रवीन्द्रनाथ टैगोर - Essay on Rabindranath Tagore In Hindi

इस आर्टिकल पर हम (Essay on Rabindranath Tagore In Hindi)  रवीन्द्रनाथ टैगोर पर हिंदी में निबंध लिख रहे है जिन्हें पढ़कर कोई भी रवीन्द्रनाथ टैगोर के बारे में जान सकता है. यदि आप किसी विषय पर निबंध पढ़ना पसंद करते है. तो आज की लेख में आप रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध पढ़े.

रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध – Essay on Rabindranath Tagore In Hindi

रवीन्द्रनाथ टैगोर एक महान कलाकार, संगीतकार तथा श्रेष्ठ कवी थे. उन्होंने ही ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे’ – नमाक राष्ट्रगीत की रचना की थी.

उनकी प्रतिभा बहुमुखी थी. उन्होने दुनिया भर में भारतीय कविता और कवि का मान बढ़ाया था. लोग उन्हें कवि गुरु कहते हैं.

Essay on Rabindranath Tagore In Hindi
Essay on Rabindranath Tagore In Hindi

रवीन्द्रनाथ का जन्म 7 मई 1861 को कलकत्ता में हुआ था. उनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर और माता का नाम शारदा देवी था.

उनकी प्रांरभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी. केवल 6 वर्षो तक ही उन्होंने विधालय में पढ़ा. अधिकांश शिक्षा उन्होंने घर पर ही स्वाध्याय के द्वारा प्राप्त की.

Short Essay ‘Rabindranath Tagore’ in हिंदी – छोटा निबंध रवीन्द्रनाथ टैगोर

बचपन में ही उनकी माता की मृत्यु हो गई. इससे रवीन्द्रनाथ काफी दू:खी हुए. वे एकांत में बैठकर गीत एवं कविता लिखने लगे.

13 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी प्रथम कविता ‘बनफूल’ लिखी. उनकी रचनाएं बंगाल पत्रिकाओं में प्रकाशित होती थी. 1883 ई. में मृणालिनी देवी से इनका विवाह हुआ.

1905 ई. तक वे एक महान कवि बन चुके थे. ‘गीतांजलि’ नामक ग्रन्थ पर उन्हें 1913 ई. में साहित्य का ‘नोबेल पुरस्कार’ मिला.

रवीन्द्रनाथ एक प्रकृतिप्रेमी थे. वे प्रकृति को मनुष्य की श्रेष्ठ पाठशाला मानते थे. वे बालकों को प्राकृतिक शिक्षा देने के पक्ष में थे. इसी उद्देश्य से उन्होंने ‘शांति निकेतन’ की स्थापना की. आज यह विश्वभारती विश्वविधालय के नाम से जाना जाता है.

Rabindranath Tagore Jivani in Hindi – Rabindranath Tagore Ke Bare Me 300 Words

रवीन्द्रनाथ टैगोर लेखक और कवि के साथ-साथ एक सच्चे मानवता प्रेमी भी थे. वे ऊँच-नीच के भेदभाव को नहीं मानते थे.

उन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता तथा विधवा विवाह का समर्थन किया. महात्मा गाँधी ने उन्हें ‘गुरुदेव’ की उपाधि दी थी.

उन्हें देश-विदेश से उनके उपाधियाँ एवं सम्मान मिले. 7 अगस्त 1941 को गुरुदेव स्वर्ग सिधार गए.

आज रवीन्द्रनाथ टैगोर जीवित नहीं हैं. पर आज जब भी ‘जन-गण-मन’ की सुरीली ध्वनी हमारे कानों में पड़ती है, तब गुरुदेव की याद ताजा हो जाती है.

निष्कर्ष

इस लेख में हमने रवीन्द्रनाथ टैगोर पर निबंध हिंदी में (Essay on Rabindranath Tagore In Hindi 300 Words शेयर किया हुआ है. मुझे उम्मीद है की यह निबंध आप जरुर पसंद करेंगे.

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Suraj Barai

Suraj Barai is a content creator, insurance consultant, Udemy instructor, and the founder of this website. He is an IRDA-approved insurance advisor with LIC of India, helping clients make informed financial decisions. With a passion for sharing knowledge, Suraj dedicates his free time to creating engaging and informative videos for his YouTube channel, inspiring and educating his audience. facebook instagram twitter youtube telegram

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