महालया में सुबह क्यों घूमते हैं लोग और क्या है महालया का मतलब

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महालया मे लोग क्यों सुबह घूमते है? जानकारी के लिए बता दे महालया को मां दुर्गा के धरती पर आगमन का दिन माना जाता है. इसके अलावा महालया का उत्सव पितृ-पक्ष के अंतिम दिन के बाद मनाया जाता है.

इसके साथ ही महालया नवरात्रि और दुर्गा पूजा के शुरुआत का प्रतीक भी है. कहा जाता है कि महालया के एक दिन पहले पित्रों को विदाई दी जाती है.

इसके बाद महालया के दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से सीधे धरती पर आती हैं और यहां 9 दिन तक वास करती है, तथा अपनी कृपा के अमृत पृथिवी के लोगो पर बरसाती हैं. इसके साथ ही महालया दुर्गा पूजा का पहला दिन भी कहा जाता है.

महालया के दिन मां दुर्गा की आंखों को तैयार किया जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार महालया और सर्व पितृ अमावस्या एक ही दिन मनाया जाता है.

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यह त्यौहार भारत के कोई राज्य मे मनाया जाता है जिसमे कुछ मुख्या राज्य भी है. जैसे कर्नाटक, ओडिशा, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल तथा असम राज्य. इन सभी राज्य में यह दिन बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है.

महालया का क्या अर्थ है?

महालया एक संस्कृत शब्द है जो “महा + आलय” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है “महान आवास“। महालया का मूल अर्थ कुल देवी-देवता आवाहन है. उसी दिन माँ दुर्गा धरती पर आती है और पाप का नास करती है.

महालया त्यौहार का इतिहास

महालया त्यौहार के बारे में बहुत से कहानिया है, जिसमे से एक कहानी यह भी है की इस दिन का इतिहास तब से जुड़ा है जब श्री राम ने लंका युद्ध के लिए जाने से पहले देवी माँ दुर्गा की पूजा की थी। उन्होंने देवी से आशीर्वाद लिया ताकि वे सीता को रावण के चंगुल से सफलतापूर्वक छुड़ा कर ला सकें.

माना जाता है, जब श्री राम माता दुर्गा की पूजा कर रहे थे तो सभी देवताओं ने भी उनके साथ मिल कर दुर्गा माँ की पूजा की थी। इसी दिन देवी दुर्गा ने स्वर्ग से पृथ्वी का सफ़र शुरू किया था.

इसके साथ ही एक और कहानी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रचलीत है की इसी दिन अत्याचारी राक्षस महिषासुर का संहार करने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां दुर्गा के रूप में एक शक्ति का सृजित किया था.

अत्याचारी राक्षस महिषासुर को वरदान था जिसके कारण कोई भी देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर सकता था, ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया था. इसके साथ ही उसने अमर होने की इस गलतफैमी के घमंड में लगातार देवताओं पर आक्रमण करने लगा.

एक बार देवताओं से युद्ध हुआ तो देवता हार गए. जिस कारण देवलोक में महिषासुर का राज हो गया. तब सभी देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश से बिनती किया. तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ-साथ देवताओं ने भी आदिशक्ति की आराधना की थी.

इसी दौरान देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली. उसने मां दुर्गा का स्वरूप धारण किया और उस दिन माँ दुर्गा की धरती में आगमन हुआ. धरती में आने के बाद 9 दिन तक चले भीषण युद्ध के बाद मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. महालया को मां दुर्गा के धरती पर आगमन का दिन माना जाता है.

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महालया क्या एक अच्छा दिन है?

महालया एक खुशी का अवसर है. जिसका कारण यह है की इस दिन दुर्गा मां के धरती पर आगमन हुआ था. इसके साथ ही बंगालियों के लिए यह एक शुभ दिन माना जाता है. जो आने वाले 2022 के 10 सितंबर से 25 सितंबर को मनाया जाएगा.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार यदि बता करे तो महालया का उत्सव दुर्गा पूजा समारोह से एक सप्ताह पहले शुरू होता है और पितृ पक्ष के अंतिम दिन आता है.

महालया मे लोग क्यों सुबह घूमते है?

महालया के दिन से जुड़ी कई कहानियां और लोक कथाएं प्रचलीत है. इसीमे बड़े पैमाने पर लोगों का मानना ​​है कि इस दिन सुबह माँ दुर्गा धरती पर आती है, और अशुरो के राजा महिषाशुर का वद करके पाप का नास करती है. जिसके कारण यह एक खुसी का दिन भी होता है और लोग इस दिन को सुबह घुमने जा कर खुसी से मनाते है.

इसके अलावा इस दिन सुबह घुमने से मन शांत होता है और उन्हें माँ दुर्गा की आशीर्वाद प्राप्त होता है.

महालया अमावस्या 2022 तिथि -Mahalaya Amavasya 2022 Tithi

महालया अमावस्या तिथि की शुरुआत 25 सितंबर 2022 को सुबह 3 बजकर 12 मिनट से हो रही है, अमावस्या तिथि का समापन 26 सितंबर 2022 सुबह 3 बजकर 23 मिनट पर होगा.

इस बार माँ दुर्गा हाथी पे सवार हो कर आएंगी जिससे देश में धन और ज्ञान की प्रगति होगी. इसके साथ ही दुर्गा माँ इस बार हाथी में ही प्रस्थान करेगी जो की अधिक बरसात को ओर संकेत करता है.

महालया की कुछ रोचक तथ्य

  • महालया माँ दुर्गा के धरती पर आगमन का दिन भी कहा जाता है.
  • मां दुर्गा कैलाश पर्वत से सीधे धरती पर आती हैं और यहां 9 दिन तक वास करती है.
  • महालया का मूल अर्थ कुल देवी-देवता का आवाहन है.
  • महालया के दिन से ही देवी दुर्गा ने महिषासुर से करीब 9 दिनों तक युद्ध किया और 10वी दिन देवी दुर्गा की जित हुई.

FAQs

Q. महालया क्यों मनाया जाता है?

Ans: कहा जाता है महालया के दिन देवी दुर्गा धरती पर आई थी और पाप का नास किया था. इसके अलावा यह दिन दुर्गा पूजा का पहला दिन भी माना जाता है. जिस कारण इस दिन को मनाया जाता है.

Q. महालया का महा उत्सव भारत के कितने राज्य मे मनाया जाता है?

Ans: महालया का महा उत्सव भारत के मुख्य रूप से 5 राज्य मे मनाया जाता है. जेसे कर्नाटक, ओडिशा, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल और असम.


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