Small Short Stories With Moral Values in Hindi

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Small Short Stories With Moral Values in Hindi: बच्चो के लिए Small Short Stories बहुत ही जरुरी है. यदि बच्चे Small Short Stories With Moral Values के साथ पढ़ते है तो, उनको बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

सिर्फ बच्चे ही नहीं इन सारी कहानियो को पढ़के बड़े या किसी भी उम्र के लोग बहुत कुछ सिख सकते है. पहले के ज़माने में दादा दादियाँ बच्चो को अच्छी अच्छी कहानिया सुनाती थी. जिसे सुनकर बच्चे बहुत ही खुस हो जाते थे और बहुत कुछ सिख भी जाते थे.

Small Short Stories With Moral Values in Hindi
Small Short Stories With Moral Values in Hindi

उसी तरह यदि आप भी अपने बच्चे को इन Small Short Stories With Moral Values in Hindi को पढ़के सुनाते है तो बच्चे खेल खेल में बहुत कुछ सिख सकता है. इससे उसको जीवन में सही गलत का पहचान होता है.

Small Short Stories With Moral Values in Hindi

हमने निचे ऐसे कई Small Short Stories With Moral Values in Hindi दी है, जिसे आप अपने बच्चो को सुना सकते है. बच्चे इन कहानियो को बहुत ही ज्यादा पसंद करते है. इस लिए आपको Small Short Stories With Moral एकबार उनको सुनना जरुर चाहिए.

1# छोटी चीज में बड़ी बात

एक बालक ने अपनी माँ को कुछ लिखते देखा, तो बोला, ‘माँ, आप पेन्सिल से क्यों लिख रही है?’ माँ बोली, ‘बेटा, मुझे पेन्सिल से लिखना अच्छा लगता है। इसमें कई गुण है।’ बालक चौंका और बोला, ‘दिखने में तो यह और पेन्सिलों जैसी ही है।

लिखने के आलावा इसमें और कौनसा गुण है?’ माँ बोली, ‘यह जीवन से जुड़ी कई अहम सीखे हमें सिखाती है। इसके पांच गुण तुम अपना लो, तो इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकोगे। पहला गुण – तुम्हारे भीतर बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल करने की योग्यता है। लेकिन तुम्हे सही दिशा में निर्देशन चाहिए। यह दिशा निर्देशन वह ईश्वर देगा और हमेशा अच्छी राह पर चलाएगा।

दूसरा गुण – लिखते लिखते बीच में रुकना पड़ता है। पेन्सिल की नोंक को पैना करना पड़ता है। इससे इस कष्ट होता है लेकिन यह अच्छा लिख पाती है। इसलिए अपने दुःख, हार को धैर्य से सहन करों । तीसरा गुण – पेन्सिल गलतिया सुधारने के लिए रबड़ के प्रयोग की इजाजत देती है। इसलिए कोई गलती हो तो उसे सुधार लो।

चौथा गुण – पेन्सिल में महत्व बाहरी लकड़ी का नहीं, अंदर के ग्रेफाइट का है इसलिए अपने बाहरी रूप से ज्यादा अपने अंदर चल रहे विचारों पर गौर करें। पांचवा गुण – पेन्सिल हमेशा निशान छोड़ जाती है। तुम भी अपने कामों अच्छे निशान छोड़ो।

मित्रों इस प्रकार छोटी-छोटी चीजों से भी बड़ी चीज समझी जा सकती है और अपने जीवन को परिवर्तित किया जा सकता है।

2# लोभी लोमड़ी

एक लोमड़ी थी जो बहुत भूखा थी। उसे एक रोटी का टुकड़ा मिला। वह एक नदी पर बने पुल से जा रहा थी। वह मन ही मन सोच रहा थी कि नदी के उस पार जाकर वह रोटी को खाएगी। किंतु तभी उसकी नजर पानी पर पड़ी।

पानी में उसकी परछाई दिखाई दे रही थी। उसने सोचा कोई दूसरी लोमड़ी रोटी लिए जा रही है। उसके मुंह में पानी भर आया उस रोटी के टुकड़े को लेने के लिए उसने अपनी परछाई पर गुर्राना शुरू कर दिया। उसके मुंह से रोटी भी पानी में गिर गया। बेचारी भूखा भी रह गयी।

शिक्षा- लालच बुरी बला है।

3# शरारती बंदर

एक समय की बात है, एक जंगल में एक शरारती बंदर रहा करता था। वह बंदर सभी को पेड़ों से फल फेक – फेक करके मारा करता था। गर्मी का मौसम था पेड़ों पर खूब ढ़ेर सारे आम लगे हुए थे।

बंदर सभी पेड़ों पर घूम-घूमकर आमो का रस चूसता और खूब मजे करता। नीचे आने – जाने वाले जानवरों पर वह ऊपर से बैठे-बैठे आम फेंक कर मारता और खूब हंसता।

एक समय हाथी उधर से गुजर रहा था। बंदर जो पेड़ पर बैठकर आम खा रहा था, वह अपने शरारती दिमाग से लाचार था।

बन्दर ने हाथी पर आम तोड़कर मारा। एक आम हाथी के कान पर लगी और एक आम उसके आंख पर लगी। इससे हाथी को गुस्सा आया। उसने अपना सूंढ़ ऊपर उठाकर बंदर को गुस्से से सूंढ़ में लपेट लिया और कहा कि मैं आज तुझे मार डालूंगा तू सब को परेशान करता है। इस पर बंदर ने अपने कान पकड़ लिए और माफी मांगी।

अब से मैं किसी को परेशान नहीं करूंगा और किसी को शिकायत का मौका नहीं दूंगा। बंदर के बार बार माफी मांगने और रोने पर हाथी को दया आ गई उसने बंदर को छोड़ दिया।

कुछ समय बाद दोनों घनिष्ट मित्र हो गए। बंदर अब अपने मित्र को फल तोड़ – तोड़ कर खिलाता और दोनों मित्र पूरे जंगल में घूमते थे।

शिक्षा– किसी को परेशान नहीं करना चाहिए उसका परिणाम बुरा ही होता है।

4# गधा और मूर्ति

एक गाँव मे एक मूर्तिकार रहता था। वह देवी देवताओ की सुंदर मूर्तिया गढ़ा करता था। एक बार उसने भगवान की एक बहुत सुंदर मूर्ति गढ़ी। वह मूर्ति उसे ग्राहक के पास पहुचानी थी। इसलिए उसने कुम्हार से गधा किराए पर लिया।

फिर उसने मूर्ति गधे पर लादी और चल पड़ा रास्ते मे उस मूर्ति को जो देखता पल भर रूककर मूर्ति की तारीफ जरूर करता। कुछ लोग उस मूर्ति को देखते ही झुककर प्रणाम करते। यह देख कर उस मूर्ख गधे ने सोचा कि लोग उसी की प्रशंसा कर रहे हैं। और उसी को झुककर प्रणाम कर रहे है वह अकड़कर सड़क के बीच खड़ा हो गया। और जोर जोर से रेंकने लगा।

मूतिकार ने गधे को चुप करने की बहुत कोशिश की। पर गधा रेकंता ही रहा। अंत मे उस मूर्तिकार ने डंडे से उसकी खूब पिटाई की। मार खाने के बाद गधे का सारा घंमड उतर गया। उसका होश ठिकाने आया। और वह फिर चुपचाप चलने लगा।

शिक्षा – समझदार के लिए इशारा और मुर्ख के लिए डंडा

5# स्वार्थी दोस्त

श्याम और राम अच्छे मित्र थे। एक दिन वे जंगल से होकर जा रहे थे। रास्ते में उन्हे एक रीछ दिखाई दिया, वह उनकी तरफ आ रहा था। श्याम तुरंत भाग कर पास के पेड़ पर चढ़ गया। राम को पेड़ पर चढ़ना नही आता था। पर उसने सुना था।

कि जानवर मरे हुए लोगो को कुछ नही करते। इस लिये वह स्थिर होकर जमीन पर लेट गया। उसने अपनी आँखे मूंद ली। और साँस रोक ली रीछ राम के पास आया। उसने चेहरे को सूघाँ। उसे लगा कि वह मर चुका है। और रीछ आगे बढ गया। जब रीछ कुछ दूर चला गया। तो श्याम पेड़ से उतरा उसने राम से पूँछा, “रीछ तुम्हारे कान मे क्या कह रहा था?” राम ने जवाब दिया, “उसने कहा कि स्वार्थी लोगो से दूर रहो।”

शिक्षा – समय पर काम मे आने वाला मित्र ही सच्चामित्र है.

6# एक बूढ़े आदमी और छोटी बिल्ली की कहानी

एक दिन एक बूढ़ा आदमी पार्क में घूम रहा था की तभी उसकी नज़र एक छोटी सी बिल्ली पर पड़ी जोकि एक सुराख में फंस गयी थी।

तब उस बूढ़े आदमी ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और बिल्ली को निकालने की कोशिश करने लगा, परन्तु बिल्ले ने उसे पंजा मारा और उसे पास नहीं आने दिया।

आदमी ने फिर से वैसा ही किया और बिल्ली ने फिर उसे पास नहीं आने दिया। अब आदमी बार बार ये करने लगा और बिल्ली भी उसे बार बार हटा रही थी।

पास खड़ा एक लड़का काफी देर से देख रहा था और वो चिल्ला पड़ा की आप बिल्ली को वहीँ रहने दो ये खुद ही निकल आएगी।

पर उस आदमी ने कोई ध्यान नहीं दिया और वो कोशिश करता रहा और आखिरकार बिल्ली बाहर आ ही गयी।अब बूढ़ा आदमी उस आदमी की और गया और बोला,”ये इस बिल्ली की फितरत है की ये काटेगी, पंजा मारेगी, जैसा की इसे भगवान ने बनाया है। पर ये हमारा फ़र्ज़ है की इनको प्यार देना और इनकी देखभाल करना।”

शिक्षा: अपने आसपास सभी के साथ नैतिकता के साथ व्यवहार करें। आप सबसे ऐसा व्यवहार करें जैसा की आप दूसरों से खुद के लिए चाहते हो।

7# ओखली-मूसल

कान्हा बहुत गरीब था, परन्तु फिर भी वह आए दिन लोगों को अपने घर खाने पर बुला लेता। एक दिन उसने अपने तीन दोस्तों को अपने घर भोजन पर आमंत्रित किया। उसके घर में पकाने के लिए कुछ नहीं था।

इसलिए वह सामान खरीदने के लिए बाजार चला गया। जब उसके मित्र उसके घर पहुंचे, वह उस वक्त तक वापिस नहीं लौटा था। कान्हा की पत्नी ने उनका स्वागत किया। उन्होंने उसके घर में एक ओखली एवं मूसल देखी।

जब उन्होंने उसके बारे में कान्हा की पत्नी से पूछा तो वह बोली, “मेरे पति ओखली और मूसल की भगवान की तरह पूजा करते हैं। प्रार्थना के बाद वह इनसे मेहमानों को मारते हैं।” यह सुनकर वे तीनों वहाँ से भाग गए।

रास्ते में कान्हा ने उन्हें भागते हुए देखा। उसने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो उसकी पत्नी बोली, “वे ओखली माँग रहे थे जब मैंने देने से मना कर दिया तो वे गुस्से में यहाँ से चले गए।”

कान्हा ने ओखली-मूसल उठाया और उन्हें देने के लिए उनके पीछे गया। लेकिन उसके दोस्त और तेजी से भागकर आँखों से ओझल हो गए।

8# भेड़ चरानेवाला लड़का और भेड़िया

एक भेड़ चरानेवाला लड़का था। वह रोज भेड़ों को चराने के लिए जंगल में ले जाता था। जंगल में वह अकेला होता था। इसलिए उसका मन नही लगता था। एक दिन उसे मजाक करने की सूझी। वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ बचाओ भेड़िया आया भेड़िया आया।” आसपास के खेतों में किसान काम कर रहे थे। उन्होंने लड़के की आवाज सुनी वे अपना-अपना काम छोड़कर लड़के की मदद के लिए दौड़ पड़े। 

जब लड़के के पास पहुँचे। तो उन्हें कहीं भेड़िया दिखाई नही दिया। किसानों ने लड़के से पूछा, “भेड़िया तो कहीं है नही फिर तुमने हमे क्यों बुलाया?”, लड़का हँसने लगा उसने कहा, “मैं तो मजाक कर रहा था। भेड़िया आया ही नही था। जाओ-जाओ तुम लोग।” किसानों ने लड़के को खूब डाटा फटकारा इसके बाद वे लौट गए। एक बार लड़के ने फिर ऐसा ही मजाक किया। आसपास के किसान मदद के लिए दौड़ आए। 

लड़के के इस मजाक पर उन्हें बहुत गुस्सा आया लड़के को डाट फटकार कर चले गए। कुछ समय बाद एक दिन सचमुच भेड़िया आ पहुँचा। भेड़ चरानेवाला लड़का दौड़कर पेड़ पर चढ़ गया और मदद के लिए चिल्लाने लगा। पर इस बार उसकी मदद के लिए कोई नही आया। सभी ने यही सोचा कि वह बदमाश लड़का पहले की तरह मजाक कर रहा है। भेड़िए ने कई भेड़ो को मार डाला। इससे लड़के को अपने किए पर बड़ा दुख हुआ।

शिक्षा – झूठे आदमी की सच्ची बातों पर भी लोग विश्वास नही करते।

9# मूर्खता का फल

एक आदमी था। एक बार वह लकड़ी के लंबे लट्ठे को आरे से चीर रहा था। उसे इस लट्ठे के दो टुकड़े करने थे। सामने वाले पेड़ पर एक बंदर बैठा हुआ था। वह काफी देर से आदमी के काम को बड़े, ध्यान से देख रहा था। आदमी ने दोपहर का भोजन करने के लिए काम बंद कर दिया। 

अब तक लट्ठे का केवल आधा ही भाग चीरा जा चुका था। इसलिए उसने लट्ठे के चिरे हुए हिस्से में एक मोटी सी गुल्ली फँसा दी। इसके बाद वह खाना खाने चला गया। आदमी के जाने के बाद बंदर पेड़ से कूदकर नीचे आया। वह कुछ देर तक इधर-उधर देखता रहा। उसकी नजर लकड़ी की गुल्ली पर गड़ी हुई थी। 

वह गुल्ली के पास गया और उसे बड़ी उत्सुकता से देखने लगा। वह अपने दोनों पाँव लट्ठे के दोनों ओर लटकाकर उस पर बैठ गया। इस तरह बैठने से उसकी लंबी पूँछ लकड़ी के चिरे हुए हिस्से में लटक रही थी। उसने बड़ी उत्सुकता से गुल्ली को हिलाडुला कर देखा फिर वह उसे जोर-जोर से हिलाने लगा। 

अंत में जोर लगा कर उसने गुल्ली खींच निकाली। जैसे ही गुल्ली निकली की लट्ठे के दोनों चिरे हुए हिस्से आपस में चिपक गये। बंदर की पूँछ उसमें बुरी तरह से फंस गयी। दर्द के मारे बंदर जोर-जोर से चिल्लाने लगा। उसे आदमी का डर भी सता रहा था। वह पूँछ निकालने के लिए छटपटाने लगा। उसने जोर लगाकर उछलने की कोशिश की, तो उसकी पूँछ टूट गयी। अब वह बिना पूँछ का हो गया।

शिक्षा – अनजानी चीजों से छेड़छाड़ करना खतरनाक होता है।

10# ईर्ष्या

एक सिद्ध पुरुष थे। उनके पास एक सेठ पहुंचा। सेठ ने कहा-मैं आपकी शरण में आया हूं, मुझे कुछ दीजिए। सिद्ध पुरुष बोले-मैं तुझे एक शंख देता हूं। उससे तू जितना मांगेगा तुझे तो उतना ही मिलेगा, किन्तु पड़ोसी को तेरे से दोगुना मिलेगा। तू जलना मत। ईर्ष्या भी मत करना।

सेठ सिद्ध पुरुष से शंख लेकर घर पहुंचा। वह हजार मांगता है तो पडोसी को दो हजार मिलता है। वह लाख मांगता है तो उसके पड़ोसी को दो लाख मिलता है। यह कब सेठ को मंजूर था। यह तो मेरे से ही बड़ा वैभवशाली बन जायेगा। इसके सामने मैं सदा छोटा आदमी ही रहूंगा।

इसकी उन्नति होगी। उसने सोचा-ऐसा कोई मार्ग निकालूं, जिससे इसका नुकसान हो जाये। ईर्ष्या का वेग बढ़ा, जलन ने धावा बोला-उसने अपने घर में चार कुएं खुदवाये, पड़ोसी के घर में आठ कुएं हो गये। अब क्या करूं? आखिर उसने शंख से कहा-मेरी एक आंख फोड़ दो। बस, देरी क्या थी ! उसकी आंख फूटते ही पड़ोसी की दोनों आंखें फूट गई। वह अन्धा हो गया। घर में जगह-जगह कुएं थे, कुएं में गिरकर पड़ोसी मर गया।

शिक्षा – ईर्ष्यालु व्यक्ति कभी-भी दूसरों की उन्नति को सह नही सकता है । जलन-जलन से वह स्वयं की भी हानि करता है तथा औरों का भी।

निष्कर्ष

बच्चो की मानसिक विकाश के लिए ये कहानियाँ बहुत बड़ी भूमिका निभाती है. वही Short Hindi Stories सभी के जीवन में कुछ ना कुछ सिख देती है. हमे उम्मीद है की यह Short Moral Stories in Hindi और Small Short Stories With Moral Values in Hindi पसंद आई होगी. यदि ये Moral Kahaniyaa से आपको कुछ सिखने को मिला है या यह Small Moral Stories in Hindi उपयोगी है तो इसे सोशल मीडिया में शेयर जरुर करे.

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