Bhagat Singh Biography In Hindi – भगत सिंह की जीवनी

Rate this post

भगत सिंह जी की जीवनी (Bhagat Singh Biography in Hindi), उनके शिक्षा जीवन, वे क्रांतिकारी कैसे बने और जनिवालाबाग हत्याकांड के बारे में हमने इस लेख में बात की है. तो आइये जानते है भगत सिंह जी का जन्म, मृतु, सादी, शिक्षा, आन्दोलन और उनके लिखे गए पत्र के बारे में.

Contents hide

भगत सिंह जी की जीवनी – Bhagat Singh Biography In Hindi

भगत सिंह जी का जन्म 28 सितम्बर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था. जो अब वर्तमान पाकिस्तान में है . उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर थी. वे पाँच भाई थे. जिनके नाम कुलतार सिंह, राजिंदर सिंह, जगत सिंह और रनबीर सिंह था. उनके तिन बहनें भी थे जिनके नाम बीबी प्रकाश कौर, बीबी अमर कौर और सकुन्तला कौर थी.

भगत सिंह जी के दो चाचा भी थे, जिनके नाम अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह था. भारत के आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ उनके दो चाचा भी आजादी की लड़ाई का एक हिस्सा थे. जिसके कारण उनके दोनों चाचा को जेल जाना पड़ा था.

Bhagat Singh Biography In Hindi
Bhagat Singh Biography In Hindi

ये दोनों करतार सिंह सराभा द्वारा संचालित गदर पार्टी के सदस्य थे. जिसदिन भगत सिंह जी का जन्म हुआ उसी दिन उनके दोनों चाचा जेल से रिहा हुए. भगत सिंह की दादी जय कौर ने उनका नाम भागां वाला (अच्छे भाग्य वाला) रखा. बाद में उन्हें भगत सिंह कहा जाने लगा. भगत सिंह पर इन दोनों चाचा का गहरा प्रभाव पड़ा था. इसलिए वे बचपन से ही अंग्रेजों से घृणा करने लगे थे.

भगत सिंह जी की शिक्षा जीवन – Bhagat Singh Education Life in Hindi

भगत सिंह की प्रारंभिक शिक्षा सुरु हुई जब वे पाँच वर्ष के थे, तब उनका नाम पैतृक बंगा गांव के जिला बोर्ड प्राइमरी स्कूल में लिखाया गया. जब वे ग्यारह वर्ष के थे तो उनके साथ पढ़ रहे उनके बड़े भाई जगत सिंह का असामयिक निधन हो गया.

इसके बाद सरदार किशन सिंह सपरिवार लाहौर के पास नवाकोट चले आए. प्राइमरी पास कर चुके बालक भगत सिंह को सिख परम्परा के अनुसार खालसा-स्कूल की बजाय राष्ट्रीय विचारधारा से ओतप्रोत लाहौर के डी.ए.वी स्कूल  में 1916-17 में दाखिला दिलाया गया.

आजादी से पहले यह स्कूल पाकिस्तान के लाहौर में इस्लामिया स्कूल के नाम से हुआ करता था. आजादी के बाद वर्ष 1948  में इस स्कूल का नाम डी.ए.वी कॉलेज कर दी गई थी.

उस समय वे 12 बर्ष के थे जब 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. उसके कारण उनके मन में बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था. वे 14 वर्ष की उम्र में डी.ए.वी. स्कूल से नौवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की. 1923 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विवाह बंधन में बांधने की तैयारियां होने लगी तो वह लाहौर से भागकर कानपुर आ गए. फिर देश की आजादी के संघर्ष में ऐसे रमें कि पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया.

भगत सिंह जी का क्या शादी हुआ था? – Did Bhagat Singh Got Married in Hindi

अब भगत सिंह जी की शादी की बात की जाए तो उन्होंने शादी नहीं की थी लकिन एक बार अंग्रजो की एक मिशन को फेल करने के लिए एक महिला ने भगत सिंह जी की मदत उनकी पत्नी बन कर की थी.

जिनका नाम दुर्गावती बोहरा थी. दुर्गावती बोहरा जी ने 18 दिसंबर 1928 को भेष बदलकर कलकत्ता मेल से यात्रा की थी. दुर्गावती बोहरा को दुर्गा भाभी के नाम से भी जानते हैं. उनका भगत सिंह की पत्नी बनने का किस्सा आज भी चर्चित है.

भगत सिंह जी कैसे बने एक महान क्रान्तिकारी – How Did Bhagat Singh Become A Great Freedom Fighter In Hindi

भगत सिंह जी के पिता और उनके दोनों चचा एक सच्चे देशभक्त और क्रान्तिकारी थे. इसलिए इसका प्रभाव भगत सिंह जी पर भी पड़ा. एक बार की बात है जब  बचपन में भगत सिंह जी अपने चाचा के साथ खेत में काम करने गए और उनके चाचा जब गढ्ढे खोद कर आम के पेड़ लगा रहे थे.

 उसी समय भगत सिंह जी ने अपने चाचा से पूछा की, चाचा आप किया कर रहे हो, तो चाचा ने कहा की बेटा में आम का पेड़ लगा रहा हूँ.  भगत सिंह जी ने पूछा इससे किया होगा.  तो चाचा ने कहा इस पर बहुत से आम लगेंगे और हम सब खाएंगे. उसी समय भगत सिंह जी दौड़ते हुए घर गए और घर से एक बंदूक लेकर खेत में आकर गढ्ढे खोदने लगे.

गढ्ढे खोदने के बाद बंदूक को जैसे ही गढ्ढे में डाल रहे थे तो चाचा ने कहा कि यह क्या कर रहे हो, तब भगत सिंह ने कहा कि मैं बंदूक की फसल उगा रहा हूं, जिससे कई बंदूके पैदा होंगी और हम अपने देश को इन अंग्रेजों से आजाद करवा सकेंगे.

13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड की सुचना उन्हें मिलते ही वे 12 वर्ष के उम्र में ही अपने स्कूल से तुरंत निकल कर अमृतसर के जलियांवाला बाग में 12 मील पैदल चलकर पहुँच गए.

लाहौर के डी.ए.वी स्कूल की पढ़ाई छोड़ने के बाद भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी.  

उसके बाद सन 1922 के चौरी-चौरा हत्‍याकांड के बाद गाँधी जी ने जब किसानों का साथ नहीं दिया तब भगत सिंह बहुत निराश हुए. उसके बाद उनका अहिंसा से विश्वास कम हो गया और वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि सशस्त्र क्रांति ही स्वतंत्रता दिलाने का एक मात्र रास्ता है.

 उसके बाद जब काकोरी कांड में रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ सहित 4 क्रांतिकारियों को फांसी और 16 अन्य को कारावास की सजा दी जाने से भगत सिंह इतने ज्यादा बेचैन हुए कि चंद्रशेखर आजाद के साथ उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ गया. और उसे एक नया नाम दिया ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’. इस संगठन का उद्देश्य सेवा, त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था.

1928  में साइमन कमीशन के बहिष्कार के लिए भयानक प्रदर्शन हुए. इन प्रदर्शनों में भाग लेने वालों पर अंग्रेजी शासन ने लाठी चार्ज भी किया. इसी लाठी चार्ज से आहत होकर लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई.

 लाला लाजपत राय जी के मृत्यु से भगत सिंह जी को बहुत दुःख हुआ.  उसी समय भगत सिंह जी ने कसम खाया की वे लाला लाजपत राय जी की मौत का बदला अंग्रजो से लेंगे.

इसके बाद भगत सिंह और राजगुरु के साथ मिलकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में सहायक पुलिस अध्यक्ष रहे अंग्रेज अधिकारी जेपी सांडर्स को मारा. राजगुरु ने एक गोली सीधी उसके सर में मारी जिससे वह पहले ही मर जाता. लेकिन तुरन्त भगत सिंह ने भी 3 से 4 गोली और दाग कर उसके मरने का पूरा इन्तज़ाम कर दिया.

वे दोनों जैसे ही गोली मारकर वहा से भाग रहे थे कि एक सिपाही चनन सिंह ने इनका पीछा करना शुरू कर दिया. चन्द्रशेखर आज़ाद ने सिपाही चनन सिंह से कहा अगर तुम “आगे बढ़े तो गोली मार दूँगा.” नहीं मानने पर चन्द्रशेखर ने उसे गोली मार दी और वो वहीं पर मर गया. और इस कार्रवाई में क्रां‍तिकारी चंद्रशेखर आजाद ने भी उनकी पूरी सहायता की.

भगत सिंह जी को क्यों गिरफ्तार किया गया था – Why Was Bhagat Singh Arrested In Hindi

 भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर अलीपुर रोड़ दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंके. बम फेंकने के बाद भगत सिंह जी और बटुकेश्वर जी ने उस जगह से नहीं भागा. और वहीं पर वे दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दे दी थी.

भगत सिंह जी की मृत्यु कैसे हुई थी – How Did Bhagat Singh Died In Hindi

8 अप्रैल 1929 को अलीपुर रोड़ दिल्ली स्थित ब्रिटिश भारत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली में अंग्रेज सरकार को जगाने के लिए बम और पर्चे फेंकने के बाद वहीं पर उन दोनों ने अपनी गिरफ्तारी दे दी थी. गिरफ्तार होने के बाद वे करीब 2 साल जेल में रहे. इस दौरान उनहोने अपने क्रान्तिकारी विचार व्यक्त करते हुए भगत सिंह जी ने एक डाईरी भी लिखि थी.

 जेल में रहते हुए भी उनका अध्ययन लगातार जारी रहा उनके जेल दौरान लिखे गये लेख व सगे सम्बन्धियों को लिखे गये पत्र आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं. उन्होंने लिखा कि मजदूरों का शोषण करने वाला चाहें एक भारतीय ही क्यों न हो, वह उनका शत्रु है.

 उन्होंने जेल में अंग्रेज़ी में एक लेख भी लिखा जिसका शीर्षक था मैं नास्तिक क्यों हूँ? जेल में भगत सिंह व उनके साथियों ने 64 दिनों तक भूख हडताल की और उनके एक साथी यतीन्द्रनाथ दास ने तो भूख हड़ताल में अपने प्राण ही त्याग दी.

26 अगस्त 1930 को अदालत ने भगत सिंह और उनके साथियो को भारतीय दंड संहिता की धारा 129, 302 तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 और 6 एफ तथा आईपीसी की धारा 120 के अंतर्गत अपराधी सिद्ध किया.

 7 अक्तूबर, 1930 को अदालत के द्वारा 68 पृष्ठों का निर्णय दिया. जिसमें भगत सिंह और उनके साथी  सुखदेव तथा राजगुरु को फाँसी की सजा सुना दिया गया. 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया.

भगत सिंह जी के जिंदगी के अखरी 12 घंटे – Bhagat Singh’s Life Last 12 Hours

भगत सिंह जी को फांसी 23 मार्च 1931 को हुआ था. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने जब भगत सिंह जी को फांसी की सजा सुनाई थी तो ब्रिटिश सरकार ने फांसी कि तारिख 24 मार्च 1931 सुबह 4 बजे की तय की थी.   

लेकिन ब्रिटिश सरकार को भारतीय जनता से डर था की भारतीय जनता फांसी के दिन कोई हंगामा खड़ा ना कर दे इसलिए ब्रिटिश सरकार ने बिना किसी को सचेत किये फांसी का समाई 12 घंटे टाल दी और 24 मार्च 1931 सुबह 4 बजे के बजाई 23 मार्च 1931 शाम 7 बजे कर दी थी.

जिस दिन भगत सिंह जी और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी की साजा दी गई. उस दिन सुबह से जेल में हल चल सुरु हो गया था, क्यिंकि उनके फांसी का समय कम कर दिया गया था. सजा के दिन पहले जैसा ही भगत सिंह जी के आँखों में पुराणी चमक थी.

उनके आँखों में फांसी का कोई डर नहीं था. उनके फांसी के पहले 12 घंटे बहुत महत्वपूर्ण और नोजवानो के लिए प्रेणादायक थे. भगत सिंह जी की आखरी इच्छा थी की वे फांसी में चड़ने से पहले अपने घर का खाना खाए और वे लेनिन की जीवनी पूरा पढ़े.

उन्होंने जेल के मुस्लिम सफाई कर्मचारी से अनुरोध की के वे उनके घर से खाना लाए लकिन वे उनकी यह इच्छा पूरी नहीं कर पाए क्युकी फांसी का समय बिता जा रहा था और बेबे जेल के गेट के अंदर नहीं घुस पाए. इसीलिए उनकी यह इच्छा भी पूरी नहीं हो पाई थी.

भगत सिंग का आखरी ख़त अपने अपने छोटे भाई कुलतार सिंह को

प्यारे कुलतार सिंह,

                    आज तुम्हरी आँखों में आंसू देखकर बहुत रंग हुआ. आज तुम्हरी बातो में बहुत दर्द था. तुम्हरे आंसू हमे बर्दाश न हुए. प्यारे भाई हिम्मत से तालीम हासिल करते जाना और सेहत का खयाल रखना और क्या लिखूं हौसला रखना,

सुनो-

उसे यह फिक्र है, हरदम नई तर्ज-ए-जका क्या है.

हमे यह शौक है, देखें सितम की इन्तेहा क्या है.

दहर से क्यों खफा रहे, चर्ख का क्यों गिला करे.

सारा जहाँ अदू सही औओ मुकबला करे.

कोई दम का मेहमांहूँ अहले महफिल.

चिरागे सेहर हूँ बुझा चाहता हूँ.

आबो हवा में रहेगी खयालकी बिजली.

यह मुरते खाक है फानी रहे रहे न रहे.

अच्छा खुश रहो अहले वतन हम तो सफ़र करते है आनंद से रहना.

तुम्हारा भाई – भगत सिं.

जलियांवाला वाग हत्याकांड क्या था ? – Jaillanwala Bag Massacre In Hindi

भारत के इतिहास में अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड एक बहुत दर्दनाक धटना थी जो अंग्रजो के द्वारा की गई थी. सन 13 अप्रैल 1919 को पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में बैसाखी के दिन हुई थी.

ये घटना यह थी की जब भारत के हजारों लोग रोलेट एक्ट और राष्ट्रवादी नेताओं सत्यपाल एवं डॉ. सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में जलियांवाला बाग में एकत्र हुए थे. इस बात की पता जब ब्रिटिश सरकार को चला तो जनरल रेजीनल्ड डायर ने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओड्वायर के आदेश पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी.

इस गोलीबारी में सैकड़ों लोगो को मौत की नींद सुला दिया गया. क्यूंकि जलियांवाला वाग की दीवारे बहुत ऊँची थी और निकलने का रास्ता भी एक था. उस रास्ते पर ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर अपने साथ और 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गया था. उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं.

 सैनिकों ने बाग़ को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरु कर दीं 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं. कई लोग तो गोलियों के निशाना बने ही और अपने जान बचानेके लिए भागते समय कुछ लोग पैरो तले कुचल के भी मर गए और कुछ लोग जान बचाने के लिए जलियांवाला वाग के कुँए में कूद पड़े और मर गए. इस घटना में घायल और शहीद हुए लोगो की सूची कुछ इस तरह है.

अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियाँवाला बाग़ में कुल 388 शहीदों की सूची है. ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जबकि अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए.

अमृतसर की इसी दर्दनाक घटना के प्रभाब से भगत सिंह जी एक महान क्रान्तिकारी बने थे.

FAQs

Q. भगत सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

Ans: भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था.

Q. भगत सिंह के पिता का नाम क्या था ?

Ans: भगत सिंह के पिता का नाम सरदार किशन सिंह था.

Q. भगत सिंह के माता का नाम  क्या था ?

Ans: भगत सिंह के माता का नाम विद्यावती कौर थी.

Q: भगत सिंह के कितने चाचा थे और उनके क्या नाम थे ?

Ans: भगत सिंह के दो चाचा थे जिनके नाम अजीत सिंह और स्वर्ण सिंह था.

Q: भगत सिंह के कितने भाई थे और उनके नाम क्या थे ?

Ans: भगत सिंह के चार भाई थे जिनके नाम कुलतार सिंह, राजिंदर सिंह, जगत सिंह और रनबीर सिंह था.

Q: भगत सिंह के कितने बहन थे और उनके नाम क्या थे ?

Ans: भगत सिंह के तिन बहन थी जिनके नाम बीबी प्रकाश कौर, बीबी अमर कौर और सकुन्तला कौर थी.

Q: भगत सिंह का स्कूल का नाम क्या था?

Ans: भगत सिंह का स्कूल का नाम डी.ए.वी स्कूल था.

Q: भगत सिंह को लाहौर के डी.ए.वी स्कूल  में दाखिला कब  दिलाया गया ?

Ans: भगत सिंह को लाहौर के डी.ए.वी स्कूल में सन 1916-17 में दाखिला दिलाया गया.

Q: जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था ?

Ans: जलियांवाला बाग हत्याकांड 13 अप्रैल 1919 को हुआ था.

Q: चौरी-चौरा हत्‍याकांड कब हुआ था ?

 Ans: चौरी-चौरा हत्‍याकांड सन 1922 को हुआ था.

Q: भगत सिंह ने ब्रिटिश सेंट्रल असेंबली में बम कब फेका था ?

Ans: भगत सिंह ने ब्रिटिश सेंट्रल असेंबली में बम 8 अप्रैल 1929 को फेका था.

Q: भगत सिंह को फांसी कब हुआ था ?

Ans: भगत सिंह को फांसी 23 मार्च 1931 को साम 7 बजे हुआ था.

निष्कर्ष

इस लेख में हमने भगत सिंह जी के बारे में बात की है. Bhagat Singh Biography in Hindi. भगत सिंह जीवनी, उनके परिवार, पत्नी, भगत सिंह की शादी, जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे मैं भी बात की गई है.

उम्मीद करते है की यह जानकरी आपको पसंद आई है. यदि आपको भगत सिंह की जीवनी के बारे में जानकरी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर शेयर जरुर करे. इस तरह की नई नई जानकरी के लिए हमे फॉलो जरुर करे.

आपको इनके बारे में भी पढ़नी चाहिए