Moral Stories In Hindi For Class 9 | जानिए 10 बेहद मजेदार किस्से

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Moral Stories In Hindi For Class 9: आज हम आपको कई मजेदार किस्से बताने जा रहे हैं। हमारा दावा है कि आपको ये Moral Stories In Hindi For Class 9 के सभी कहानियाँ बहुत पसंद आएंगी। इसके साथ ही बता दें कि कई बार जब हम घर में अकेले होते हैं तो हमें गुटन सा महसूस होता हैं और कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।

Moral Stories In Hindi For Class 9
Moral Stories In Hindi For Class 9

अगर आपने भी कभी अकेलापन महसूस किया है, तो बता दें कि हमारी ये Moral Stories In Hindi For Class 9 के सभी कहानियां आपके लिए किसी उपहार से कम नहीं होंगी. क्योंकि हम आपके लिए मेहनत करते हैं ताकि आप हमेशा मुस्कुराते रहें। अगर आप खुश हैं तो हमें भी आपसे ढेर सारी खुशियां मिलती हैं। आशा है कि आपको Moral Stories In Hindi For Class 9 की सभी कहानियाँ पसंद आएंगी और आप इन कहानियों से कुछ अच्छा सीख सकेंगे.

Moral Stories In Hindi For Class 9 | Short Story In Hindi For Class 9

1# स्कूल में स्वामी विवेकानंद | Hindi Story For Class 9

एक बार की बात है, एक बार स्कूल टिफिन के दौरान नरेंद्र (स्वामी विवेकानंद) अपने दोस्तों के साथ बात कर रहे थे। और हर कोई उन्हें इतनी ध्यान से सुन रहा था। कि उन्हें पता नहीं था, उनके आसपास क्या हो रहा है। फिर टिफिन समाप्त हो गया और शिक्षक कक्षा में प्रवेश करके पढ़ाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद शिक्षक ने कुछ आवाज सुनी.

और देखा कि कुछ छात्रों पीछे बैठे बातें कर रहे थे। शिक्षक इससे नाराज हो गए और उन्होंने छात्रों से पूछना शुरू किया कि वह कक्षा में क्या पढ़ा रहे हैं। लेकिन कक्षा में कोई भी उनका उत्तर नहीं दे पाया। फिर जब शिक्षक नरेंद्र से सवाल किया, तब नरेंद्र ने प्रत्येक प्रश्न का सही जवाब दिया। और फिर शिक्षक ने इस बारे में पूछताछ की,

कि कौन एक छात्रों था जो दूसरों से बातें कर रहा था। कक्षा में सभी छात्र नरेंद्र की ओर इशारा किया लेकिन शिक्षक ने यह मानने से इनकार कर दिया। क्योंकि वह केवल एक ही था, जिसने सभी प्रश्नों का सही ढंग से उत्तर दिया था। शिक्षक को लगा कि सभी झूठ बोल रहे हैं, इसीलिए उन्होंने पूरे कक्षा को दंडित किया।

सिर्फ नरेंद्र को छोड़कर, बाकी सभी को सजा के रूप में बेंच पर खड़े रहने के लिए कहा गया। फिर नरेंद्र अपने दोस्तों के साथ गया, और अन्य छात्रों के साथ बेंच पर खड़ा हो गया। शिक्षक ने उसे नीचे आने के लिए कहा। लेकिन नरेंद्र ने कहा, “नहीं सर मुझे भी खड़ा रहना चाहिए क्योंकि मैं वही था जो उनसे बात कर रहा था।”

Moral Stories In Hindi For Class 9, नैतिक शिक्षा : हमें कक्षा में हमेशा अपनी ध्यान पढ़ाई में देना चाहिए।

2# लक्ष्य के प्रति श्रद्धा | Story In Hindi With Moral For Class 9  

एकदा मौलाना रूम अपने शिष्यों को लेकर एक खेत में गये। खेत के मालिक किसान ने पानी के लिए पचास-पचास हाथ गहरे चार गड्ढे खुदवाये, किन्तु पानी नही निकलने से उन चार गड्ढों के पास में ही पांचवा गड्डा खुदवा रहा था।

शिष्यो ने जिज्ञासा जागृत करते हुए कहा-यह खेत का मालिक जमीन को जगह-जगह से क्यो खोद रहा है ? इसके पीछे क्या रहस्य है? मौलाना रूम ने समाधान देते हुए कहा-शिष्यो इस खेत के ने मालिक खेत में पानी देने के लिए पचास-पचास हाथ गहरे चार कुएं खोदे है, एक के बाद एक में पानी नहीं निकला।

अब पांचवां कुआ फिर खोद रहा है। कितना मुर्ख है यह ! अगर अपना धन और श्रम चारों के बजाय एक ही सौ हाथ गहरा कुआं खोदने में लगाता, तो खेत भी नहीं बिगड़ता और पानी भी मिल जाता। लक्ष्य भी पूरा हो जाता। लेकिन जिस व्यक्ति के दिल में समय के प्रति श्रद्धा नहीं होती उस व्यक्ति को सफलता नहीं मिल सकती।

जिज्ञासु शिष्यो ! इससे सबक लो ! जिसके हृदय में लक्ष्य के प्रति श्रद्धा नहीं है, जो बार-बार बदलते रहते हैं, उनकी बही गति होती है, जो किसान की हुई।

Moral Stories In Hindi For Class 9: सफलता के इच्छुक मनुष्य को लक्ष्य के प्रति श्रद्धाशील रहना चाहिए । श्रद्धा के अभाव में किसी व्यक्ति का विकास नहीं हो सकता। सांसारिक, सामाजिक व आध्यात्मिक क्षेत्र में वही उन्नति कर सकता है जिसके दिल में गहरी श्रद्धा है और श्रद्धाहीन का तनिक भी मूल्य नहीं है।

3# सफलता की तैयारी | Short Moral Stories In Hindi For Class 9

शहर से कुछ दूरी पर एक बुजुर्ग दंपत्ति रहता था। वह जगह बहुत ही शांत थी और आसपास कुछ ही लोग नजर आ रहे थे। एक दिन सुबह उसने देखा कि एक युवक हाथ में फावड़ा लिए साइकिल पर कहीं जा रहा है।

वह थोड़ी देर के लिए दिखाई दिए और फिर उनकी दृष्टि से ओझल हो गए। दम्पत्ती ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन अगले दिन फिर वह शख्स जाता हुआ नजर आया। अब तो जैसे यह रोज की बात हो गई हो, वह फावड़ा वाला युवक उधर से गुजरने के बाद कुछ ही देर में आंखों से ओझल हो जाता है।

इस सुनसान इलाके में इस तरह किसी की रोजाना आवाजाही से दम्पत्ती थोड़ा परेशान हो गए और उन्होंने उसके पीछे चलने का फैसला किया। अगले दिन जब वह उनके घर के सामने से गुजरा तो दम्पत्ति ने भी अपनी कार में उसका पीछा करना शुरू कर दिया।

कुछ दूर जाने के बाद वह एक पेड़ के पास रुक गया और वहां अपनी साइकिलरख दी और आगे बढ़ने लगा। 15-20 कदम चलने के बाद वह रुक गया और अपने फावड़े से जमीन खोदने लगा। दंपति को यह बहुत अजीब लगा और उन्होंने उससे बात करने की हिम्मत की और कहा, “तुम यहाँ इस जंगल में यह काम क्यों कर रहे हो?”

युवक ने कहा, “हां, दो दिन बाद मुझे एक किसान के पास काम करने जाना है, और वे एक ऐसा आदमी चाहते हैं, जिसके पास खेतों में काम करने का अनुभव हो, क्योंकि मैंने पहले कभी खेतों में काम नहीं किया है, इसलिए मैं कुछ दिनों से यहाँ आकार खेतों में काम करने की तैयारी कर रहा हूँ!!” दम्पत्ती यह सुनकर काफी प्रभावित हुए और उसे काम मिल जाने का आशीर्वाद दिया।

Short Moral Stories In Hindi For Class 9, नैतिक शिक्षा : किसी भी चीज में सफलता पाने के लिए तैयारी बहुत ज़रूरी है. जिस सच्चाई के साथ युवक ने खुद को खेतों में काम करने के लिए तैयार किया कुछ उसी तरह हमें भी अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

4# लाभदायक लेनदेन | Hindi Stories For Class 9

गुरु नानक जी के पिता जानते थे कि नानक जी लोगों से संवाद करना पसंद करते है। इसीलिए उन्होंने फैसला किया, उनके बेटे नानक जी को पैसा कमाना सीखाना होगा। इसलिए एक दिन गुरु नानक के पिता नानक के भाई बाला को 20 रुपए दिए और कहां, “नानक के साथ बाजार में जाओ इन पैसों से कुछ खरीदो और उन्हें लाभदायक दर पर बेचो।”

इसीलिए नानक उसकी भाई बाला के साथ कुछ सामान खरीदने के लिए बाजार में गए। जब वे अपने गाँव से दस मील दूर थे, तब उनका सामना हर्मिट्स का एक समूह से होता है। जो एक पेड़ के नीचे बैठे थे। उन्हें देखकर नानक जी ने भाई बाला को कहा, “पिता ने हमें कुछ लाभदायक लेनदेन करने के लिए कहा,

और इन हर्मिट्स को खिलाने से ज्यादा लाभदायक कुछ नहीं हो सकता। मैं सच्चा लाभदायक लेनदेन करने के लिए, इस तरह के शानदार अवसर को छोड़कर आगे नहीं बढ़ सकता।” फिर नानक जी भाई बाला से सारे पैसे ले लिए और उन्हें पैसे देते हुए कहा, “मैं यह पैसा आपकी सेवा में दे रहा हूं।” उस हर्मिट् समूह के मुखिया ने जवाब दिया,

बेटा, यह धन हमारे लिए किसी काम का नहीं है। क्योंकि हम किसी गांव या शहरों में नहीं जाते हैं, हम हमेशा यहां जंगल में रहते हैं। यदि आप हमें भोजन देते हैं, तो हम इसे स्वीकार करेंगे। तब नानक जी और भाई बाला ने बाजार में जाकर भोजन और कपड़े खरीदा। नानक जी ने उन सभी हर्मिट्स के समूह को खाने पेशकश की और खली हाथ घर लौट गए।

Hindi Stories For Class 9, नैतिक शिक्षा : अधिक पैसा कमाना लाभदायक हो सकता है, लेकिन सच्चा लाभ दूसरों की मदद करने में है।

5# शेर और गरीब गुलाम | Hindi Story Class 9

एक बार एक छोटी सी राज्यों में एक राजा और रानी रहती थी, राजा और रानी के बहुत गुलाम थे। रानी अपनी गुलामों के साथ बहुत खराब व्यवहार करती थी, कुछ काम को लेकर उन्हें मारती थी। एक दिन एक गुलाम रानी से बचने के लिए वहां से भाग गई। उसने सोचा अगर मैं यहां रहूंगी तो सेना मुझे पकड़ कर रानी के पास ले जाएगा, यह सोचकर गुलाम जंगल की ओर चली गई।

जंगल में जाते जाते उसने एक शेर की आवाज सुनी, वह शेर से डर के एक पेड़ के पीछे जाकर छुप गई। लेकिन शेर आवाज करते करते गुलाम के पास आया। उसने देखा शेर की पैरों में कांटा फस गई थी, इसी कारण शेर लंगड़ा ते हुए उसके पास आया। फिर गुलाम धीरे धीरे शेर के पास गई, और शेर की पैरों में से कांटा निकाली।

फिर शेर गुलाम को धन्यवाद देकर वहां से चला गया, फिर गुलाम जंगल में घर बनाकर वहां रहने लगी। ऐसे ही कुछ दिन बीत गई, एक दिन रानी के कुछ सेना जंगल में शिकार करने के लिए आया था। सेनाओं ने कुछ जानवरों को पकड़ कर पिंजरे में बंद करके रानी के पास ले गए। वहां एक सेना ने रानी को कहा, “महारानी जब हम शिकार करने के लिए गए थे, तब वहां जंगल में गुलाम को देखा।”

उसकी बात सुनकर रानी ने आदेश दिया उसे पकड़ने की, रानी की आदेश मानकर सेना जंगल में चले गए। और गुलाम को पकड़ कर लेकर आया। रानी गुलाम को देख कर कहा, “तो तुम हो जो यहां से भाग गई थी, तुम्हें तो सजा जरूर मिलेगी।” फिर रानी ने सेना को आदेश दिया, “इसे पकड़कर शेर के पिंजरे में डाल दो ताकि शेर को आज भरपेट खाना मिले।”

यह कहकर रानी वहां से चली गई । फिर सेनाओं ने गुलाम को पकड़कर शेर के पिंजरे में डालकर बाहर से बंद करके, अपनी अपनी कमरे में जाकर सो गई। गुलाम डर के मारे पिंजरे के अंदर अपनी आंखें बंद करके शेर का इंतजार कर रही थी। तब शेर उसकी तरफ देखकर आवाज दी गुलाम बहुत डर गई, शेर ने उसे पहचान लिया था।

शेर पास जाकर उसकी पैर चाटने लगा, फिर गुलाम को याद आया। गुलाम ने पिंजरे से एक हाथ बाहर निकाल कर एक पत्थर उठाई, और पत्थर से पिंजरे को तोड़कर शेर को बाहर निकाली। उसके साथ बाकी सभी जानवरों को भी बाहर निकाली। फिर गुलाम जानवरों के साथ जंगल में जाकर रहने लगी, रानी की सेना ने और कभी गुलाम को पकड़ नहीं पाई।

Moral Stories In Hindi For Class 9, नैतिक शिक्षा : दूसरों की जरूरत में हमें हमेशा मदद करना चाहिए।

6# एक साड़ी की कीमत |Very Short Moral Stories In Hindi For Class 9

एक बार की बात है, श्री लाल बहादुर शास्त्री एक कपड़ा मिल में गए। और उनके साथ मिल के मालिक भी थे। मिल के आसपास देखने के बाद शास्त्री जी उस मिल के गोदाम देखने गए। वहां उन्होंने कुछ साड़ी देखा, शास्त्री जी मिल के मालिक से उन्हें कुछ साड़ी दिखाने का अनुरोध किया। मालिक उसके अनुरोध से खुश था। और उसने अपने कर्मचारी को उसके लिए सबसे अच्छी साड़ी लाने के लिए कहां,

कर्मचारी ने उसे विभिन्न प्रकार की साड़ियां दिखाई। शास्त्री जी ने उन साड़ी में से एक को पसंद किया, और मालिक से इसकी कीमत पूछी। मिल मालिक ने बताया कि उस साड़ी की कीमत 800 रुपये है। शास्त्री जी ने कहा, “यह बहुत महंगा है क्या आप मुझे वह साड़ियां दिखा सकते हैं जो थोड़ा कम महंगा है।”

मालिक ने कर्मचारी को उससे कम महंगी साड़ी लाने के लिए कहा। मिल मालिक ने उसे अन्य साड़ियों को दिखाना शुरू किया। जैसे कि 500, 400 रुपये वाला। लेकिन शास्त्री जी ने कहा, अभी भी बहुत महंगी है, इससे सस्ती साड़ियां है, मेरे जैसा गरीब व्यक्ति के लिए। मालिक उसकी प्रतिक्रिया से आश्चर्यचकित था। उसने कहा, “आप भारत के प्रधानमंत्री हैं.

आप को गरीब कैसे कहा जा सकता है? इसके अलावा आपको साड़ी के लिए पैसा नहीं देना होगा, यह आपके लिए एक उपहार है।” शास्त्री जी ने उत्तर दिया, “नहीं मेरे प्यारे दोस्त, मैं इस तरह के महंगे उपहार स्वीकार नहीं कर सकता। क्योंकि मैं प्रधानमंत्री हो सकता हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मुझे उन सभी चीजों को स्वीकार करना चाहिए,

जो मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। हालांकि मैं एक प्रधानमंत्री हूं लेकिन मैं सीमित समय के लिए हूं, कृपया मुझे कुछ सस्ती साड़ियां दिखाएँ, जिन्हें मैं खरीद सकता हूं।” अंत में शास्त्री जी ने अपनी पत्नी के लिए एक सस्ती साड़ी खरीदी, जो वह खरीद सकते थे। लाल बहादुर शास्त्री जी इतने ईमानदार और नेक थे, प्रलोभन उसे बिल्कुल भी दबा नहीं सकता था।

Very Short Moral Stories In Hindi For Class 9, नैतिक शिक्षा : सच्चा और ईमानदारी को हमेशा पुरस्कृत किया जाता है।

7# पति पत्नी का प्यार | Hindi Stories For Class 9 With Moral

एक बार एक शहर में एक आदमी रहता था, जिसकी शादी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की के साथ हुई थी। शहर में हर कोई उसकी पत्नी की सुंदरता के लिए उसकी तारीफ करता था। यह देखकर पति पत्नी को गर्व महसूस हुई, दोनों सुखी जीवन बिताने लगे।

कुछ सालों के बाद, पत्नी ने एक दुर्लभ त्वचा रोग से संक्रमित हो गई। वे कुछ डॉक्टर के पास गई लेकिन कोई भी उसकी बीमार का इलाज नहीं कर पाया। जब पत्नी को पता चला वह बीमार के कारण अपनी सुंदरता खो देगी। वह इस बात से डरी हुई थी, कि अपनी पति का प्यार खो देगी।

पति ने उसे रोज खुश करने की कोशिश की। लेकिन वह हमेशा दुखी रहती, और अपने पति के सामने जाने से डरती थी। फिर एक दिन पति किसी काम के लिए, शहर से बाहर गया था। वापस लौटते समय उसके साथ एक दुर्घटना हुई, उस दुर्घटना में उसकी दोनों आंख की रोशनी चली गई। पत्नी को बहुत बुरा लगा, लेकिन समय के साथ वे दोनों सामान्य जीवन जीना सीख गए।

वह अब अपने पति से नहीं बच सकती थी। हर समय उसके साथ रहती थी, और काम में उसकी मदद करती थी। ऐसे ही कुछ साल बीत गए, वह दोनों अब बुड्ढा हो गए थे । फिर एक दिन पत्नी की मृत्यु हो गई, और पति अकेला हो गया। पति पत्नी से बहुत प्यार करता था, और अब वह उस जगह पर नहीं रहना चाहता था। इसलिए अंतिम संस्कार करने के बाद।

उन्होंने इस शहर को छोड़ने की तैयारी की। जाने से ठीक पहले एक पड़ोसी उसके पास आया और कहा, “क्या तुम अकेला रह पाओगे? इतने सालों से आपकी पत्नी आपके साथ रहे। आप किसी के मदद के बिना इधर उधर जा पाओगे?” पति ने जवाब दिया, “मैं अंधा नहीं हूं, मैंने सिर्फ अंधे होने का नाटक किया। क्योंकि अगर मेरी पत्नी को पता होता कि,

मैं उसकी सबसे खराब स्थिति देख सकता हूं, तो वह ज्यादा घायल होती। मेरी पत्नी पहले से ही बहुत दर्द में थी, और मैं उसे किसी और दर्द में नहीं देखना चाहता था। इसीलिए मैं इतने सालों तक अंधे होने का नाटक करता रहा। वह मेरी बहुत अच्छी पत्नी थी, और मैं चाहता था कि वह हमेशा खुश रहे।

Hindi Stories For Class 9 With Moral, नैतिक शिक्षा : रिश्ता केवल सुंदर चेहरा के लिए नहीं है, बल्कि दोनों एक दूसरे के लिए है।

8# सोने का अंडा | Hindi Short Moral Stories For Class 9

एक बार की बात है एक गाँव में अली नाम का एक आदमी रहता था। उनके माता-पिता का बचपन में ही देहांत हो गया था। उन्होंने बड़ी मुश्किल से खेतों में काम करके अपना जीवन यापन किया। उसके पास एक मुर्गी थी। जो उसे रोज एक अंडा देती थी।

जब उसके पास खाने को कुछ नहीं होता था तो वह रात को मुर्गी का अंडा खाकर सो जाता था। उसके पड़ोस में बासा नाम का एक आदमी रहता था। जो सही व्यक्ति नहीं था।

जब उसने देखा की अली अपना गुजारा सही से कर रहा है तो उसने एक दिन अली का मुर्गी चुरा लिया। जब अली घर पर नहीं था। इसके बाद बासा ने मुर्गी को मार कर पकाकर खा लिया। जब अली घर आया और घर में मुर्गी को नहीं देखा तो वह अपने मुर्गी को इधर-उधर ढूंढने लगा।

उसने बासा के घर के बाहर कुछ मुर्गी के पंख देखे। जब उसने बासा से बात की तो बासा ने कहा कि उसकी बिल्ली ने एक मुर्गी पकड़ी है। मैंने इसे पकाया और खा लिया। मुझे नहीं पता था कि वह तुम्हारी मुर्गी है।

अली ने बासा से कहा कि वह इस बारे में मजिस्ट्रेट से शिकायत करेगा। यह सुनकर बासा ने अली को मुर्गी की जगह एक छोटी बत्तख दी। अली ने उस बत्तख की देखभाल की, कुछ दिनों बाद वह बत्तख बड़ी हो गई और अंडे देने लगी।

एक रात जब भारी बारिश हो रही थी। एक ऋषि भीगते हुए बासा के घर रहने के लिए जगह मांगने पहुंचे। लेकिन बासा ने उसे मना कर दिया। इसके बाद वह अली के घर गया। अली ने उसे रहने की जगह दी और खाना भी खिलाया।

अगली सुबह वह अली के घर से जाने लगा लेकिन जाते समय उसने अली की बत्तख के सिर को छू लिया। इसके बाद बत्तख ने जब अंडा दिया तो वह सोने का था। यह देखकर अली बहुत खुश हुए।

अब जब बत्तख अंडा देती तो वह सोने का होता। सोने का अंडा बेचकर अली की गरीबी दूर हुई। लेकिन फिर भी वह सादा जीवन जीते थे। एक दिन बासा ने एक बत्तख को सोने का अंडा देते हुए देखा और मजिस्ट्रेट के पास गया।

उसने मजिस्ट्रेट को बताया कि कल अली ने मेरी बत्तख चुराई थी। जब न्याय अधिकारी ने अली से पूछा तो उसने सारी बात बता दी कि कैसे बासा ने उसे बत्तख दी थी। जज ने कहा कि कल वह फैसला करेंगे कि बत्तख किसे मिलेगा।

बत्तख ने रोज़ की तरह मजिस्ट्रेट के पास भी सोने का अंडा दिया। अगले दिन मजिस्ट्रेट ने दोनों को सामान्य अंडा दिखाया और कहा की यह कल तुम्हारे बत्तख ने दिया है। अलग पूछने पर अली ने मजिस्ट्रेट को सच बताया की उसकी बत्तख सोने का अंडा देती थी।

जबकि बासा ने कहा की उसकी बत्तख सामान्य अंडा देती है। मजिस्ट्रेट ने एक नया बत्तख लेकर बासा को दे दिया। और अली को सोने का अंडा देने वाली बत्तख दी। अली दोबारा सोने का अंडा देने वाली बत्तख पा कर खुश हुआ।

Hindi Short Moral Stories For Class 9, नैतिक शिक्षा : हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए और दूसरों को देखकर ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।

सोने का अंडा | Moral Stories In Hindi For Class 9

9# सालाह देना |Moral Stories In Hindi For Class 9 With Moral

एक बार एक छोटा लड़के के ऊपर मिठाई खाने का जुनून सवार हो गया। अधिक मिठाई खाने के कारण उनकी मां चिंतित थे। और उसे खाने से रोकने के लिए कई तरीके आजमाएं लेकिन कुछ काम नहीं हुआ।

निकट गांव में एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था, जिसे सभी लोग सम्मान करते थे। एक दिन उसकी मां ने उसे बुद्धिमान व्यक्ति के पास ले जाने का फैसला किया। इस उम्मीद में कि उसका बेटा उसकी बात माने। फिर मां अपने बेटे के साथ बुद्धिमान व्यक्ति के पास गई और उनसे कहा, “मेरा बेटा हर बार मिठाई खाना चाहता है,

क्या आप उसे बताएंगे, कि यह उनके सेहत के लिए बुरा है।” उसकी बात सुनने के बाद बुद्धिमान ने व्यक्ति कुछ देर सोचा, और उस समय उस लड़के को कोई भी सलाह नहीं दिया। उसने उसकी मां को एक महीने बाद वापस आने के लिए कहा, फिर एक महीने बाद मां बेटे को लेकर बुद्धिमान व्यक्ति के पास आई । इस बार बुद्धिमान व्यक्ति ने लड़के को लेकर टहलने गया।

उन्होंने लड़के की ओर देखा और कहा, “लड़का तुम्हें मिठाई खाना बंद कर देना चाहिए। क्योंकि यह तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।” लड़के ने सिर हिलाया, और वादा किया कि वह अब मिठाई नहीं खाएगा। इसके बाद मां अपने बेटे के साथ चली गई। कुछ दिनों बाद वह बुद्धिमान व्यक्ति के पास लौटी और बोली, “आपकी मदद के लिए धन्यवाद।

लड़के ने अपना वादा निभाया है और तब से मिठाई नहीं खाई है।” वह एक बात को लेकर उत्सुक थी। इसीलिए बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा, “जब में पहली बार आपके पास आई थी, तो आप मेरे बेटे को मिठाई खाना बंद करने के लिए क्यों नहीं कहे थे।

आपने मुझे एक महीने बाद वापस आने के लिए क्यों कहा?” बुद्धिमान व्यक्ति ने मुस्कुराया और जवाब दिया। “उस समय मैं खुद मिठाई खाता था, और मुझे यह बताने का अधिकार नहीं था। लेकिन अब मैं मिठाई नहीं खाता हूं इसीलिए मैं सक्षम था, आपकी बच्चे को बताने के लिए।”

Moral Stories In Hindi For Class 9 With Moral, नैतिक शिक्षा : हमेशा सुनिश्चित करें कि आपकी क्रिया आपके शब्दों से मेल खाती है या नहीं।

10# अंगूठी की कीमत | Long Moral Stories In Hindi For Class 9     

एक नौजवान शिष्य अपने गुरु के पास पहुंचा और बोला ,” गुरु जी एक बात मेरी समझ नहीं आती, आप इतने साधारण वस्त्र क्यों पहनते हैं। इन्हे देख कर लगता ही नहीं कि आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं जो सैकड़ों शिष्यों को शिक्षित करने का महान कार्य करता है।

शिष्य की बात सुनकर गुरु जी मुस्कुराये। फिर उन्होंने अपनी ऊँगली से एक अंगूठी निकाली और शिष्य को देते हुए बोले,” मैं तुम्हारी जिज्ञासा अवश्य शांत करूँगा, लेकिन पहले तुम मेरा एक छोटा सा काम कर दो। इस अंगूठी को लेकर बाज़ार जाओ और किसी सब्जी वाले या ऐसे ही किसी दुकानदार को इसे बेच दो। बस इतना ध्यान रहे कि इसके बदले कम से कम सोने की एक अशर्फी ज़रूर लाना।”

शिष्य फ़ौरन उस अंगूठी को लेकर बाज़ार गया लेकिन थोड़ी देर में अंगूठी वापस लेकर लौट आया। “क्या हुआ , तुम इसे लेकर क्यों लौट आये ?”, गुरु जी ने पुछा। “गुरु जी , दरअसल , मैंने इसे सब्जी वाले, किराना वाले, और अन्य दुकानदारों को बेचने का प्रयास किया पर कोई भी इसके बदले सोने की एक अशर्फी देने को तैयार नहीं हुआ”

गुरु जी बोले,” अच्छा कोई बात नहीं अब तुम इसे लेकर किसी जौहरी के पास जाओ और इसे बेचने की कोशिश करो।” शिष्य एक बार फिर अंगूठी लेकर निकल पड़ा लेकिन इस बार भी कुछ ही देर में वापस आ गया। “क्या हुआ, इस बार भी कोई इसके बदले 1 अशर्फी भी देने को तैयार नहीं हुआ ?”, गुरूजी ने पुछा।

शिष्य के हाव -भाव कुछ अजीब लग रहे थे, वो घबराते हुए बोला,” अरररे … नहीं गुरु जी , इस बार मैं जिस किसी जौहरी के पास गया, सभी ने ये कहते हुए मुझे लौटा दिया की यहाँ के सारे जौहरी मिलकर भी इस अनमोल हीरे को नहीं खरीद सकते इसके लिए तो लाखों अशर्फियाँ भी कम हैं” “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है ”, गुरु जी बोले , ” जिस प्रकार ऊपर से देखने पर इस अनमोल अंगूठी की कीमत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

उसी प्रकार किसी व्यक्ति के वस्त्रों को देखकर उसे आँका नहीं जा सकता। व्यक्ति की विशेषता जानने के लिए उसे भीतर से देखना चाहिए, बाह्य आवरण तो कोई भी धारण कर सकता है लेकिन आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का भण्डार तो अंदर ही छिपा होता है।” शिष्य की जिज्ञासा शांत हो चुकी थी। वह समझ चुका था कि बाहरी वेश-भूषा से व्यक्ति की सही पहचान नहीं हो सकती है। जो बात मायने रखती है, वो ये कि व्यक्ति भीतर से कैसा है !

Long Moral Stories In Hindi For Class 9, नैतिक शिक्षा : आज के युग में आप क्या पहनते हैं, कैसे दिखते हैं, इसकी अपनी महत्त्व है और कई जगहों पर, जैसे – किसी साक्षात्कार या बैठक आदि में तो इसका कुछ ज्यादा ही महत्त्व हैं।

पर ये भी सच है कि सिर्फ बाहरी उपस्थिति से इंसान को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। इसलिए हमें कभी भी किसी को सिर्फ इसलिए छोटा नहीं समझना चाहिए क्योंकि उसने अच्छे कपड़े नहीं पहने या किसी को सिर्फ इसलिए बहुत बड़ा नहीं समझना चाहिए क्योंकि वो बहुत अच्छे से तैयार है। इंसान का असली गुण तो उसके भीतर होता है और वही उसे अच्छा या बुरा बनाता है।

FAQs

Q. ये सभी कहानियाँ किसके लिए विशेष रूप से तैयार की गई हैं?

Ans: ये सभी कहानियाँ विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए बनाई गई हैं।

Q. इन सभी कहानियों से हमें क्या सीख मिलती है?

Ans: इन कहानियों से हम सही और गलत की पहचान करना सीखते हैं।

निष्कर्ष

बच्चो के लिए Moral Stories In Hindi For Class 9 बहुत ही मजेदार होती है. यदि आप इस Jaadui Chakki कहानी को अपने बच्चो को सुनाते है तो उन्हें आगे जीवन में एक सही दिशा मिलती है.

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