Mahatma Gandhi Jayanti 2023: गाँधी जयंती क्यों मनाते है? पढ़े पूरी सच्चाई

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Mahatma Gandhi Biography in Hindi: महात्मा गाँधी बायोग्राफी हिंदी में. गांधी जयंती क्या है. महात्मा गांधी की जन्म, परिवार, जीवनी, पढ़ाई, इतिहास, आन्दोलन, विबाह, बच्चो के नाम, मृत्य, हत्यारा, समाधी आदि इन सभी के बारे में इस लेख से जाने. यदि आप गांधी जयंती और महात्मा गांधी से जुडी कुछ भी जानकारी चाहते है तो इस लेख पर बने रहिये.

तो चलिए अब महात्मा गांधी के जीवनी और बायोग्राफी (Mahatma Gandhi Biography in Hindi) के बारे में जानते है.

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गांधी जयन्ती क्यों मनाई जाती है – Gandhi Jayanti 2023

Mahatma Gandhi Biography in Hindi: गांधी जयन्ती हमारा राष्ट्रीय त्यौहार है. यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष 2 अक्टुबर को महात्मा गांधी के जन्म दिन पर मनाया जाता है. महात्मा गांधी हमारे देश के “राष्ट्रपिता” है. हम प्यार से उन्हें “बापू” कहते है.

Mahatma Gandhi Biography in Hindi
Mahatma Gandhi Biography in Hindi

महात्मा गांधी भारत ही नहीं पुरे विश्व के नेता थे. उनके नेतृत्व में ही भारत अंगरेजी शासन से मुक्त हुआ था. देश की स्वतंत्रता में गांधीजी का बड़ा योगदान है. वे सर्वधर्म समभाव के समर्थक थे. वे छुआछूत एवं ऊँच-नीच के भेदभाव का विरोध करते थे.

वे सत्य और अहिंसा का पालन किया. इसलिए ऐसे महात्मा का जन्म दिन मनाकर हम उनके प्रति सच्ची श्रद्धा दिखाते है.

2 अक्टुबर को सार्वजनिक छुट्टी होती है. इस दिन स्कुल-कॉलेजों एवं सरकारी कार्यालयों में अनेक कार्यक्रम होते है. सबेरे प्रार्थना सभाएं होती है. इस अवसर पर बापू के प्रिय भजन – “रघुपति राघव राजा राम” गाए जाते है. प्रभात फेरियां निकली जाती है. गांधीजी की मुर्तियों पर फुल-मालाएँ चढ़ाते हैं.

गांधीजी हमेशा खादी के वस्त्र पहनते थे. अत: गांधी जयन्ती के दिन स्त्रीयां चरखे पर सूत काटती है. गरीबों को खादी के वस्त्र बांटे जाते हैं. इस दिन सरकार नई-नई योजनाओं की घोषणा करती हैं.

गांधीजी हमारे राष्ट्रपिता हैं. उनका सम्मान राष्ट्र का सम्मान हैं. इनका आदर्श देशवासियों को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है.

महात्मा गाँधीजी का जीवनी – Mahatama Gandhi Biography in Hindi

Mahatma Gandhi Biography in Hindi: राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का जन्म गुजरात राज्य के एक इतिहासिक शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था. उनके पिता श्री करमचंद गांधी ब्रिटिश राज के समय काठियावाड़ की एक छोटी सी रियासत “पोरबंदर” के ‘दीवान’ थे और माता पुतलीबाई एक धार्मिक महिला थी और वे परनामी वेश्य समुदाय से तालूक रखती थी.

पुतलीबाई करमचंद जी की चौथी पत्नी थी. गाँधी जी से बड़े उनके और तिन भाई थे सबसे बड़े लक्ष्मीदास, फिर रलियत बेन, करसनदास और सबसे छोटे महात्मा गाँधी जी थे.

गाँधी जी का सरल जीवन उनके माँ से ही प्रेरित था. अपनी माता के साथ रहते हुए उनमें दया, प्रेम, तथा ईश्वर के प्रति निस्वार्थ श्रद्धा के भाव बचपन में ही जागृत हो चुके थे जिनकी छवि महात्मा गाँधी में अंत तक दिखती रही.

गाँधी जी का विबाह बाल अबस्था में हो गया था जब वे शिर्फ़ 13 साल के थे. उनकी पत्नी का नाम कस्तुर्बा (Kasturba) था. इसमें सबसे रोचोक बात ये थी की कस्तुर्बा जी गांधीजी से 1 साल की बढ़ी थी और उन दोनों की सादी सन 1883 के मई (May) महीने में हुआ था.

उनके चार बच्चे भी थे जिनका नाम हरिलाल गाँधी (Harilal Gandhi), मणिलाल गाँधी (Manilal Gandhi), रामदाश गाँधी (Ramdas Gandhi) और देवदास गाँधी (Devdas Gandhi) थे.

Mahatma Gandhi Biography in Hindi में जानकारी

महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ई. के पोरबंदर सहर में.
महात्मा गाँधी जी का मृत्यु 30 जनवरी 1948 ई. में
महात्मा गाँधी जी का मृत्यु का वक्त उम्र 78 साल
महात्मा गाँधी जी का पत्नी का नाम महात्मा गाँधी जी का पत्नी का नाम कस्तुर्बा थी.
महात्मा गाँधी जी का सादी 1883 के मई (May)
महात्मा गाँधी जी का बेटे का नाम हरिलाल गाँधी , मणिलाल गाँधी, रामदाश गाँधी और देवदास गाँधी.
महात्मा गाँधी जी का स्कूल का नाम अल्फ्रेड हाई स्कूल
महात्मा गाँधी जी का करीबी दोस्त सरला देवी चौधरानी, सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, आभा गांधी, मनु गाँधी आदि.
चम्पारण सत्याग्रह 1917 ई.
खेड़ा सत्याग्रह 1918 ई.
अहमदाबाद मिल हड़ताल1918 ई.
खिलाफत आन्दोलन 1919 ई.
असहयोग आन्दोलन 1922 ई.
सविनय अवज्ञा आंदोलन/ नमक सत्याग्रह /दांडी यात्रा 1930 ई.
हरिजन आंदोलन1932 ई.
भारत छोड़ो आन्दोलन1942 ई.
गाँधी जी का फोटो पहली बार भारतीय करेंसी नोट पर सन 1969 ई.

महात्मा गांधी के बच्चे – Son of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी और कस्तूरबा के चार बच्चे थे. इन चार बच्चो में से चारो बेटे थे और गांधी जी की कोई भी बेटी नहीं थी. आइये गांधीजी के बच्चो के बारे में जानते है.

1. हरिलाल मोहनदास गाँधी – Harilal Gandhi Son of Mahatma Gandhi

हरिलाल मोहनदास गांधी, महात्मा गांधी जी के पहले पुत्र थे. इनके बाद और तिन बेटे थे. हरिलाल मोहनदास गांधी की जन्म 23 अगस्त 1888 ई. दिल्ली में हुआ था. इनके पत्नी की नाम गुलाब गांधी थी.

 हरिलाल मोहनदास गाँधी - Harilal Gandhi Son of Mahatma Gandhi in Hindi
Image Sources: Wikipedia

हरिलाल मोहनदास गांधी की पांच बच्चे थे. जिनका नाम शांति गांधी, रमी परिख, कांतिलाल गांधी, मनोरमा मशरूवाला और रसिकलाल गांधी थे. यदि इनके पोते की बात करे तो हरिलाल मोहनदास गांधी की पोते की नाम है अनीता गांधी, अन्न गांधी और अंजलि गांधी.

हरिलाल मोहनदास गांधी की मृत्यु 16 जून 1948 को मुंबई के क्षय रोग अस्पतालों का समूह (Group of Tuberculosis Hospitals) में हुआ था.

2. मणिलाल मोहनदास गाँधी – Manilal Gandhi Son of Mahatma Gandhi

मणिलाल मोहनदास गाँधी जी, महात्मा गाँधी जी के दुसरे पुत्र थे. उनका जन्म 28 अक्टुबर 1892 ई. में राजकोट में हुआ था. उनके पत्नी का नाम सुशीला मसुर्वाला थी.

 Manilal Gandhi Son of Mahatma Gandhi
Image Sources: Wikipedia

मणिलाल मोहनदास गाँधी जी के तिन बच्चे थे. जिनमे से दो बेटी और एक बेटा था. उनके नाम एला गाँधी, अरुण मणिलाल गाँधी और सीता गाँधी थी. अब अगर इनके पोते के बारे में बात करे तो मणिलाल मोहनदास गाँधी जी के पोते भी तिन थे. जिनका नाम तुषार गाँधी, कीर्ति मेनोन और अर्चना गाँधी थी.

मणिलाल मोहनदास गाँधी जी की मृत्यु दुर्बान के दक्षिण अफ्रीका में 5 अप्रैल 1956 में हुआ था. उनके मृत्यु के कारण था उनको एक स्ट्रोक के बाद सेरेब्रल थ्रॉम्बोसिस से मृत्यु हो गई थी.

3. रामदाश मोहनदास गाँधी – Ramdas Gandhi Son of Mahatma Gandhi

रामदाश मोहनदास गाँधी जी का जन्म 2 जनवरी 1897 को अफ्रीका के कोलोनी ऑफ़ नेताल (Colony of Natal) में हुआ था. रामदाश मोहनदास गाँधी जी, महात्मा गाँधी के तीसरे पुत्र थे. और इनके पत्नी का नाम निर्मला गाँधी था.

Ramdas Gandhi Son of Mahatma Gandhi
Image Sources: Wikipedia

रामदाश मोहनदास गाँधी जी के तिन बच्चे थे. जिनका नाम सुमित्रा गाँधी, कानू गाँधी, और उसा गाँधी था. रामदाश मोहनदास गाँधी जी का मृत्यु 72 साल की उम्र में सन 14 अप्रिल 1969 में पुणे में हुआ था.

4. देवदास मोहनदास गाँधी – Devdas Gandhi Son of Mahatma Gandhi

देवदास मोहनदास गाँधी जी का जन्म दक्षिण अफ्रीका में 22 मई 1900 ई. में हुआ था. देवदास मोहनदास गाँधी, महात्मा गाँधी जी के सबसे छोटे बेटे थे. और उनके जन्म के बाद वे भारत लौट आये थे अपने परिवार के साथ.

Devdas Gandhi Son of Mahatma Gandhi
Image Sources: Wikipedia

देवदास मोहनदास गाँधी जी अपने पिता के सक्रिय आन्दोलन में उनके साथ भाग भी लिया था. उनको कई बार अंग्रेजो ने जेल में भी बंद कर दिया था.

देवदास मोहनदास गाँधी जी हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक के रूप में कार्यरत एक प्रमुख पत्रकार भी बने थे। वह 1918 में तमिलनाडु में मोहनदास गांधी जी के द्वारा स्थापित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा (DBHPS) के पहले प्रचारक भी थे। सभा का उद्देश्य था दक्षिण भारत में हिंदी का प्रचार करना ।

देवदास मोहनदास गाँधी जी को भारतीय सतंत्रता आन्दोलन के दौरान उनके पिता महात्मा गाँधी जी के सहयोगी राजगोपालाचारी की बेटी लक्ष्मी जी से प्यार हो गया था. उस समय लक्ष्मी जी के उम्र बहुत कम थी वे शिर्फ़ 15 साल की थी और इधर देवदास मोहनदास गाँधी जी की उम्र 28 साल थी.

इसके कारण से महात्मा गाँधी जी ने और उनके शहयोगी राजगोपालाचारी जी ने मिलके एक सर्त रखा था की वे दोनों अगर 5 साल तक एक दुसरे को देखे बिना इन्तेजार करे तो बाद में उनकी सादी करवा दी जाएगी.

देवदास मोहनदास गाँधी जी और लक्ष्मी जी ने 5 साल तक इन्तेजार किया, बाद में उनकी सादी करवा दी गयी. और देवदास मोहनदास गाँधी जी के चार बच्चे भी हुए. उनके बच्चो के नाम राजमोहन गांधी, गोपालकृष्ण गांधी, रामचंद्र गांधी और तारा गांधी भट्टाचार्जी थी.

उनके पोते के बारे में बात करे तो उनके तिन पोते थे. जिनका नाम लीला गाँधी, देवदत्त गाँधी और सुप्रिया गाँधी थी. देवदास मोहनदास गाँधी जी के मृत्यु 3 अगस्त 1957 ई. में मुंबई में हुआ था.

महात्मा गाँधी का पढ़ाई – Mahatma Gandhi Qualification in Hindi

महात्मा गाँधी का प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर के ‘अल्फ्रेड हाई स्कूल’ में हुई. जिस स्कूल को सन 1971 में ‘मोहनदास गाँधी विधालय’ नाम से बदल दिया गया था. उनके पिता को राजकोट में तबादला होने के कारण आगे की शिक्षा उनको राजकोट के स्कूल से लेनी पड़ी.

इसी बिच सन 1885 को 63 वर्ष की आयु में गाँधी जी के पिता का निधन हो गया। राजकोट के स्कूल से गांधीजी ने 1887 में मेट्रिक की परीक्षा पास की. अब इसके आगे के पढ़ाई के लिए भावनगर के श्य्मल दास कॉलेज में भर्ती हुए लेकिन घर से ज्यादा दूर रहने के कारण गांधीजी पढ़ाई में ज्यादा मन नहीं केन्द्रित कर सकते थे. और वे बीमार होने लगे इसके कारन उनको घर वापस आना पढ़ा.

उनके परिवार के विश्वसनीय मित्र भावजी दवे चाहते थे कि मोहनदास अपने दादा और पिता की तरह मंत्री बनें। इस पद के लिए कानून की जानकारी सबसे महत्वपूर्ण थी। इसलिए उन्होंने सलाह दी कि मोहनदास इंग्लैंड जाकर बैरिस्टरी की पढ़ाई करें।

मोहनदास इसे सुनते ही खूब प्रसन्न हुए। उनकी माँ उन्हें विदेश भेजने के खिलाफ थीं। किंतु काफी मनाने के बाद जब वे राजी हुईं तब उन्होंने मोहनदास से यह संकल्प कराया कि वे शराब, त्री और मांस को भूलकर भी नहीं छुएँगे और  सन 1888 के 4 सितम्बर को वे इंग्लेंड के लिए रवाना हुए.

गांधीजी लंदन वेजीटेरियन सोसाइटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहां 3 सालों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और सन् 1891 में वापस भारत आ गए।

गाँधी जी का बापू नाम कैसे पड़ा – Gandhiji ‘Bapu’ Naam Kaise Pada

चंपारण में मिला था गाँधी जी को ’बापू’ का नाम. दरअसल किसान राजकुमार शुक्ला ने गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी ने ही गांधीजी को चंपारण आने पर विवश कर दिया था। गाँधी जी का सबसे पहला आन्दोलन चंपारण में किया था. अंग्रेजो के भारतीय किसानो के उपर अत्याचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों का नेतृत्व किया.

जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के मार्गदर्शन में उस क्षेत्र के गरीब किसानों को अधिक क्षतिपूर्ति मंजूर करने और खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करना और इसे संग्रहित करने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस संघर्ष के दौरान ही गांधीजी को जनता ने बापू के नाम से संबोधित किया।  और बाद में गाँधी जी ‘बापू’ के नाम से ही बुलाने लगे.

महात्मा गाँधी को महात्मा की उपाधि कैसे मिली?

महात्मा शब्द संस्कृत से लिया गया है और इस शब्द का मतलब होता है महान आत्मा. गाँधी जी का मुलाकात महान कवि रबिन्द्र नाथ टेगर जी मार्च 1995 को शांति निकेतन में हुआ था. और ये दोनों भारत के आजादी के आन्दोलन में एक साथ बहुत से योगदान दिए थे.

12 अप्रैल, 1919 को रबिन्द्र नाथ टेगर जी ने एक चिट्टी लिखी थी जिसमे उन्होंने पहली बार गाँधी जी को “महात्मा” कहके संबोधित किया था. इतिहासकारों का कहना है की सन 1915 को राजवैद्य जीवराम शास्त्री या स्वामी श्रद्धानन्द ने उन्हें ‘महात्मा’ कहके संबोधित किया था.

गाँधी जी को राष्ट्रपिता की उपादी किसने दी?

गाँधी जी को पहली बार नेताजी सुबाष चन्द्र बोस ने सिंगापूर रेडिओ से  4 जून 1944 को एक सन्देश प्रसारित किया था जिसमे नेताजी सुबाष चन्द्र बोस जी ने गाँधी जी को ‘देश के पिता’ कहके संबोधित किया था.

फिर 6 जुलाई 1944 को गाँधी जी को फिर से सिंगापूर रेडिओ से सुबाश चन्द्र जी ने ‘राष्ट्रपिता’ कहके उस सन्देश प्रसारण में संबोधित किया था. बाद में भारत सरकार ने भी उनको राष्ट्रपिता की आख्या दे दी.

अंत में सन 1948 गाँधी जी के देहांत के बाद उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जहरलाल नेहरु जी ने रेडिओ से एक सन्देश दी थी की ‘राष्ट्रपिता नहीं रहे’. इस तरह गाँधी जी को राष्ट्रपिता का उपादी मिली थी.

बचपन में घर पर कौन से नाम से पुकारे जाते थे महात्मा गांधी

गाँधी परिवार में घरेलु नाम का प्रचलन था. उनके परिवार में सभी के अलग अलग घरेलु नाम रखे गए थे. जिनमे से महोनदास करमचंद गाँधी जी का घरेलु नाम “मोनिया” रखा गया था. उनके पिता और माता घर में प्यार से गांधी जी को ‘मोनिया’ नाम से पुकारते थे.

महात्मा गाँधी का करीबी दोस्त कौन-कौन थे?

गाँधी जी के गहरे दोस्तों में से ये 5 महिलाएं जिनसे महात्मा गांधी की गहरी दोस्ती थी. उनके नाम थे. 1. सरला देवी चौधरानी, 2. सरोजिनी नायडू 3. राजकुमारी अमृत कौर 4. आभा गांधी 5. मनु गाँधी. इसके अलावा और भी दोस्त थे जिनसे उनकी गहरी दोस्ती थी जैसी की मेडलीन उर्फ मीराबेन, नीला क्रैम, सुशीला नय्यर आदि।

महात्मा गाँधी जी का आन्दोलन – Major Freedom Movements of Mahatma Gandhi In Hindi

महोनदास करमचंद गाँधी जी ने भारत को आजाद करने के लिए बहुत सारे आन्दोलन किये थे उनके ये सब आन्दोलन अंग्रेजो को भारत छोड़ने में मजबूर कर दिया था. गांधी जी नें जीवन भर अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इसका पालन करने के लिये कहा था. आइये जानते है गाँधी जी की आन्दोलन के बारे में.

सबसे पहला चम्पारण सत्याग्रह 1917 – Champaran Satyagraha 1917 In Hindi

गाँधी जी ने 1916 में लखनव के एक कोंग्रेस अधिवेसन में भाग लिया था. वही पर एक इन्सान से उनकी मुलाकात हुई. जिन्होंने चंपारण में हो रहे किसानो पर अत्यचार के बारे में गांधी जी को बताया. गाँधी जी ने पहले तो उनसे ज्यादा प्रभाबित नहीं हुए थे, लेकिन बाद में उस इन्सान ने बार बार गाँधी जी से मुलाकात कर के उनको मनाया की वे इस समस्या को दूर करे.

इस जिद्दे इन्सान के कारन ही उनकी राजनितिक जीवन में एक अनोखी मोड़ आ गयी थी. बाद में वे बिहार के चम्पारण में पहोचे. और जिस इन्सान ने उनको चम्पारण तक ले गया था उनका नाम था राजकुमार सुकला.

चम्पारण पोहोचने के बाद गाँधी जी ने चम्पारण का किसान आंदोलन अप्रैल 1917 ई. में शुरू किया. उन्होंने इस अन्दोलों में दक्षिण अफ्रीका के आन्दोलन में सत्याग्रह और अहिंसा का अस्त्र का इस्तेमाल किया था, उसे ही इस आन्दोलन में इस्तेमाल फिर से किया. परिणाम यह हुआ कि चार महीने बाद ही चम्पारण के किसानों को जबरदस्ती नील की खेती करने से हमेशा के लिए मुक्ति मिल गई.

इसी आंदोलन के बाद उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि से विभूषित किया गया. देश को राजेंद्र प्रसाद, आचार्य कृपलानी, मजहरूल हक, ब्रजकिशोर प्रसाद जैसी महान विभूतियां भी इसी आंदोलन से मिलीं.

इन सबसे समझा जा सकता है की चम्पारण का ये आन्दोलन भारत के राजनीती इतिहास में कितना मेह्तापूर्ण था. भारत को इसी आन्दोलन में से एक नया नेता और एक नई राजनीती मिलने की भरोसा मिली थे .

खेड़ा सत्याग्रह 1918 – Kheda Satyagraha 1918 In Hindi

सन 1918 को गुजरात के पुरे किसान के फसल सुखा और बाढ़ के कारण ख़राब हो गया था. उनकी आर्थिक स्तिति पूरी तरह से ख़राब हो गयी थी. ऐसे अवस्ता में सरकार को उनकी लगान या कर माफ़ कर देनी होती थी लेकिन सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया वे लोगो से जबरजस्ती कर असूल करते थे और जो नहीं दे पाते थे उसे कारागार में डाल दिया जाता था.

इन सबको देखते हुए गाँधी जी ने किसानो को सत्याग्रह करने का सलाह दिया. और लोगों से स्वयंसेवक और कार्यकर्ता बनने की अपील की. उनकी अपील से वल्लभभाई पटेल सामने आये और वे गाव-गाव घूम के किसानो से अपने को झूठा कहलाने और स्वाभिमान को नष्ट कर जबर्दस्ती बढ़ाया हुआ कर देने की अपेक्षा अपनी भूमि को जब्त कराने के लिये तैयार हैं कहकर कागज में अस्ताक्षर लेने लगे.

वल्लभभाई पटेल किसानो के और से नेतृत्व करते हुआ सरकार से बात की. बाद में सरकार को अपनी भूल समझ आई और किसानो के उपर कर या लगान माफ़ कर दिया और बंदियों को रिहा कर दी थी.

अहमदाबाद मिल हड़ताल, 1918 – Ahmedabad Mill Strike, 1918 In Hindi

सन 1918 को अहमदाबाद के एक सूती के मिल मजदूरो ने 21 दिन के लिए हड़ताल किया था. ये हड़ताल ही अहमदाबाद मिल हड़ताल के नाम से जाना जाता है. इस हड़ताल का कारण यह था की 1917 में अहमदाबाद में प्लेग की बीमारी फ़ैल गयी थी और मिल में प्लेग की बोनस दी जाती थी.

 लेकिन 1918 में मिल के मालिक ने मजदूरो को प्लेग  बोनस को नहीं देने का घोसना कर दिया. इसी के कारण मजदूरो ने हड़ताल सुरु कर दिया. और इसका नेतृत्व श्री मोहनदास करमचंद गाँधी जी ने करी थी. और उन्होंने कहा मजदूरो से की वे इस हड़ताल को शांतिपूर्वक, अहिंसात्मक के रूप में करे और 35% भत्ता की मांग करे. किन्तु मजदूरो ने 50% भत्ते की मांग कर रहे थे.

इसको देख के गाँधी जी ने मजदूरो के तरफ से भूक हड़ताल करने लगे. बाद में मिल के मालिक ने इस हड़ताल को देखते हुए 20% भत्ता देने के लिए मंजूर हो गए. गाँधी जी को अपने संग देख के मजदुर और भी ज्यादा उत्साहित हो गए और हड़ताल को और भी ज्यादा तेज कर दिया.

बाद में इस आन्दोलन में अंबालाल साराभाई की बहन अनुसूइया बेन ने गांधी जी का साथ दिया और एक दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन भी किया था. इसके बाद मिल के मालिक झुक गए और मजदूरो के साथ समझोते के लिए तैयार हो गए. अंत में इस मामले को ट्रिब्यूनल को दे दिया गया.

ट्रिब्यूनल ने पूरा मामला को बारीकी से देखा और मजदूरो को 35% भत्ता देने के लिए तैयार हो गए. इसके बाद आन्दोलन समाप्त हो गया.

खिलाफत आन्दोलन, 1919 – Khilafat Movement, 1919  In Hindi

महात्मा गाँधी जी को आभास हो गया था की कांग्रेश सरकार को चलाने में दिक्कत आने वाली है, और अंग्रेजो को देश से बाहर निकालने के लिए हिन्दू और मुस्लिम की एकता सक्त जरुरत है. इसी लिए गाँधी जी ने खिलाफत आन्दोलन में भाग लिया और 24 नवम्बर 1919 को अखिल भारतीय खिलाफत आन्दोलन का गठन किया गया. और इसके अध्यक्छ खुद गाँधी जी थे.

महात्मा गाँधी जी के इस आन्दोलन में जुड़ते ही देश के कई बड़े बड़े नेता इस आन्दोलन में जुड़ गए. और येही से गाँधी जी को एक राष्ट्रीय नेता बना दिया गया और उनकी कांग्रेश में एक खास जगह बन गयी. किन्तु सन 1922 में खिलाफत आन्दोलन को बंद कर दिया गया.

असहयोग आन्दोलन, 1922 – Non-Cooperation Movement, 1922 In Hindi

भारत में बहुत सारे आन्दोलन हो रहे थे. इनको देखते हुए अंग्रेज सरकार ने सन 1919 में ‘रोलेट एक्ट’ को भारत लाया. इसके बिद्रोहो में गाँधी जी ने कुछ सभाए किये जा रहे थे. उधर पंजाब के अमृतसर में 13, अप्रैल 1919 में एक बहुत ही बड़ा सभा का आयोजन किया गया था. इस सभा में अंग्रेजो ने गोलिया चलाकर सभा के लगभग 379 लोग मारे गए और 1600-1700 घायल हुए थे. इस हत्याकांड को जनिवाला वाग हत्याकांड के नाम से जाना जाता है.

इस हत्याकांड के बारे में जब गाँधी जी ने सुना तो उन्होंने असहयोग आंदोलन का शुरू किया और असहयोग आंदोलन प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को पारित हुआ.

इस आन्दोलन का मुख्य उधाश्य यह था की अंग्रेजो की स्कूलों, कॉलेजों, न्यायालयों का बहिष्कार करे तथा कर न चुकाएँ. मतलब कांग्रेश सकरकर से सरे सम्बद त्याग दे. गाँधी जी का मानना था की अगर इस असहयोग को सही तरीका से करा गया तो भारत को एक साल के अन्दर ही आजादी मिल जाएगी.

लेकिन इसी बीच 4 फ़रवरी 1922 को गोरखपुर ज़िले के चौरी- चौरा नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकना चाहा. लेकिन जनता ने क्रोद में आकर उस चौकी को आग के हवाले कर दिया. इसके कारन उस  पुलिस चौकी के जिसमें एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई.

इस बिषय के बारे में जब गाँधी जी को पता चला तो वे बहुत दुखी हुए. क्यकी उनका उद्धास्य यह था की ये आन्दोलन सांति पूर्वक और अहिन्ग्सा के साथ किया जाये.

लेकिन ये हिन्ग्सा के बारे में जानने के बाद वे 12 फ़रवरी 1922 को बारदोली में हुई कांग्रेस की बैठक में असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने के निर्णय के बारे में गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, “आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।” अब गांधी जी ने रचनात्मक कार्यों पर ज़ोर देना शुरू कर दिया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/ नमक सत्याग्रह /दांडी यात्रा – Salt March/Dandi March In Hindi

सन 1930 में महात्मा गांधी ने साबिनय अवज्ञा आन्दोलन का सुरुवात की जो अंग्रेजो के खिलाफ किया गया था.  यह आन्दोलन का उद्देश्य था की जिसमे  अंग्रेज सरकार के बनाये गए किसी भी नियोमो का पालन नहीं करना. मतलब उनके नियोमो का अवज्ञा करना.

जैसे की अंग्रेज सरकार ने एक नियोम बनाया था की साधारण आदमी नमक नहीं बाना सकता, इस नियोम की अवज्ञा करते हुआ  गाँधी जी  दांडी यात्रा की सुरवात की. यह दांडी यात्रा गाँधी जी ने 12 मार्च, सन 1930  में  सुरु की थी, यह दांडी यात्रा गुजरात के अहमदाबाद शहर के पास स्थित साबरमती आश्रम से शुरू करके समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा लगभग 385 किलोमीटर तक किया था.

इस यात्रा में गाँधी जी के साथ 78 लोग सामिल हुए थे. और 6 अप्रैल 1930 को दांडी में गाँधी जी ने नमक बना कर इस नियोम को भंग किया गया था. और यह यात्रा समाप्त किया गया.

गाँधी जी के यह आन्दोलन भी  सांतिपुर्वाक किया गया. जिसमे कोई हिन्ग्सा नहीं की गयी थी.

हरिजन आंदोलन, 1932 – Harijan Movement, 1932 In Hindi

भारत के जिन लोगो या जातियों के साथ अस्पृश्यता या छुवाछुत जैसे  वेवहार किया जाता था. वे लोग स्पृश्य, अंत्यज या दलित नाम से जाने जाते थे. यह नाम अपप्मान जनक होने के कारन गाँधी जी जब जेल में थे तब सन् 1932 को गुजरात के एक अंत्यज ने ही महात्मा गांधी को एक गुजराती भजन का हवाला देकर लिखा कि अंत्यजों को “हरिजन” जैसा सुंदर नाम क्यों न दिया जाए। तब गाँधी जी को यह नाम बहुत पसंद आया.

लंदन में आयोजित ऐतिहासिक गोलमेज़ परिषद् के दूसरे दौर में, कई मित्रों के अनुरोध पर, गांधी जी गोलमेज़ परिषद् में सम्मिलित हुए थे। परिषद् ने भारत के अल्पसंख्यकों के जटिल प्रश्न को लेकर जब एक कमेटी नियुक्त की, तो उसके समक्ष 12 नवम्बर 1931 को गांधी जी ने अछूतों की ओर से बोलते हुए कहा – “मेरा दावा है कि अछूतों के प्रश्न का सच्चा प्रतिनिधित्व तो मैं कर सकता हूँ। यदि अछूतों के लिए पृथक् निर्वाचन मान लिया गया, तो उसके विरोध में मैं अपने प्राणों की बाजी लगा दूँगा।”

गांधी जी को विश्वास था कि पृथक् निर्वाचन मान लेने से हिंदू समाज के दो टुकड़े हो जाएँगे और उसका यह अंगभंग लोकतंत्र तथा राष्ट्रीय एकता के लिए बड़ा घातक सिद्ध होगा और अस्पृश्यता को मानकर सवर्ण हिंदुओं ने जो पाप किया है उसका प्रायश्चित्त करने का अवसर उनके हाथ से चला जाएगा।

गोलमेज़ परिषद् से गाँधी जी को आते ही  जेल में बंद कर दिया. और दूसरी तरफ अंग्रेज दलित नेता बी. आर. अम्बेडकर की कोशिशों के परिणामस्वरूप ब्रिटिश मंत्री रैमजे मैकडानल्ड ने अपना जो सांप्रदायिक निर्णय दिया, उसमें उन्होंने दलित वर्गों के लिए पृथक् निर्वाचन को ही मान्यता दी।

यह सुनते ही गाँधी जी इसके बिरोध में 13 सितंबर 1932 को जेल में ही आमरण अनसन का निश्चय घोषित कर दिया. यह घोसना होते ही सारा भारत काप उठा. और देश के बड़े बड़े नेता इस गुत्थी को सुलझाने के लिए इकट्ठा हुए। मदनमोहन मालवीय, च. राजगोपालचारी, तेजबहादुर सप्रू, एम. आर. जयकर, अमृतलाल वि. ठक्कर, घनश्याम बिड़ला आदि, तथा दलित वर्गों के नेता डाक्टर अंबेडकर, श्रीनिवासन्, एम. सी. राजा और दूसरे प्रतिनिधि। तीन दिन तक खूब विचारविमर्श हुआ।

इस विचारविमर्श से 24 सितम्बर को सभी एकमत होक एक निर्णित समझोते पर हस्ताक्षर कर दिया जिसे “पूना पैक्ट” कहते है. इसके बाद “पूना पैक्ट” प्रसिद्द हो गया.

सर तेजबहादुर सप्रू और श्री जयकर ने इस पैक्ट का मसौदा तत्काल तार द्वारा ब्रिटिश प्रधान मंत्री को भेज दिया। फलत: प्रधान मंत्री ने जो सांप्रदायिक निर्णय दिया था, उसमें से दलित वर्गों के पृथक् निर्वाचन का भाग निकाल दिया।

 मई 1933 को गांधी जी ने आत्म-शुद्धि के लिए 21 दिन का उपवास किया और हरिजन आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए एक-वर्षीय अभियान की शुरुआत की. 26 सितंबर को गांधी जी ने, कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर तथा अन्य मित्रों की उपस्थिति में संतरे का रस लेकर अनशन समाप्त कर दिया था.

भारत छोड़ो आन्दोलन, 1942 – Quit India Movement, 1942 In Hindi

क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ अपना तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फ़ैसला लिया। जिसका नाम भारत छोडो आन्दोलन रखा गया. गाँधी जी ने यह आन्दोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को सुरु की थी . जिसको 8 अगस्त 1942 की शाम को बम्बई में अखिल भारतीय काँगेस कमेटी के बम्बई सत्र में ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो‘ का नाम दिया गया था.

इसके बाद ही गाँधी जी को ग्रिफ्तार कर लिया गया था. लेकिन आन्दोलन पुरे देश में सुरु हो गया था. भारत छोड़ो आंदोलन सही मायने में एक जन आंदोलन था, जिसमें लाखों आम हिंदुस्तानी शामिल थे. इस अन्दोलाना में पुरे देश से बच्चे, बूढ़े, जवान सब सामिल हुए थे. जोवानो ने अपने कॉलाजे को छोड़कर जेल को अपनाया था.

जून 1944 में जब विश्व युद्ध समाप्ति की ओर था तो गाँधी जी को रिहा कर दिया गया था. अंग्रेजों ने आंदोलन के प्रति काफ़ी सख्त रवैया अपनाया फ़िर भी इस विद्रोह को दबाने में सरकार को साल भर से ज्यादा समय लग गया। यह आन्दोलन सफल तो नहीं हो सका लेकिन अंग्रेज सरकार को पता चलचुका था की अब वे भारत में ज्यादा दिन नहीं शासन कर सकते थे. उन्हें आज या कल आजादी देनी ही होगी. 

भारत देश का विभाजन कैसे हुई थी – Partition of India In Hindi

भारत बिभाजन का सबसे प्रमुख कारण यह था की, गाँधी जी के पिछले दो आन्दोलन खिलाफत और असहयोग आन्दोलन के ख़तम हो जाने से देश में बहुत सारे दंगे होने लगे थे. दूसरा सबसे बड़ा कारण यह था की मुस्लिम लीग के द्वारा पाकिस्थान की मांग, और पाकिस्तान पाने के लिए दंगो का सहारा लेना. इन सब से माउंटबेटन के ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा था और वे अनुभव कर चुके थे की इस दंगो को अगर ख़तम करना है तो देश को बिभाजित करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था.

भारत का विभाजन माउंटबेटन योजना के आधार पर निर्मित भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के आधार पर किया गया। यह अधिनियोम में बोला गया था की 15 अगस्त 1947 को भारत व पाकिस्तान अधिराज्य नामक दो देश बना दिया जायेगा. और अंग्रेज सरकार देश की सत्ता उन्हें सोप देगी. जिनमे 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त को भारत देश को आजादी  दी जाएगी. इसी लिए 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15  अगस्त को भारत देश स्वतंत्रता दिवस  मनाता है.

15 अगस्त 1947 को राजधानी में हो रहे उत्सवों में महात्मा गाँधी नहीं थे। उस समय वे कलकत्ता में थे लेकिन उन्होंने वहाँ भी न तो किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया, न ही कहीं झंडा फ़हराया। इसका कारण यह था की गाँधी जी देश का बंटवारा नहीं चाहते थे क्योंकि यह उनके धार्मिक एकता के सिद्धांत से बिलकुल अलग था पर ऐसा हो न पाया और अंग्रेजों ने देश को दो टुकड़ों – भारत और पाकिस्तान – में विभाजित कर दिया।

इस विभाजन में ब्रिटिश भारत के बंगाल प्रांत को पूर्वी पाकिस्तान और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में बाँट दिया गया और इसी तरह ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत को पश्चिमी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत और भारत के पंजाब राज्य में बाँट दिया गया।

इस विभाजन से पूरा देश प्रभाबित हुआ था. इस विभाजन के कारन देश के करीब 10 लाख लोग मरे गए थे और करीब 1.5 कड़ोर लोग सरोनार्थियो ने अपना घर और सबकुछ छोड़ के बहुमत संप्रदाय वाले देश में शरण ली.

गाँधी जी का पत्र लेखन के बारे में

अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में महात्मा गान्धी ने करीब 35 हजार पत्र लिखे। इन पत्रों में बापू अपने सहयोगियों, शिष्यों, मित्रों, सम्बन्धियों आदि को उनके छद्म नाम से सम्बोधित करते थे। मसलन, सरोजिनी नायडू को बापू “माई डियर पीसमेकर!”, “सिंगर एंड गार्डियन ऑफ माई सोल!”, “माई डियर फ्लाई!” आदि से सम्बोधित करते थे, जबकि राजकुमारी अमृत कौर को “माई डियर रेबल!” कहते थे। लियो टॉल्सटाय को बापू सर और एडोल्फ हिटलर व एल्बर्ट आइंस्टीन को “माई डियर फेंड!” कहते थे।

कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गान्धी वॉल्यूम-54 के अनुसार महात्मा गान्धी ने आइंस्टीन के पत्र का जवाब 18 अक्टूबर 1931 को दिया था। जवाब में उन्होंने लिखा – “सुन्दरम् (गान्धी जी के दोस्त) के माध्यम से मुझे आपका सुन्दर पत्र मिला। मुझे इस बात की सन्तुष्टि मिली कि जो काम मैं कर रहा हूँ वह आपकी दृष्टि में सही है। मैं उम्मीद करता हूँ कि भारत में मेरे आश्रम में आपसे मेरी आमने सामने मुलाकात होगी”.

गाँधी जी की हत्या कब और कैसे हुई थी?

मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी. वे रोज शाम के 5 बजे प्रर्थना करते थे. किन्तु उसदिन गाँधीजी सरदार पटेल के साथ मीटिंग में व्‍यस्‍त थे. इसी लिए उनकी देर हो गयी थी. मीटिंग के बिच साम 5:20 मिनिट में  उन्हें याद आया की उनकी प्रार्थना के लिए देर हो रहे है.

30 जनवरी 1948 की शाम जब बापू आभा और मनु के कन्धों पर हाथ रखकर मंच की तरफ जा रहे थे कि तभी उनके सामने नाथूराम गोडसे आ गए थे. नाथूराम गोडसे ने उनको हात जोड़कर कहा-“नमस्‍ते बापू!” गाँधी जी के साथ चल रहे मनु ने कहा – “भैया! सामने से हट जाओ, बापू को जाने दो। बापू को पहले ही देर हो चुकी है“।

लेकिन नाथूराम गोडसे नहीं हेट मनु को धक्का मार के हटा दिया और अपने हाथों में छुपा रखी छोटी बैरेटा पिस्टल से वे बापू के शिने में एक के बाद तिन गोलिया दाग दी. बापू के शरीर से दो गोली बाहर निकल गई और एक गोली उनके शिने में ही रहा गयी. उस समय गान्धी अपने अनुचरों से घिरे हुए थे. ऐसा माना जाता वे धरासाही होते समय ‘हे राम!’ कहते हुए गिरे थे और यह शब्द उनके पास चल रही उनकी पोती आभा ने सूनी  थी.

78 साल के महात्‍मा गान्धी का अंत हो चुका था। बिड़ला हाउस में गान्धी के शरीर को ढँककर रखा गया था। लेकिन जब उनके सबसे छोटे बेटे देवदास गान्धी वहाँ पहुँचे तो उन्‍होंने बापू के शरीर से कपड़ा हटा दिया ताकि दुनिया शान्ति और अहिंसा के पुजारी के साथ हुई हिंसा को देख सके.

इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे जी सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया. इन आठ लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, विनायक दामोदर सावरकर में से दिगम्बर बड़गे को सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया। शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से अदालत ने जुर्म से मुक्त कर दिया।

और अन्त में बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन – गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को जबरन फाँसी दे दी गयी।

महात्मा गाँधी जी के द्वारा लिखे किताबों के नाम

नीचे महात्मा गाँधी जी के लिखे कुछ किताबों के नाम दिए गए है. अगर आप इसे पड़ना चाहते है तो किताबों के नाम पर क्लिक करके इसको Amazon से डायरेक्ट खरीद सकते है.

Sl. No. Books by Mahatma GandhiLink
1हिन्द स्वराज – लेखक : महात्मा गांधी, 1909Buy on Amazon
2Satyagraha in South Africa (1924, English Translation 1928) “दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह”Buy Now
3मेरे सपनों का भारत – India of my DreamsBuy Now
4Village Swaraj by Mahatma Gandhi – ग्राम स्वराजBuy Now
5An Autobiography or The Story of My Experiments with Truth, 1927 – “एक आत्मकथा या सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानी”Buy Now
6रचनात्मक कार्यक्रम- इसका अर्थ और स्थान – Constructive Program- Its Meaning and PlaceBuy Now
7एक आत्मकथा – सत्य के साथ मेरे प्रयोग की कहानीBuy Now
8हिंद स्वराज या भारतीय गृह नियमBuy Now
9महात्मा गांधी का मन – The Mind Of Mahatma GandhiBuy Now
10शाकाहार के नैतिक आधार- The Moral Basis Of VegetarianismBuy Now
11ए गांधी एंथोलॉजी – A Gandhi AnthologyBuy Now
12All Men Are Brothers – ऑल मैन आर ब्रदर्सBuy Now
13रचनात्मक कार्यक्रम – इसका अर्थ और स्थान – Constructive Programme – Its Meaning And PlaceBuy Now
14गांधी से एपिग्राम्स – Epigrams From GandhiBuy Now
15नैतिक धर्म – Ethical ReligionBuy Now
16येरावदा मंदिर (आश्रम पर्वत) से – From Yeravda Mandir (Ashram Observances)Buy Now
17मोहन माला (एक गांधीवादी रोज़री) – Mohan Mala (A Gandhian Rosary)Buy Now
18शिक्षा पर मेरे विचार- My Views on EducationBuy Now
19गांधी के अनुसार गीता- The Gita According To GandhiBuy Now
20गीता की अध्यापन – The Teaching Of The GitaBuy Now
21गांधी के शब्द – The Words Of GandhiBuy Now
22नई शिक्षा के लिए – Towards New EducationBuy Now
23सरपरस्ती -TrusteeshipBuy Now
24चरित्र और राष्ट्र निर्माण – Character & Nation BuildingBuy Now
25गीता पर व्याख्यान – Discourses On GitaBuy Now
26गांधी जी उम्मीदें – Gandhiji ExpectsBuy Now
27स्वास्थ्य की कुंजी – Key To HealthBuy Now
28हे भगवान – My GodBuy Now
29मेरा धर्म – My ReligionBuy Now
30सच्चाई भगवान है – Truth is GodBuy Now
31प्रकृति इलाज – Nature CureBuy Now
32पंचायत राज – Panchayat RajBuy Now
33भगवान के लिए मार्ग – Pathway To GodBuy Now
34दुआ – PrayerBuy Now
35रामानमा – RamanamaBuy Now
36आत्म संयम बनाम, आत्म भोग – Self Restraint Vs Self IndulgenceBuy Now
37हिंदू धर्म का सार – The Essence of HinduismBuy Now
38कानून और वकील – The Law And The LawyersBuy Now
39गीता का संदेश – The Message Of GitaBuy Now
40सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता- The Way To Communal HarmonyBuy Now
41सत्य भगवान है – Truth Is GodBuy Now
42ग्राम इंडस्ट्रीज- Village IndustriesBuy Now
43औद्योगिक और कृषि जीवन और संबंध – Industrial And Agrarian Life And RelationsBuy Now

भारतीय करेंसी नोट पर गाँधी जी की तस्वीर

भारत के आजादी में गाँधी जी का बहुत बड़ा योगदान है. और भारत देश इस योगदान को कभी भी नहीं भूल सकता, इसी लिए महात्मा गाँधी जी का तस्वीर भारत के करेंसी के नोट पर हम देख सकते है. तो आइये बात करते है गाँधी जी का तस्वीर कब भारत के करेंसी में पहली बार छपा था. और उनकी तस्वीर कहा खिची गयी थी आदि.

गाँधी जी की भारतीय करेंसी नोट में पहली बार तस्वीर कब आई थी

सन 1947 तक भारत के नोट पर ब्रिटिश के किंग जार्र्वज की फोटो थी लेकिन जब भारत आजाद हुआ तब के बाद से उनका फोटो हटा दिया गया था. और बाद में रिजब बैंक ने पहली बार गांधी जी की तस्वीर सन 1969 को 100 रुपये के नोट में उनके याद के तोर पर पेश किया था. वह साल उनका जन्म शताब्दी वर्ष था और नोटों पर उनकी तस्वीर के पीछे सेवाग्राम आश्रम भी छपा गया था. नीचे उनके उस वक्त की 100 रुपये वाली नोट के तस्वीर दी गयी है.

1st time mahatma gandhi picture in currency notes with
Image Sources: RealBankNotes

1987 में दुसरी बार गाँधी जी का फोटो आया भारतीय करेंसी नोट में

गाँधी जी के अभी करेंसी में जो पोर्ट्रेट वाले फोटो है वह फोटो सन 1987 में छपा गया था पहली बार. गाँधी जी के मुस्कुराते हुए यह फोटो पहली बार 1969 को 500 रुपये के नोट में पेश किया गया था बाद में बाकि और नोटों में छपा गया. नीचे उनकी पोर्ट्रेट वाले फोटो दी गयी है. जिसमे गाँधी जी मुस्कुरा रहे है.

mahatma gandhi 1987 first photo in 500 rupees
Image Sources: leftovercurrency

एडिशनल फीचर्स के साथ 1996 में महात्मा गांधी सीरिज करेंसी में

रिजर्ब बेंक ने पहली बार 1996 में महात्मा गाँधी जी के फोटो के साथ नई एडिशनल फीचर्स महात्मा गांधी सीरिज पेश की. इस करेंसी में पहले से बहुत सरे बदलाव किये गए थे. जैसे की – वाटरमार्क, विंडोड सिक्योरिटी थ्रेड, लेटेंट इमेज और विजुअल हैंडीकैप्ड लोगों के लएि इंटेग्लियो फीचर्स शामिल रहे थे.

सन 1996 में जो महात्मा गांधी जी का नए नोट चाप रहे थे उनमे से 5, 10, 20, 50, 100, 500 और 1000 रुपये वाले नोट थे. उस वक्त अशोक सतम्भ के जगह पर महात्मा गाँधी जी का फोटो छपा गया. और अशोक स्तम्भ को नोट के बायीं तरफ निचले हिस्से पर छाप दी गयी थी.

gandhi now in currency
Image Sources: aajtak

गाँधी जी की करेंसी नोट का मौजूदा फोटो कहाँ ली गयी थी

गाँधी जी का भारत के करेंसी में मौजूदा फोटो सन 1946 में ली गयी थी. और यह फोटो वायसराय हाउस जो अभी अब राष्‍ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है इस भवन में ली गयी थी.

mahatma gandhi currency photo
Image Sources: shikshanews

जहा गाँधी जी म्यांमार (तब बर्मा) और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस से मुलाकात के लिए गए थे. यही फोटो को पोट्रेट के रूप में भारतीय नोटों में अंकित किया गया था.

भारतीय नोटों पर महात्मा गाँधी जी की फ़ोटो क्यों है?

भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी जी का फोटो इसी लिए है क्युकी, गाँधी जी को भारत देश का रास्ट्रीय प्रतिक माना जाता है. और उनको राष्ट्रपिता की आख्या भी मिलचुकी है. गाँधी जी ने भारत देश को अंग्रेजो से आजादी दिलाने में बहुत अहम् भूमिका निभाई थी. उनका देश के प्रति बहुत सारे योगदान है. जिनको पूरा देश कभी भूल नहीं सकता.

आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा की आखिर महात्मा गाँधी जी का ही फोटो क्यों दी गयी भारतीय करेंसी के नोटों पर. तो इसका उत्तर यह है की महात्मा गाँधी जी का ही फोटो इसी लिए दी गयी थी क्युकी अगर अन्य किशी सेनानी के फोटो भारतीय करेंसी के नोटों पर होती तो अन्य सेनानियों के नाम पर क्षेत्रीय विवाद हो सकता था.

और दुसरी बात गाँधी जी का फोटो की जगह भारतीय करेंसी के नोटों में अगर कोई पब्शु या अन्य चीजो का भी फोटो होती तो देश के बिभिन्य जगह से बिभिन्य विवाद हो सकता था. महात्मा गाँधी को लोग बहुत पसंद करते थे. और वे पुरे देश मे प्रचलित थे. उनको लगभग देश के हर इन्सान पहेचानते थे. इनसब कारणों के लिए गाँधी जी का फोटो भारतीय करेंसी के नोटों पर हम देख सकते है.

Mahatma Gandhi Biography in Hindi Video

FAQs About Mahatma Gandhi Biography in Hindi

Q: महात्मा गांधी क्यों प्रसिद्ध है?

Ans: अहिंसा आन्दोलन के दम पर गांधी जी ने देश को अंग्रेजो से आजादी दिलाई है. इसलिए आज भी महात्मा गांधी हर भारतीय के दिलों में ज़िंदा है.

Q: 2 अक्टूबर को कौन सी जयंती मनाई जाती है?

Ans: महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. इस दिन को विश्व अहिंसा दिवस और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है.

Q : महात्मा गाँधी जी का पत्नी का नाम ?

Ans: महात्पुमा गाँधी जी का पत्नी का नाम कस्तुर्बा थी.

Q: महात्मा गाँधी जी का बेटो का नाम क्या था ?

Ans: महात्मा गाँधी जी का बेटो का नाम – हरिलाल गाँधी (Harilal Gandhi), मणिलाल गाँधी (Manilal Gandhi), रामदाश गाँधी (Ramdas Gandhi) और देवदास गाँधी (Devdas Gandhi) थे.

Q: महात्मा गाँधी जी का बेटी का नाम ?

Ans: महात्मा गाँधी जी का कोई भी बेटी नहीं थी.

Q: महात्मा गांधी की हत्या कब और कहा हुई थी?

Ans: महात्मा गाँधी जी का हत्या 30 जनवरी 1948 ई. में नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में हुआ था.

Q: महात्मा गांधी की हत्या कैसे हुई थी?

Ans : महात्मा गाँधी जी का हत्या नाथूराम गोडसे की द्वारा तीन गोली मारने से हुई थी.

Q: गाँधी जी का दर्शन का आधार क्या है ?

Ans : गांधी-दर्शन के चार आधारभूत सिद्धांत हैं- सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव.

Q: गांधीजी का मुख्य उद्देश्य क्या था?

Ans : गाँधी जी का मुख्या उद्देश्य यह था की लोगो को प्रेरित करके उनमे सक्रियता का भाव जागृत करना.

Q: महात्मा गांधी की हत्या कब हुई ?

Ans: महात्मा गांधी जी का हत्या 30 जनवरी 1948 ई. को हुआ था.

Q: महात्मा गांधी जी का हत्या किसने किया था?

Ans: महात्मा गांधी जी का हत्या नाथूराम गोडसे ने किया था?

Q: महात्मा गांधी की मृत्यु कब हुई थी?

Ans: 30 जनवरी 1948 ई. को हुआ था.

निष्कर्ष: Mahatma Gandhi Biography in Hindi

इस लेख (Mahatma Gandhi Biography in Hindi) में हमने गांधी जयंती क्या है और गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है. गांधी जयंती कब मनाया जाता है. गाँधी जी की जन्म और मृत्यु कब हुई थी.

गाँधी जी की बायोग्राफी. गाँधी जी की किताबें. महात्मा गांधी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बाते की है. यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर अवश्य करें.

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