क्या आप खुदी राम बोस की जीवनी जानना चाहते है, तो आप सही लेख पर है. आज हम खुदी राम बोस की सम्पूर्ण जीवन के बारे में बात करेंगे. जैसे उनके प्राम्बिक जीवन, शिक्षा जीवन, स्वदेशी आन्दोलन क्या था, खुदी राम बोस द्वारा ब्रिटिश के खिलाफ की गयी बिध्रो, उनकी मृत्यु कैसे हुई और उनके मृत्यु के बाद किया हुआ सबकुछ के बारे में. तो आइये जानते है Khudi Ram Bose Biography In Hindi.
खुदी राम बोस की जीवनी – Khudi Ram Bose Biography In Hindi
हमारे भारत भूमि पर बहुत सारे क्रांतिकारी बीरो ने जन्म लिया और हमारे भारत देश को अंग्रजो से आजाद करने के लिए संगर्ष करते हुए अपना प्राण देश को समर्पित किया. उन्ही क्रांतिकरी बीरो में से हमारे खुदी राम बोस भी एक है. बहुत ही कम उम्र में खुदी राम बोस ने इस देश को अजादी दिलाने के लिए संगर्ष किया और अपने प्राण की बलिदान दी.
आइए हम आपको खुदी राम बॉस के जीवनी के बारे में कुछ रोचक बाते बताते है. खुदी राम बोस का जन्म 3 दिसम्बर 1889 को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी नामक गाँव में कायस्थ परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम बाबू त्रैलोक्यनाथ बोस था और माता नाम लक्ष्मीप्रिया देवी था.
Khudi Ram Bose का दो भाई भी था जिनकी की मृत्यु उनके जन्म से पहले हो गयी. खुदी राम बोसे के दो बहन भी थे जिनका नाम अपरूप सरोजिनी और नानिबाला थी. वे सभी भाई–बहन से छोटे थे. जब 6 साल के उम्र के थे तब उनकी माता का निधन हो गया और पिता का जब वे 7 साल के थे.
उनके माता और पिता के निधन के बाद इस छोटे से बच्चे को कौन सहारा देता इस लिए उनकी बहन अपरूपा और उनके पति अमृतलाल रॉय ने खुदी राम जी को अपने साथ ले गए. उन दोनों ने मिलकर खुदी राम जी का पालन-पोषण किया.
खुदी राम बोस की सिक्षा जीवन- Khudi Ram Bose Education Life In Hindi
खुदी राम बोस जी की सिक्षा की बात की जाए तो जब उनके माता और पिता का निधन हुआ तो उनको उन्ही के बड़ी बहन ने उपने साथ ले गयी. अपने साथ ले जाने के बाद उन्होंने खुदी राम बोस को उनकी प्रारम्बिक सिक्षा के लिए हेमिल्टन हाई स्कूल में दाखिला दिलाया.
स्कूल में दाखिला दिलाने के बाद जैसे वोह धीरे–धीरे बड़े हुए तो वे स्कूल के दिनों से ही ब्रिटिश के खिलाफ राजनैतिक गतिविधियों में भाग लेने लगे. अंग्रजो के द्वारा किए जा रहे भारतीयों पर अत्याचारों के कारण उनके मन में अंग्रजो के प्रति घृणा और देश को आजादी दिलाने का भूक बढ़ने लगा. उस स्कूल से अपनी प्ररामबिक सिक्षा 9 वी कक्षा तक पूरी करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी. पढ़ाई छोड़ने के बाद वे 7 अगस्त 1905 को गांधी जी द्वारा चलाई गई स्वदेशी आन्दोलन में कूद पड़े.
स्वदेशी आन्दोलन क्या था- What Was Swadeshi Movement In Hindi
स्वदेशी आन्दोलन गांधी जी द्वारा 7 अगस्त 1905 को चलाया गया आन्दोलन है. इस आन्दोलन में गांधी जी के साथ कई ओर क्रान्तिकारी जूढ़ चुके थे. जैसे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, रवीन्द्रनाथ टैगोर और अरविन्द घोष थे.
इस आन्दोलन का मुख्या उद्देश्य विदेशी बस्तुओ को त्यागना यानि इंग्लैंड के बस्तुओ को इस्तमाल नहीं करना और भारत में निर्माण हुए बस्तुओ को इस्तमाल करना था. भारतीय क्रान्तिकारियो का मानना था की अगर सभी भारत के नागरिक एक जुट होकर इस आन्दोलन का पालन करे तो ब्रिटिश सरकार को व्यपारिक क्षत्रो में आर्थिक नुकसान पहुचाया जा सकता है और ब्रिटिश भारत को छोड़ कर चले जायेंगे.
इस आन्दोलन को उदारवादी नेता सिर्फ बंगाल तक सिमित रखना चाहते थे और विदेशी बस्तुओ को त्यागना चाहते थे. उदारवादी नेताओ के इस विचार से उग्रवादी नेता सेहमत नहीं थे. उग्रवादी नेता इस आन्दोलन को पुरे देश में फैलाना चाहते थे. इसके साथ सिर्फ विदेशी बस्तुओ को ही नहीं बल्कि अंग्रजो द्वारा बनाई गीयी स्कूल, कॉलेज, अदालत औए नौकरियों को भी त्यागना था.
उग्रवादी नेताओ द्वारा इस आन्दोलन को पूरी देश में फैलाया गया. इस आन्दोलन से पूरी देश में गहरा प्रभाव पड़ा और अश्विनी कुमार दत्त ने “स्वदेश बांधव समिति” का स्थापना की यह समिति भारतीय नागरिको को एक जुट करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इस स्वदेशी आन्दोलन के दौरान प्रफुल्ल चन्द्र राय ने बंगाल केमिकल स्वदेशी स्टोर की स्थापना की और 15 अगस्त 1906 को राष्ट्रया सिक्षा परिषद का भी स्थापना हुआ.
इस आन्दोलन का भारतीय छात्रों औरे महिलाओ पर भी गहेरा प्रभाव पड़ा और वे इस आन्दोलन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ उतर गए. इस कारण ब्रिटिश सरकार को बहुत नुकसान सहना पड़ा और इस आन्दोलन के खिलाफ कारवाई की और सन 1908 तक ज्यादा से ज्यादा ब्रिटिश बिध्रोहियो को गिरफ्तार करवा लियी इस लिए यह आन्दोलन ज्यादा समय तक नहीं चल पाया और यह आन्दोलन बिफल हो गया.
खुदी राम बोस द्वारा ब्रिटिश के खिलाफ की गयी बिध्रो- Revolt By Khudi Ram Bose Against Of British In Hindi
स्कूल छोड़ने के बाद इतने कम उम्र में उन्होंने स्वदेशी आन्दोलन में भाग तो लिया और बाद में रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वन्दे मातरम् का पर्ची बितरित करने में एक अहम भूमिका निभाई. उसके बाद जब सन 1905 में जब लार्ड कर्ज़न ने बंगाल विभाजन किया तो उसके खिलाफ आन्दोलन चलाया गया. उसमे खुदी राम बोस जी ने पूरा सहियोग दिया. उस आन्दोलन के समय कलकत्ता के मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारतीय को बहुत क्रूर दण्ड दिया जिसके कारण भारतीय क्रांतिकारियों को बहुत संगर्ष करना पड़ा.
कलकत्ता के मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड ने भारतीय करान्तिकरियो को क्रूर दण्ड दिया इस कारण ब्रिटिश सरकार मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड से बहुत खुश हुआ और पदोन्नति देकर मुजफ्फरपुर में सत्र न्यायाधीश के पद पर बिठा दिया.
इसके परिणाम स्वरुप भारतीय क्रांतिकारियों ने एक समिति का गठन किया और इस समिति का नाम युगान्तर रखा गया. उस समिति में भारितीय क्रांतिकारियों ने एक गुफत बैठक बुलाई और उस बैठक में मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड को मारने का निश्चयी किया गया.
उस बैठक के दौरान इस काम को अंजाम देने के लिए भारतीयों क्रांतिकारियों ने खुदी राम बोस और प्रफुल्लकुमार चाकी को चयन किया गया.
उसके बाद सन 1906 में मिदनापुर में एक औद्योगिक तथा कृषि प्रदर्शन की शुरुवात हुआ तो दूर प्रान्तों से सेकड़ो लोग जमा होकर इस प्रदर्श में भाग लेने लगे. उस प्रदर्शन में एक महान क्रान्तिकारी सत्येन्द्रनाथ ने “सोनार बंगला” नमक ज्वाला पत्र लिखा. उस ज्वाला पत्र को खुदी राम बोस ने पूरी सैहोग के साथ प्रदर्शन में आए हुए भारत के सभी प्रान्त के लोगो में बाटने लगे.
उस समय खुदी राम जी को अंग्रेज के खिलाफ बिध्रो करने पर ब्रिटिश के एक पुलिस अधिकारी उनका पीछा करते हुए खुदी राम जी को गिरफ्तार करने के लिये पीछा किया तो खुदी राम जी ने पुलिस अधिकारी के मुह में घुसा मार कर वहा से भाग गए.
वहा से भागने के बाद 28 फरवरी 1906 को उन्हें राजद्रोह के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार करने के बाद खुदी राम जी जेल से भाग गए. भागने के दो महीने बाद फिर वे पकड़े गए. खुदी राम जी को गिरफ्तार करने के बाद अंग्रेज सरकार को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने पर खुदी राम जी को 16 मई 1906 को रिहा कर दिया.
जेल से रिहा होने के बाद भी उन्होंने ब्रिटिश के खिलाफ बिध्रो जारी रखा और 6 दिसम्बर 1907 को रायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया परन्तु गवर्नर बच गया.
बंगाल के गवर्नर पर फिर सन 1908 को अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया लेकिन इस में भी वोह कामियाब हो नहीं पाए और अंग्रेज अधिकारियों वाट्सन और पैम्फायल्ट फुलर बच गए.
सन 1905 में जब युगान्तर समिति ने खुदी राम बोस और प्रफुल्लकुमार चाकी को मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड को मारने के लिए चयन किया था. लेकिन खुदी राम बोस को 28 फरवरी 1906 को राजद्रोह के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया.
गिरफ्तार होने के बाद वे इस काम को अंजाम नहीं दे पाये इसलिए खुदी राम बोस और प्रफुल्लकुमार चाकी ने 8 अप्रैल 1908 को मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड को बम फेक कर मार ने के लिए खुदी राम बोस और प्रफुल्लकुमार चाकी मॅजिस्ट्रेट किंग्जफोर्ड के बंगले के बहार किंग्जफोर्ड के घोड़ागाड़ी का आने का इन्तेजार कर रहे थे.
इन्तेजार करते- करते बहुत रात हो चुकी थी. रात के अंधेर में जब किंग्जफोर्ड के जैसे ही गाड़ी को उन्होंने रास्ते पर जाते हुए देखा तो वोह गाड़ी के पीछे भागने लगे और कुछ समय बाद गाड़ी को बम से उड़ा दिया. गाड़ी को बम से उढ़ाने के बाद वे समझे की किंग्जफोर्ड से उन्होंने बदला ले लिया और वे वहां से भाग गए.
अगले दिन पता चला की उस गाड़ी में किंग्जफोर्ड नहीं था बलकी यूरोपीय महिला कैनेडी और उसकी बेटी सवार थी. किंग्जफोर्ड के धोखे में दोनों महिलाएं मारी गई जिसका खुदीराम और प्रफुल्लकुमार चाकी को बेहद अफसोस हुआ.
खुदी राम बोस की मृत्यु कैसे हुई – How Khudi Ram Bose Died In hindi
Khudi Ram Bose और प्रफुल्लकुमार चाकी ने किंग्जफोर्ड का गाड़ी समझ कर बम फेका लेकिन किंग्जफोर्ड के बजाई उस गाड़ी में यूरोपीय महिला कैनेडी और उसकी बेटी थी. जब वे वहां से भागे तो अंग्रेज की पुलिस उनके पीछे पड़ गए. पीछा करते-करते अंग्रेज की पुलिस ने कुछ दिनों बाद उन्हें वैनी रेलवे स्टेशन पर घेर लिया.
जब उन्हें अंग्रेज की पुलिस ने घेर लियो तब प्रफुल्लकुमार चाकी ने खुद को गोली मार कर जान दे दी और 1 मई को खुदी राम बोस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार के बाद मुक़दमे की शुरुवात 21 मई से की गयी. ब्रिटिश सरकार की ओर से भानुक व विनोद मजूमदार तथा बोस की ओर से कालिका दास बोस ने मुकदमा लड़ा था.
23 मई को खुदीराम ने कोर्ट में अपना पहला गवाई दी फिर कुछ दिन बाद 13 जुलाई को फैसले की तारीख घोषित किया गया और 8 जुलाई को मुकदमा शुरू किया गया.
खुदी राम जी फांसी की सजा से बचाने के लिए कोर्ट में बहुल अपील की लकिन 13 जुलाई 1908 को अंतिम सुनवाई कोर्ट ने दे दी और 11 अगस्त 1908 को खुदी राम बोस को मुजफ्फरपुर जेल में 18 साल की उम्र में फांसी दे दी गयी.
खुदी राम के मृत्यु के बाद किया हुआ – What Happens After The Death Of Khudi Ram Bose
Khudi Ram Bose अपने मृत्यु के बाद भी बहुत लोकप्रिय हुए. उनके मृत्यु के कारण पूरा बंगाल शोक मना रहे थे. बंगाल के जितने मुस्लमान थे वे एक खास किस्म की धोती बुनने लगे और युवाओ ने ऐसी धोती पहनना सुरु कर दिया जिनकी किनारी पर ‘खुदीराम’ लिखा होता था. उनके मृत्यु पर पुरे देश के विद्यार्थियों दुखी हुए और कई दिनों तक स्कूल और कॉलेज बंद रहे.
उनके मृत्यु के बाद उनके साहसिक योगदान को अमर करने के लिए गीत रचे गए और उनका बलिदान लोकगीतों के रूप में मुखरित हुआ. उनके सम्मान में भावपूर्ण गीतों की रचना हुई जिन्हें बंगाल के लोक गायक आज भी गाते हैं.
कुछ सालो बाद जब 15 अगस्त 1947 को आजादी मिली तो कोल्कता में खुदी राम बोसे जी के नाम से कई स्कूल, कॉलेज रेलवे स्टेशन आदि की स्ताफना की गयी. उनके नाम से सन 1965 को खुदी राम सेंट्रल कॉलेज की स्ताफ्ना की गयी. उसके बाद खुदीराम रेलवे स्टेशन, सहीद खुदी राम बोस हॉस्पिटल, खुदी राम बोस मेमोरियल सेंट्रल जेल, सहीद खुदी राम सिक्षा प्रांगन, खुदी राम अनुसिलन केंद्र और खुदी राम बोस पुष्पा रेलवे स्टेशन की बि स्ताफ्ना भी की गयी.
FAQs
Q: खुदी राम बोस का जन्म कब हुआ था ?
Ans: खुदी राम बोस जन्म 3 दिसम्बर 1889 को हुआ था.
Q: खुदी राम बोस का जन्म कहा हुआ था.
Ans: खुदी राम बोस का जन्म पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले के बहुवैनी नामक गाँव में हुआ था.
Q: खुदी राम बोस के पिता का नाम क्या था ?
Ans: खुदी राम बोस के पिता का नाम त्रैलोक्यनाथ बोस था.
Q: खुदी राम के माता का नाम क्या था ?
Ans: खुदी राम के माता का नाम लक्ष्मीप्रिया देवी थी.
Q: खुदीराम बोस को कब फांसी दिया गया ?
Ans: खुदी राम को 11 अगस्त 1908 को फांसी दिया गया.
Q: खुदीराम बोस को क्यों फांसी दी गई ?
Ans: यूरोपीय महिला कैनेडी और उसकी बेटी को बम फेक कर हत्या करने के जुर्म में.
Q: मुजफ्फरपुर बम कांड से संबंधित खुदीराम बोस के वकील कौन था?
Ans: मुजफ्फरपुर बम कांड से संबंधित खुदीराम बोस के वकील कालिका दास बोस थी.
Q: मुजफ्फरपुर में किंग्स फोर्ड की हत्या का प्रयास कब किया गया ?
Ans: मुजफ्फरपुर में किंग्स फोर्ड की हत्या का प्रयास 8 अप्रैल 1908 को क्या गया.
Q: खुदी राम बोस के निकटतम सहयोगी कौन थे ?
Ans: खुदी राम बोस के निकटतम सहयोगी प्रफुल्लकुमार चाकी थे.
Q: मुजफ्फरपुर बम कांड के महानायक कौन थे ?
Ans: मुजफ्फरपुर बम कांड के महानायक खुदी राम बोस और प्रफुल्लकुमार चाकी थे.
Q: कितने वर्ष की आयु में खुदी राम को फांसी दी गयी ?
Ans: खुदी राम को 18 वर्ष की आयु में फांसी दी गयी.
निष्कर्ष
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