुछ दिन बाद कुछ शिकारी शेर को जाल में कैद कर लेते हैं और शेर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगता है उसकी आवाज़ चूहा पहचान लेता है और भागता हुआ उसके पास आता है और शेर के जाल को काट के शेर को आज़ाद कर देता है।
दया अपना इनाम ज़रूर लाती है, कोई इतना छोटा नहीं है कि यह वह मदद नहीं कर सकता।
66. कछुआ और चिड़िया की कहानी – Moral stories in hindi for class 8
एक बार एक पेड़ के नीचे कछुआ आराम कर रहा था। उसी पेड़ के ऊपर चिड़िया अपने बच्चों के साथ एक घोंसले में रहती थी कछुआ चिड़िया के घोंसले को देखकर उसकी बहुत बुराई करता है।
वो चिड़िया को कहता है कि तुमने ये कैसा घोंसला बनाया हुआ है जो इतने टूटे हुए तिनकों से बना है ना बारिश में बच पाता है और ना ही धूप में। और मुझे देखो मेरे पास मेरा शैल(कवच) है जो मेरा घर है।
तो चिड़िया कहती है मानती हूं कि मेरा घर टूटे तिनकों से बना है लेकिन मेरे घर में मेरे साथ मेरा पूरा परिवार रहता है लेकिन तुम्हारे घर में तुम्हारे अलावा कोई नहीं रह सकता।
67. डायनासौर की कहानी – Hindi story for class 5
एक समय की बात है एक आदमी जिसका नाम बाला था, वह एक दिन नकली के उड़ने वाले पंख लगाकर काफी दूर तक पड़ जाता है। उड़ता हुआ बाला दूर एक टापू पर गिरता है, जहां वह बहुत सारे डायनासोर देखता है।
वहां से बाला एक डायनासोर के अंडे को चुरा लेता है और उसको अपने पुराने घर में छुपा कर रख देता है। कुछ दिनों बाद जब वह डायनासोर अंडे से बाहर आता है तो बाला उसके खाने के लिए गांव के लोगों के घरों से बकरी, मुर्गे, खरगोश आदि चुरा कर उसको चुप चाप खिलाता रहता है।
कुछ समय बाद लोगों को उस डायनासौर का पता लग जाता है और वह डायनासोर को बाहर निकाल देते हैं बाहर निकलते ही डायनासोर तबाही मचा देता है। वह काफी सामान तोड़ देता है और फिर बाला गांव वालों के साथ मिलकर उसे वापस उसी टापू में छोड़ आते हैं।
68. चांदी का घड़ा – Easy moral story in hindi
बहुत साल पहले किसी गांव में बाढ़ आई और बहुत सारे घर डूब गए। एक घर में एक मिट्टी का घड़ा और एक चांदी का घड़ा था। दोनों पानी की धार में बहने लगे।
चांदी का घड़ा मिट्टी के घड़े को बोलता है ” भाई आप बहुत कमजोर हो आप मेरे साथ आ जाओ, मैं आपको आज किनारे तक ले चलूंगा” इतना सुनकर मिट्टी के घड़े ने चांदी के घड़े को धन्यवाद दिया और कहा ” भाई, मुझे अकेले ही किनारे तक तैरने दीजिए”.
जैसे-जैसे तांबे का घड़ा तैरने की कोशिश करता, वैसे वैसे उस में पानी भरता जाता और वह डूब गया। इसी बीच मिट्टी का घड़ा धीरे धीरे किनारे तक तैरकर पहुंच गया।
69. कोबरा की कहानी – Hindi stories with moral short
बहुत साल पहले एक छोटे से गड्ढे में एक छोटा सा कोबरा रहता था। वह किसी भी प्रकार से छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े को खाकर जिंदा रहता था। धीरे धीरे वह बड़ा हुआ और उसने अंडा, छिपकली ,मेंढक आदि यह सब खाने लगा। कुछ और समय बीता उसके बाद वह छोटे मोटे सांप और दूसरे जानवर खाना चालू कर दिया।
अब वह काफी बड़ा हो चुका था. दूसरे जानवर उससे डर नहीं लगे थे इससे उसका आत्मविश्वास और गौरव बढ़ा। वह सोचने लगा” अब मुझसे सारे जानवर डरने लगे हैं इसलिए अब इस छोटे से गड्ढे से हटकर किसी बड़ी जगह पर घर बसाना चाहिए”
इसी क्रम में वह नए जगह की तलाश में एक बड़ा सा पेड़ को चुना और वहां पर अपना निवास बनाने का फैसला किया। उसने वहां पर का एक छोटा सा पहाड़ देखा। कोबरा ने सोचा “मेरे इस आलीशान घर पर, यह गंदा सा चीटियों का पहाड़ नहीं होना चाहिए” .
उसने बोला “मैं किंग कोबरा हूं और मेरे घर पर या पहाड़ नहीं दिखना चाहिए , इसलिए चीटियां यहां से चली जाए” अंदर से कोई जवाब नहीं आया, इस पर कोबरा क्रोधित हुआ और पहाड़ को तोड़ दिया। अचानक से हजारों चीटियां बाहर निकली और उसको एक साथ काटना चालू किया।
यह देख कर अच्चम्भित रह गया और वहां से उसको किसी तरह जान बचाकर वहां से भागा।
70. चौकीदार की कहानी – Hindi moral stories written
एक कंपनी के मैनेजर ,राहुल ,को अपने कंपनी के लिए चौकीदार चाहिए था। उसके लिए उन्होने ने इश्तेहार निकाला। बहुत लोग इंटरव्यू देने आये . लेकिन मैनेजर को कोई भी पसंद नहीं आ रहा था। आखिर में राजू नाम का एक व्यक्ति बैठा था जो इंटरव्यू के लिए बैठा था।
राहुल ने मोदी से पूछा “आप थके हुए लग रहे है ? कोई बीमारी है क्या ? ” राजू ने जबाब दिया: नहीं साहब, ऐसी कोई बिमारी नहीं है, लेकिन नींद नहीं आने की बिमारी है। ” राहुल ने तुरंत उसको रात के चौकदारी के लिए रख लिया क्यूंकि वह चाह के भी सो नहीं सकता
इसलिए कभी भी किसी को अपनी असलियत नहीं बतानी चाहिए.
71. रामलाल का व्यापार – Hindi 10 lines story
एक दूध बेचने वाला जिसका नाम रामलाल था वह कुछ सालो में बहुत आमिर हो गया क्यूंकि वह गलत तरीके से दूध का व्यापार करता था। वह दूध बेचने के लिए एक नदी पार करके अपने ग्राहकों को दूध देता था।
नदी पार करने के दौरान वह दूध में पानी मिला दिया करता था। यह करके वह खूब आभूषण और पैसा जमा कर चूका था। उसका बेटा बड़ा हो चूका था और उसकी शादी तय हो गयी. वह ढेर सारे आभूषण लेके नाव पे वापस आ रहा था।
अचानक से उसकी नाव पलट गयी और सारा का सारा धन और आभूषण डूब गया। रामलाल रोने लगा। तभी अचानक से नदी से आवाज़ आयी “रोना बंद करो ,जो डूबा है वह तुम्हारा था नहीं ,तुमने गलत तरीके से इसको अर्जित किया था और इसलिए वो तुमसे छिन गया।
72. भेदी सनी बच्चो की कहानी – Hindi story for ukg class
एक बार एक भेड़िया जिसका नाम भेदी था वह मस्ती से किसी जानवर का मांस खा रहा था। मांस खाते खाते उसके दांत में हड्डी का एक टुकड़ा फंस गया और उसको बहुत दर्द से रोने लगा। उसकी कराह सुन के सनी नामक सारस उसके पास आया। उसने मांस और भेड़िया दोनों के देख के सोचा की काश किसी भी तरह से मांस का टुकड़ा मुझे भी मिल जाता।
सनी ने भेदी से पूछा ” क्या हुआ भेदी भाई ,क्यों जोर जोर से रो रहे हो?” भेदी ने बोला ” मेरे दांत में हड्डी फंस गयी है। ” सनी ने बोला “अगर मै निकाल दूँ तो तुम मुझे इनाम दोगे क्या? ”भेदी तुरंत तैयार हो गया।
सनी ने अपने लम्बे चोंच से भेदी के दांत से हड्डी का टुकड़ा निकाल दिया और भेदी का दर्द ख़तम हो गया। इसके बाद सनी ने इनाम माँगा तो भेदी ने हँसते हुए बोला ” मैंने तुम्हारी जान नहीं ली, ये इनाम से कम है क्या?
सनी भेदी की धूर्तता से काफी आहात होके वहा से चला गया।
73. शहर के कौवे – Class 1st hindi story
अकबर को अपने दरबारियों से पहेलियाँ पूछने का शौक था और वो अक्सर अपने दरबार में राजदरबारियों को मुश्किल में डाल दिया करते थे। अकबर ने अपने दरबार में पूछा ” पूरे शहर में कितने कौवे है? ”पूरे राजदरबारी विपदा में आ गए और उनके पसीने छूटने लगे।
इसी बिच अकबर के मंत्री बीरबल प्रवेश करते है और उन्होंने माहौल को भांपते हुए अकबर से जबाब देने की अनुमति मांगते है। अकबर अकबर ने ख़ुशी से उत्तर जानना चाहा. बीरबल ने बोला ” इस सहर में पूरे सत्तर हजार आठ सौ एक हत्तर कौवे है। “अकबर ने बीरबल से पूछा “आपके इतने यकीं से ये संख्या कैसे मालूम?”
बीरबल ने कहा ”आप अपने सैनिक भेज के गिनवा लीजिये ,अगर गिनती में कम हुए तो इसका मतलब कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों के यहाँ गए है और ज्यादा हुए तो कुछ कौवो के यहाँ नए रिश्तेदार घूमने आये है।” अकबर बीरबल की समझदारी से प्रसन्न हुए और हिरे का हार उनको इनाम में दिया।
निष्कर्ष
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